Sunday, November 17, 2024
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वे POK क्रिकेट लीग के चीयरलीडर्स, इधर कश्मीर पर भी बजाते हैं ‘अमन’ का झुनझुना: Pak वालों से ही सीख लो सेलेब्रिटियों

सीरियल में हिन्दू आरती दिखाए जाने पर शाहिद अफरीदी टीवी ही फोड़ डालते हैं। हरभजन और युवराज सिंह इसी शाहिद अफरीदी के NGO के लिए दान माँगते हैं। बस यही तो है अंतर।

पाकिस्तान ने अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर में ‘कश्मीर प्रीमियर लीग’ के आयोजन का ऐलान किया है। 6 अगस्त, 2021 से इसका आयोजन होना है। इसे ‘अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC)’ की मान्यता नहीं है। ये एक अवैध कब्जे वाले प्रदेश में हो रहा। लेकिन, इसके बावजूद रहत फ़तेह अली खान, शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर जैसे बड़े नाम इससे जुड़े हुए हैं। असल में भारत के सेलेब्स को इनसे सीखने की ज़रूरत है। आइए, बताते हैं क्यों।

राहत फ़तेह अली खान: KPL के एंथम को दी है आवाज़

सबसे पहले बात करते हैं राहत फ़तेह अली खान की। बड़े गायक हैं, जिन्हें बॉलीवुड ने खूब प्यार दिया है। बॉलीवुड ही नहीं, भारत के लोग भी उनके गानों पर खूब थिरके हैं। खासकर सलमान खान की फिल्मों में उनके गाने ‘तेर-मेरी’, ‘तेरे मस्त-मस्त दो नैन’, ‘तेरे नैना बड़े कातिल’, ‘सुरीली अँखियों वाले’ और ‘जग घुमया’ काफी लोकप्रिय हुए। कहते हैं जब वो मुंबई में उपलब्ध नहीं होते थे कि भारतीय संगीतकार उनसे गवाने के लिए दुबई तक जाया करते थे।

राहत फ़तेह अली खान के बारे में बता दें कि उन्होंने ही KPL का एंथम गाया है। ये वही गायक हैं, जिन्होंने 2010 में 15 और 2012 में 12 भारतीय फिल्मों ने गाने दिए थे। जिस देश ने उन्हें लगभग दो दशकों तक दाना-पानी दिया, उसके खिलाफ प्रोपेगंडा फैलाने के लिए उसकी ही अवैध कब्जे वाली जमीन पर हो रहे एक क्रिकेट लीग में गाने से पहले उन्होंने पल भर भी नहीं सोचा। क्यों? उनकी उनकी श्रद्धा इस्लाम और पाकिस्तान पर है।

राहत फ़तेह अली खान को अब भी भारत में गाने मिलते रहेंगे, ऐसा नहीं है कि भारत के खिलाफ प्रोपेगंडा को अपनी आवाज़ देने के बाद भारतीय संगीतकार उनकी आवाज़ से तौबा कर लेंगे। बिलकुल नहीं। ‘अरे, संगीत का कोई मजहब और सीमा थोड़े होती है’ कह कर उनके कई गाने बॉलीवुड में अब भी लाए जा सकते हैं। सिर्फ आवाज़ ही नहीं, ‘खेलो आज़ादी से’ वाले KPL के एंथम वीडियो में राहत फ़तेह अली खान खुद भी हैं।

वो मस्ती में शाहिद अफरीदी के साथ थिरकते हुए दिख रहे हैं। जब उनका जिक्र हो रहा है तो ये याद दिलाना ज़रूरी है कि जब भारत के गायन में उनका सबसे अच्छा समय चल रहा था, तब फरवरी 2011 में उन्हें दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया था। ये वही साल था, जब फिल्मफेयर वालों ने उन्हें ‘इश्किया’ के गाने ‘दिल तो बच्चा है जी’ के लिए साल के सर्वश्रेष्ठ गायक का ख़िताब दिया था।

लेकिन, उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया था? उनके पास $1,24,000 (आज की तारीख़ में 92.07 लाख रुपए) मिले थे। उनके साथ उनके ट्रूप के कई साथी भी थे। नियम था कि एक विदेशी नागरिक $5,000 से ज्यादा कैश लेकर यात्रा नहीं कर सकता। भारतीय रुपयों को अमेरिकी डॉलर में बदलने के लिए भी अवैध माध्यमों का इस्तेमाल किया गया था। उससे पहले भी उन्हें लेकर विवाद हुआ था, जब गुरगाँव में एक शो में करार कर के भी वो नहीं आए थे।

शोएब अख्तर: KPL के ‘पीस एम्बेसडर’

शोएब अख्तर को ‘कश्मीर प्रीमियर लीग (KPL)’ का ‘पीस एम्बेसडर’ बनाया गया है। कभी अपनी तेज़ गति की गेंदबाजी के लिए मशहूर रहे शोएब अख्तर भले ही क्रिकेट से रिटायर हो गए हों, लेकिन बात जब अपने मुल्क का समर्थन करने की हो तो वो ये नहीं देखेंगे कि क्या सही है और क्या गलत। पाकिस्तान गलत है, लेकिन तब भी वो इस आयोजन का हिस्सा बने हैं। उनका कहना है कि वो लड़ने-लड़ाने से ज्यादा खेल-कूद में विश्वास रखते हैं।

भारत सही भी रहता है तो भी यहाँ के सेलेब्स अपने देश का समर्थन करने से हिचकिचाते हैं। वो हजार बार सोचेंगे कि कैसे पोलिटिकली करेक्ट रहा जाए, पाकिस्तान को नाराज़ न करने वाले बयान नहीं दिए जाएँ और एक कूटनीतिज्ञ की तरह व्यवहार किया जाए। न पाकिस्तान से उन्हें एक ढेला कमाई होती है और न ही वो उनका अपना देश है, लेकिन पाकिस्तान की आतंकी हरकतों की निंदा की जगह ‘फर्जी शांति’ का संदेश देने में बॉलीवुड और भारतीय सेलेब्स पास हैं।

शोएब अख्तर ये सब नहीं सोचते। उनके पास पाकिस्तान और इस्लाम से इतर कुछ भी करने के लिए समय नहीं। जो इन दोनों को स्वीकार्य नहीं, वो शोएब अख्तर को भी स्वीकार नहीं। अब वो ज्ञान दे रहे हैं कि वो नफरत से ज्यादा मोहब्बत पर विश्वास रखते हैं, इसीलिए ‘पीस एम्बेसडर’ रहे हैं। अब तो उन्होंने BCCI पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि KPL तो शांति के एक पुल की तरह है। ज़ाहिर है, वो शांति की बात तभी करेंगे जब प्रोपेगंडा उनका देश फैला रहा हो।

शाहिद अफरीदी: कट्टर मुस्लिम, कट्टर पाकिस्तानी

शाहिद अफरीदी के बारे में बात करने से पहले उनके बारे में एक रोचक बात बता दें कि उन्होंने अपनी बेटियों को हिंदुस्तानी सीरियल देखने और हिंदू धर्म के अनुसार आरती किए जाने का अनुसरण करने पर गुस्से में अपने घर का टीवी ही तोड़ दिया था। यानी, इस्लाम से समझौता नहीं, भले ही कोई कुछ अच्छा ही क्यों न कर रहा हो। ये उस बॉलीवुड के लिए सबक है, जो आज तक ब्राह्मणों/साधुओं को नकारात्मक दिखाता आ रहा है और मौलानाओं को इंसानियत की मूरत।

शाहिद अफरीदी को KPL की टीम ‘रावलकोट हॉक्स’ का कप्तान बनाया गया है। राजनीति के लिए एक लीग का आयोजन हो रहा है और जो उसका विरोध कर रहे हैं, उन पर ही शाहिद अफरीदी ने खेल और राजनीति को मिक्स करने का आरोप मढ़ दिया। इसे कहते हैं आत्मविश्वास। और भारतीय सेलेब्स क्या करते हैं? हरभजन सिंह और युवराज सिंह जैसे लोग अपने प्रशंसकों को कहते हैं कि शाहिद अफरीदी के NGO को रुपए दान करो।

कश्मीर को लेकर तो शाहिद अफरीदी हमेशा से अपने मुल्क के वैश्विक प्रोपेगंडा का हिस्सा रहे हैं। क्या आप सोच भी सकते हैं कि आमिर खान कभी किसी अंतररष्ट्रीय मंच पर जाकर ये कहें कि पाकिस्तान कश्मीर से अपना अवैध कब्ज़ा हटाए? हमारी जमीन होने के बावजूद वो ऐसा कभी नहीं कहेंगे। लेकिन, शाहिद अफरीदी को पता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन वो वही बात बोलेंगे जो पाकिस्तान का रुख होगा।

शाहिद अफरीदी को KPL का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया गया है। उनका कहना है कि BCCI कुछ भी कह ले, इससे इस शो के आयोजन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वो तो मुजफ्फराबाद भी पहुँच गए हैं, लीग के आयोजन से पहले। वहाँ से तस्वीरें भी पोस्ट कर रहे। उन्हें चिंता नहीं कि भारत में मुझे जानने वाला फलाँ क्या सोचेगा, क्योंकि सवाल मुल्क के प्रोपेगंडा का है। भारतीय सेलेब्स देश के लिए सही बात बोलने के लिए भी सोचेंगे कि पाकिस्तान के किसी गाँव में बैठा उनका कोई फैन नाराज़ न हो जाए।

पाकिस्तानी सेलेब्स से सीखने की ज़रूरत है भारत के सेलेब्स को

कम से कम इन पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज से बॉलीवुड व भारतीय क्रिकेट के लोग ये तो सीख ही सकते हैं कि अपने देश के लिए मुखर होकर आगे कैसे आया जाता है। जब वो गलत का बचाव कर सकते हैं, हमें तो भला सच्चाई का बचाव करना है। अभी एक KPL की निंदा करते हुए आपने किसी एक भारतीय क्रिकेटर या बॉलीवुड हस्ती की ट्वीट देखी? नहीं न। बस, यही तो अंतर है। पाकिस्तान को भला वो कैसे नाराज़ कर सकते हैं?

भारत विरोधी गतिविधियों का हब बन चुके तुर्की में अपनी फिल्म की शूटिंग कर के आमिर खान वहाँ के पर्यटन को बढ़ावा देते हैं और वहाँ की फर्स्ट लेडी से मुलाकात करते हैं। लेकिन, यही आमिर खान इजरायल के प्रधानमंत्री से इसीलिए मिलने नहीं जाते हैं, क्योंकि इनकी कौम नाराज़ हो जाएगी। इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री जनवरी 2018 में भारत आए थे तो तीनों खानों ने उनसे मुलाकात करने से इनकार कर दिया था। इससे इस देश को लेकर उनकी सोच पर क्या असर पड़ेगा, उन्होंने ये नहीं सोचा।

अंतर ये है कि देशहित के मुद्दों पर पाकिस्तानी सेलेब्स बहस वगैरह में नहीं पड़ते, जो रुख उनके मुल्क का है वही उनका भी होता है। भारत के खिलाफ बोलने के लिए वो ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ या फालतू की बहस में नहीं पड़ते, भले ही उनका देश आतंकवाद का निर्यातक ही क्यों न हो। हम पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से दशकों से पीड़ित हैं, लेकिन फिर भी कोई भारतीय सेलेब पाकिस्तान पर उँगली नहीं उठा सकता।

हमारे सेलेब तो पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में उतरने में सरकार और देश के आधिकारिक बयान के विरोध में भी खड़े हो जाते हैं, लेकिन पाकिस्तान का कोई भी सेलेब्रिटी कभी भी आर्थिक मोर्चा हो या फिर राजनीतिक, अपने मुल्क व वहाँ की सरकार का साथ नहीं छोड़ सकता। भारत में किस तरह से पाकिस्तानी कलाकारों की पैरवी की जाती है, ये किसी से छिपी नहीं है। भले ही सीमा पर जवान उसी पाकिस्तान के कारण बलिदान हो रहे हों।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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