श्री अमिताभ बच्चन जी की एक फिल्म में कुछ दुष्ट लोगों ने उनके हाथ पर लिख दिया था, “मेरा बाप चोर है।” चोर तो बहुतों के बाप होते हैं, लेकिन बहुत कम के बच्चे ऐसे होते हैं जो बाप के जेल में होने के बावजूद उसके शेर होने का दंभ भरते हैं और पूरी दुनिया को गुंडा बताते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति का नाम है तेजस्वी यादव।
बिहार को गाली बना देने वाले अपराधी का लौंडा आज ट्विटर पर लालटेन टाँग कर लिखता है कि वो शेर का बेटा है, गीदड़ भभकी से नहीं डरता। हालाँकि, इस ट्वीट में अपनी आदत, और लालू-राबड़ी के द्वारा पूरी शिक्षा व्यवस्था की माचिस जला कर डाह देने वाले तेजस्वी ने वर्तनी की कोई गलती नहीं की, जो सराहनीय है। हो सकता है कि उसका ट्विटर कोई ऐसा बिहारी हैंडल कर रहा हो जिसकी पूरी परवरिश उसके बाप के दौर के आतंक के कारण बिहार से बाहर हुई हो।
तेजस्वी का घमंड और ख़ानदानी चोर होने के बावजूद ये कॉन्फ़िडेंस बताता है कि डकैतों और घोटालेबाज़ों की डिक्शनरी में लज्जा शब्द की जगह नहीं होती। वैसे भी लालू परिवार में डिक्शनरी जैसी कोई किताब हो, यह मानने में मुझे संदेह है क्योंकि हो न हो इन लोगों ने बिहार के बच्चों के लिए बनी हर किताब पर लालटेन का किरासन तेल डालकर जाड़े में अलाव जला कर ताप लिया होगा।
इस आदमी की धृष्टता तो देखिए कि बाप जेल में है, सुप्रीम कोर्ट ने आज ही उसे याद दिलाया कि वो अपराधी है, और बेटा गुंडों से लड़ने का ऐलान कर रहा है! अरे भाई, बिहार में गुंडे अब बचे कहाँ, सारे तो तुम्हारी पार्टी के काडर हैं जो पिछले कुछ महीनों से शांत बैठे हैं। तुमने दोबारा सत्ता पाते ही जो अपराध का नंगा नाच शुरू किया था, वो 2015 और 2016 में बिहार को दोबारा दिखने लगा था।
बिहार में पैदा हुआ हूँ, सरकारी स्कूल में पढ़ने की ही क्षमता थी, लेकिन कर्ज लेकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई की क्योंकि सरकारी स्कूलों में न तो शिक्षक आते थे, न मकान थे। मेहनत कर के, घर से दूर रह कर, परीक्षाएँ पास कर के सैनिक स्कूल तिलैया तक पहुँचा और जीवन में कुछ ठीक कर पाया हूँ। दुर्भाग्य से इसका श्रेय भी तुम्हारे ही बाप को जाता है। हर छुट्टी इस ख़ौफ़ में बीतती थी कि कब कोई अपहरण कर लेगा, भले ही अगर अपहरण हो जाता तो मेरे माँ-बाप मुझे छुड़ाने के लिए पैसे कहाँ से लाते, ये कोई नहीं जानता।
और तुम दंभ भरते हो कि तुम बिहार की महान माटी के लाल हो! तुमने उतनी पढ़ाई नहीं की है तेजस्वी यादव कि तुम्हें महान या मिट्टी, दोनों में से एक का भी सही अर्थ मालूम हो। तुम और तुम्हारे परिवार ने बिहार की मिट्टी पर मूत्र विसर्जन और विष्ठा करने के अलावा कुछ नहीं किया है। तुम्हारे बाप ने बिहार को तबाही का वो दौर दिखाया है कि वहाँ से और नीचे गिरने का सवाल ही नहीं था। और तुम दंभ भरते हो कि बिहार की महान माटी के लाल हो!
बिहार की मिट्टी से दिनकर जैसे लोग पैदा होते हैं, लालू जैसे घोटालेबाज़ डकैतों को इस मिट्टी से मत जोड़ो। थोड़ी शर्म कर लो यार, बाप जेल में है, इतने समय केस चला और बुढ़ापे में ही सही, सजा तो हुई। लेकिन, बात तो वही है कि अपराध को ग्लैमराइज करके नेतागीरी चमकाने वाले लोग तो इस जेल को बैज ऑफ ऑनर मानते हैं।
यही कारण है कि राबड़ी देवी का ट्विटर अकाउंट है, और वो उससे ग़रीबों के मसीहा और सामाजिक न्याय के पुरोधा लालू के लिए साज़िश और पता नहीं क्या-क्या शब्द बताकर खोते जनाधार को पाने की कोशिश कर रही है। वैसे साज़िश तो लालू-राबड़ी ने बहुत अच्छी रची थी कि किसी भी बिहारी को ढंग की शिक्षा ही न मिले, उसे नकारा बनाए रखो, और गरीबी-निचली जाति-आरक्षण की बातें कह कर उसके वोटों का दोहन करते रहो।
बीस साल तुम्हारे परिवार ने बिहार को तबाह किया। तुम में दो पैसा शर्म होती तो किसी गुमनाम देश की नागरिकता लेकर, मुँह छुपाकर जीवन व्यतीत कर रहे होते। लेकिन जिनके घरों में चोरी ही मेन्स्ट्रीम हो, ईमानदारी एक अवांछित अवगुण, तो शर्म काहे आएगी।
स्कूटर पर भैंस ढोने वाले परिवार की जीनियस संतान आखिर पोस्टरों पर लिखे जयघोषों का सहारा नहीं लेगी तो जाएगी कहाँ! साथ ही, मैं फिर से दावे के साथ कह सकता हूँ कि तेजस्वी यादव की औक़ात नहीं है वो दो वाक्य हिन्दी या भोजपुरी भी सही से लिख ले। ये जो लिखवाया भी होगा तो उसी व्यक्ति से जिसका भविष्य लालू-राबड़ी के अंधकार युग में बर्बाद हो रहा होगा, और उसके घरवालों ने उसे बाहर पढ़ने भेजा होगा।
वैसे मुझे नेताओं के निरक्षर होने पर कोई समस्या नहीं है, लेकिन जिसके बाप के कारण पूरा राज्य अशिक्षा के अंधेरे में जीने को मजबूर हो, उसके ऊपर तंज करने का मुझे पैदाईशी हक है क्योंकि उसके परिवार द्वारा लगाए गए हर अवरोध को पार करने के बाद मैं इस स्तर पर पहुँचा हूँ कि दो लाइन लिख और बोल सकूँ। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
ये भी बड़ी अच्छी बात है कि इन्होंने अपनी पार्टी का चिह्न भी लालटेन चुना है। आप सोचिए कि जिसका विजन बल्ब तक जा ही ना रहा हो, वो आखिर राज्य का भविष्य कहाँ तक ले जाएगा। बत्ती, किरासन तेल, काँच और उसका कमज़ोर फ़्रेम राजद की राजनीति और विजन के बारे में बहुत कुछ कहता है। ये ऐसे ग़ज़ब के लोग हैं कि अगर इन्हें पानी का स्रोत चुनाव चिह्न में रखना होता तो ये नदी की जगह नाली या सड़के के गड्ढे में जमा पानी को चुन लेते।
खैर, लालू की देन यही है कि बिहारियों को चाणक्य, पतंजलि, आर्यभट्ट, अशोक, चंद्रगुप्त, राजेन्द्र प्रसाद, दिनकर, गौतम बुद्ध, महावीर, गुरु गोविंद सिंह, पार्श्वनाथ, नालंदा, पाटलिपुत्र के गौरवशाली इतिहास को भुलाकर बिहारी होने पर शर्म महसूस करने पर मजबूर कर दिया। उस पाटलिपुत्र और बिहार से संबंध बताने पर झिझक होने लगी जो ऐसी महान विभूतियों की जन्म और कर्मस्थली रही। उस पाटलिपुत्र और बिहार से खुद को जोड़ने पर दो बार सोचना पड़ता था जिसने महानता के अलावा और कुछ देखा ही नहीं था।
और तुम, तेजस्वी यादव तुम, बिहार की महान माटी से खुद को जोड़ रहे हो? शर्म नहीं आई ट्वीट करते हुए? बाप के कारनामे याद नहीं आए? उँगलियाँ नहीं काँपी तुम्हारी टाइप करते हुए? तुम और तुम्हारा परिवार कलंक है बिहार के नाम पर। चुल्लू भर पानी लो और नाक डुबाकर मर जाओ। राजनीति ही है कि तुम्हारे जैसे लोग पब्लिक में आज भी खड़े हो लेते हैं, ट्वीट करते हैं वरना अगर हमारी न्याय व्यवस्था ने थोड़ी और कड़ाई दिखाई होती, सरकारों ने तुम्हारे परिवार के खिलाफ केस को द्रुत गति से आगे किया होता, तो तुम अठारह साल के होते ही जेल में होते, सपरिवार।
इसलिए, लोगों को ठगना बंद करो। नारेबाज़ी और दूसरों से पोस्टर बनवा कर, खुद के महान होने का घमंड मत करो, अपने वृद्ध अपराधी पिता को देखो जो जेल में सजा काट रहा है। जो बोया है, वो काटना पड़ेगा। समय का पहिया घूमता रहता है, भले ही तुम्हारे परिवार के लोग उस पहिए पर किरासन डालकर लालटेन से आग लगाने की बहुत कोशिश कर चुके। समय रुकता नहीं, समय बदलता है।
मैं बिहार से हूँ। किसान का बेटा हूँ। तुम्हारे जैसे लौंडों की दो कौड़ी की राजनीति और बयानबाज़ी आए दिन देखता रहता हूँ जिनकी एक मात्र उपलब्धि किसी का बेटा या बेटी होना है। तुम लालू के बेटे हो इसलिए तुम्हें पार्टी और पद मिला है। वरना, सड़क पर भीख माँगने जाओगे, तो तुम में वो क़ाबिलियत भी नहीं है कि कोई कटोरे में सिक्का डाल दे।
अंत में, एक बात और, अगर बिहार में सच में गुंडे बचे होते, और उनमें थोड़ा भी ज़मीर होता तो तुम्हें सड़क पर पटक कर, तुम्हारी बाँह पर वही गोद देते, जो अमिताभ के हाथ पर किसी ने गोदा था, “मेरा बाप चोर है।”
नोट: बाप शब्द के प्रयोग से जिनको आपत्ति है वो नब्बे के दशक में जन्मे किसी बिहारी से चर्चा कर लें।