ऐसा नहीं है कि ये लोग मूर्ख हैं जो कॉन्ग्रेस को भारत का माय-बाप बताते रहते हैं। मतलब, प्रियंका गाँधी को छोड़ दिया जाए, जिन्होंने हाल ही में हमें बताया था कि माचिस से मिसाइल तक सब उनके परनाना की और कॉन्ग्रेस की देन है, तो बाकी लोग, ऑन पेपर, ठीक ही लगते हैं।
पीसी चाको कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता हैं, और उन्हें लगता है कि कॉन्ग्रेस ने भारत को जन्म दिया है, इसलिए भारत को ‘ऑब्लाइज्ड’ होना चाहिए पार्टी के लिए। हिन्दी में वो यह कहना चाह रहे हैं कि भारत देश की जनता कॉन्ग्रेस और गाँधी परिवार के टुकड़ों पर पलती है। लगातार तीन बार, एक ही वाक्य में चाको ने बताया कि गाँधी परिवार ही भारत की ‘फ़र्स्ट फ़ैमिली है’। आप उनका ट्वीट पढ़ लीजिए तो पता चल जाएगा कि ढलती उम्र और सत्ता से दूरी इन्सान को किस स्तर तक गिरा सकती है।
#WATCH Congress leader PC Chacko says, "PM Modi has negative opinion for the first family of India, the first family of India is truly the first family of India. India is obliged to them… India is India today because of the planning and leadership of Pandit Jawaharlal Nehru…" pic.twitter.com/lOK9ztpcEj
— ANI (@ANI) March 30, 2019
चाको और चाको टाइप्स लोग, चाटुकारिता और परिवार के गुणगान से ही नजर में बने रहना चाहते हैं। वो भूल चुके हैं कि समय बदल गया है और गाँधी चालीसा का पाठ उन्हें सोनिया और राहुल की नज़र में तो ‘अले मेला बच्चा’ तक तो पहुँचा देगा लेकिन भारत की जनता से नहीं बचाएगा जिसने नेहरू और नकली गाँधियों के कुकर्मों को लगातार झेला है।
पीसी चाको ने जो कहा है उसे पढ़ कर घिन आती है। एक सांसद राजनीति को किसी परिवार की बपौती बताता है, और देश के तमाम संस्थानों को धता बताकर एक परिवार की बात ऐसे करता है मानो नेहरू ने कुदाल चलाया था, फिर सोना निकला और फिर उन्होंने सड़कें बनवा दीं। चाको जैसे चिरकुट नेता यह भूल जाते हैं नेहरू ने बिना कुदाल चलाए ही सोना निकाला, और उसे अपने परिवार को पालने में लगा दिया।
ये पैसा देश का था, नेहरू को लोगों ने प्रतिनिधि बनाया था, राजा नहीं। कॉन्ग्रेस के इन चंपक नेताओं को लगता है कि नेहरू ने अपने बाप की संपत्ति से देश का कल्याण किया है जबकि बात इसके उलट है कि नेहरू, उनकी बेटी, उनके बेटे, उनकी पत्नी और उनके बेटे ने लगातार इस देश को लूटा है, नोंचा है, घसीटा है और उसकी स्थिति ऐसी कर दी कि वो वृहद् समाज में सहजता से खड़ा भी न हो सके।
एक तरफ मोदी है जो खुद को नौकर कहता फिरता है, दूसरी तरफ ये चमन नेता हैं जिनके लिए संविधान, चुनाव और लोकतंत्र की जगह फ़र्स्ट फ़ैमिली का क्यूटाचार है। मेरी समझ में यह नहीं आता कि ये लोग मुँह खोलते ही क्यों हैं? आखिर ऐसी क्या ज़रूरत है मुँह से विष्ठा करने की?
चाको जैसे कलाकार कॉन्ग्रेस को भारत का सबकुछ बताने पर ही नहीं रुकते, वो बताते हैं कि राहुल गाँधी का पूरा परिवार प्रधानमंत्री रहा है, या वैसे काम करता रहा है, तो देश चलाने का हुनर उसमें पैदाइशी है। इस बात पर कई कॉन्ग्रेसी चाटुकार पागल हो रहे होंगे कि आखिर ये बेहतरीन लाइन उनके मुँह से क्यों नहीं निकली!
आप ज़रा सोचिए कि ये मानसिकता कहाँ से आती है? आप गौर कीजिए कि ये आदमी कॉन्ग्रेस का प्रवक्ता है, सांसद रह चुका है, मंत्री रह चुका है। ये आदमी इस तरह की बेहूदी बातें कैसे कर सकता है! फिर याद आता है कि कॉन्ग्रेस का ही तो है, राहुल गाँधी में ये नहीं झूलेगा तो क्या भाजपा समर्थक झूलेंगे? लोकसभा से तो रास्ता सँकड़ा हो ही चुका है कॉन्ग्रेसियों का, अब राज्यसभा का सहारा है कहीं-कहीं से।
ऐसे में इस स्तर से भी ऊँचे स्तर की बात तो यही बची है कि कॉन्ग्रेस के नेहरू जी की ही देखरेख में चाको साहब पैदा हुए थे। चिरकुट चाको जैसे नेता ही कॉन्ग्रेस की विरासत हैं इस देश के लिए। ऐसे नेताओं का होना बहुत जरूरी है क्योंकि पता चलता रहता है कि जब मोदी कहता है कि कॉन्ग्रेस को भी कॉन्ग्रेस की मानसिकता से मुक्त होना चाहिए, तो उसका अर्थ यही होता है।
चाको जी, चाटिए… जीभ पर सरेस काग़ज़ यानी सैंड पेपर रख कर चाटिए, इतना चाटिए कि लाल करके ख़ून निकाल दीजिए अपने नेताओं का, लेकिन देश को बख़्श दीजिए। देश कॉन्ग्रेस के बाप की जागीर नहीं है, देश ने कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियाँ पैदा की हैं, तोड़ी हैं, और गायब की हैं।