अभी T-20 विश्व कप चल रहा है। इसके तहत रविवार (24 अक्टूबर, 2021) को शाम साढ़े 7 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच भी मैच होना है। ये मैच दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला जाएगा। लेकिन, इधर इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। पाकिस्तान की पैरोकारी करने वाले लोग ही कह रहे हैं कि भारत को पाकिस्तान से मैच नहीं खेलना चाहिए। क्रिकेट मैच के नाम पर विपक्षी नेता अपनी देशभक्ति निभाने में लगे हैं।
BCCI खुद को मानती है एक प्राइवेट संस्था, ये सरकारी यहीं
सबसे पहले तो बता दें कि भारत में क्रिकेट के प्रशासन व प्रबंधन का काम देखने वाली संस्था ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)’ एक प्राइवेट बॉडी है और स्वतंत्र है। इसे अक्सर केंद्र सरकार के अंतर्गत लाने और RTI के तहत लाने की कोशिश होती रही है। खैर, ये कानूनी मसला है। 2004 में ये अदालत को बता चुका है कि वो किसी भी राष्ट्रीय प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं करता है। ये सरकारी संस्था नहीं है।
लेकिन हां, BCCI के तहत खेलने वाली क्रिकेट टीम ‘टीम इंडिया’ कहलाती है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की महिला एवं पुरुष, दोनों टीमें खेलती हैं। BCCI ‘नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF)’ के अंतर्गत नहीं आता है, लेकिन ये सरकारी अवॉर्ड्स के लिए अपने खिलाड़ियों को नामित कर सकता है। संस्था का कहना है कि ये सरकारी फंडिंग पर निर्भर नहीं है। लेकिन हाँ, जमीन और टैक्स के मामले में इसे छूट मिलती आई है।
पहला सवाल तो यहाँ यही उठ जाता है कि अगर कोई प्राइवेट संस्था अपनी टीम को पाकिस्तान के साथ खिला रही है तो इसमें सरकार की क्या गलती है? खुद BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ल भी कह चुके हैं कि बोर्ड की कुछ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ हैं, जिन्हें पूरा करना पड़ेगा। जम्मू कश्मीर में ताज़ा हत्याओं के बाद ये माँग उठ रही है। ऐसा माँग करने वालों में AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी (AAP) शामिल है।
असदुद्दीन ओवैसी और आतिशी मर्लेना: AIMIM और AAP की नई-नई ‘देशभक्ति’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में हमारे 9 लोग मारे गए हैं और भारत अब पाकिस्तान से T-20 मैच खेलने जा रहा है। AAP की तरफ से विधायक आतिशी मर्लेना ने कहा, “कश्मीर में लोगों पर आतंकी हमले हो रहे हैं। अभी पाकिस्तान से क्रिकेट मैच नहीं होने चाहिए। इससे भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी भी सहमत होंगे। विपक्ष में रहते हुए, वे जब मुख्यमंत्री थे तब भी उनका स्टैंड यही था कि ऐसे माहौल में पाकिस्तान के साथ मैच नहीं होना चाहिए। जब तक भारत की जमीन पर इस तरह के हमले बंद नहीं होते हैं, तब तक इस तरह से मैच खेलना सही नहीं है।”
याद कीजिए, AAP वही पार्टी है जिसके मुखिया ने भारतीय सेना द्वारा जांबाजी से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत माँगा था। कार्रवाई ऐसी होती है। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसी। कार्रवाई केवल कड़ी निंदा और मैच रद्द कर देना नहीं होती। जब असली कार्रवाई होती है तो यही नेता बिलबिला उठते हैं। कश्मीर में हो रही घटनाओं को रोकना और पाकिस्तान को प्रत्युत्तर देना सरकार का मसला है, लेकिन क्रिकेट मैच रद्द कराना जैसी छोटी चीजें नहीं।
भारत और पकिस्तान कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेल रहा है। अगर दोनों के बीच कोई इस तरह की सीरीज हो रही होती, तब विरोध जायज था। भारत ने पाकिस्तान का दौरा भी नहीं किया है। उलटा इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीमों ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द किया तो वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसका दोष भी भारत पर ही मढ़ा। खुद पाकिस्तान कहता है कि ICC में भारत की ही मर्जी चलती है।
क्यों इन नेताओं की बातों में नहीं है दम
अब देखिए, भारत और पाकिस्तान का मैच अगर नहीं हो तो घाटा क्या है। भारत अगर पीछे हटता है तो ICC के नियमों के हिसाब से पाकिस्तान को मुफ्त के 2 पॉइंट्स मिल जाएँगे और वो अंक तालिका में ऊपर हो जाएगा। ऊपर से भारत ये दो अंक गँवा देगा। आज तक किसी भी विश्व कप के मैच में पाकिस्तान भारत को हरा नहीं सका है। ऐसे में ये कहना सुरक्षित होगा कि जीत इस बार भी भारतीय टीम की ही होगी।
पाकिस्तान की स्थिति ये है कि भारत से मैच हारने पर वहाँ टीवी तक फोड़ डाले जाते हैं। ऐसे में क्या पाकिस्तान के पैरोकार मैच रद्द कराने की बात कर के इस्लामी मुल्क की तरफदारी नहीं कर रहे? हाँ, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने भी यही माँग रखी है, लेकिन उनका ये आकलन हो सकता है कि मैच रद्द करने से पाकिस्तान का घाटा होगा।
ओवैसी जैसे लोग जब इस तरह की बात कहें, तब ये शोभा नहीं देता। फरवरी 2020 में इन्हीं असदुद्दीन ओवैसी के मंच से एक महिला ने खुलेआम ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए थे। वो बार-बार ये कह कर अपने ‘एहसान’ की याद दिलाते रहते हैं कि उनके पूर्वजों ने पाकिस्तान की जगह भारत को चुना। उनके भाई अकबरुद्दीन 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने की बात करते हैं। मंशा यही है कि भारत भी पाकिस्तान बन जाए।
और AAP तो अब तक एक तरह से वही करती आई है, जो पाकिस्तान चाहता है। पुलवामा हमले के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तरह-तरह की ‘कॉन्सपिरेसी थ्योरीज’ को जन्म दिया था। अरविंद केजरीवाल ने यहाँ तक भ्रम फैलाया था कि मोदी सरकार के कहने पर पाकिस्तान ने हमला करवाया। पाकिस्तान की एक सुर में जो लोग आलोचना तक नहीं कर पाते, वो मैच के पीछे क्यों पड़े हैं?
यूपीए के काल में होती है ‘क्रिकेट डिप्लोमेसी’, मोदी सरकार Pak पर सख्त
आज यही लोग पाकिस्तान से मैच रद्द करने की बात कर के अपनी ‘बहादुरी’ और ‘देशभक्ति’ दिखा रहे हैं। ‘क्रिकेट डिप्लोमेसी’ तो पहले होती थी। याद है 30 मार्च, 2011? उसी दिन पाकिस्तान को हरा कर भारत क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुँचा और जीता भी। सचिन तेंदुलकर ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ रहे थे। लेकिन, उस मैच में कुछ और भी खास था। यूपीए-2 की ‘क्रिकेट डिप्लोमेसी’ का ये हिस्सा था।
India is not playing a bilateral series with Pakistan, it’s a match in world cup.
— Ankur (@iAnkurSingh) October 19, 2021
But what happened to AAP?
In 2015, Ghulam Ali concert was cancelled in Mumbai due to Pakistan ceasefire violation. Then Kejriwal invited Ghulam Ali to do concert in Delhi. pic.twitter.com/d1Fi6IRzuM
तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के तब प्रधानमंत्री रहे युसूफ रजा गिलानी ने पंजाब के मोहाली स्टेडियम में साथ बैठ कर मैच देखा था। वहीं उन दोनों की वार्ता भी हुई थी और एक-दूसरे देश के क्रिकेटरों से उन्होंने मुलाकात भी की थी। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी, तत्कालीन लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और केंद्रीय राज्यमंत्री रहे सचिन पायलट भी उस दिन हुई हाई-प्रोफ़ाइल डिनर का हिस्सा रहे थे।
जम्मू कश्मीर में जब सेना कड़ी कार्रवाई करती है और आतंकियों को मार गिराती है, तब यही लोग भारत में मुस्लिमों की प्रताड़ना वाला नैरेटिव लेकर आते हैं। इनका मानना है कि आतंकियों को न मारा जाए, लेकिन क्रिकेट मैच न होने की बात कह ये अपनी देशभक्ति दिखाएँ। अगर ये सचमुच पाकिस्तान के खिलाफ हैं तो जम्मू कश्मीर में सेना का उत्साहवर्धन करें और आतंकियों के मारे जाने पर सेना को बधाई दें।
मोदी सरकार तो पाकिस्तान को लेकर हमेशा से सख्त रही है, तभी उसे आज उसी की भाषा में जवाब दिया जाता है। दोनों स्ट्राइक्स भी इसीलिए हुए। फरवरी 2019 में भारत सरकार ने पाकिस्तान को व्यापार में दिया हुआ ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा छीन लिया। संयुक्त राष्ट्र के मंच पर हमेशा पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाता है। सिंधु नदी के पानी के भरपूर उपयोग की योजना भी बन रही है। तभी सीमवर्ती राज्यों को छोड़ कर देश में कहीं पहले की तरह अब बम विस्फोट नहीं होते।