कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इन दिनों दुबई के दौरे पर हैं। राहुल यहाँ न सिर्फ पीएम मोदी पर हमला बोल रहे हैं बल्कि गाँधी के विचारों, देश की सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को भी चोट पहुँचा रहे हैं। दुबई में भारतवंशियों को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने न सिर्फ ये साबित किया कि उन्हें दर्शन शास्त्र का थोड़ा भी ज्ञान नहीं है, बल्कि ये भी साबित किया कि उन्हें महात्मा गाँधी के अहिंसा के बारे में भी कुछ पता नहीं। दरअसल राहुल गाँधी यहाँ लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहे थे और कह रहे थे कि महात्मा गाँधी ने प्राचीन भारतीय दर्शन, इस्लाम, जूडाइजम से अहिंसा की विचारधारा को लिया है। यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि राहुल ने एक बार भी यह नहीं कहा कि अहिंसा का मूल मंत्र हिंदू धर्म से ही होकर गुजरता है।
ऑडियंस देखकर बोलते हैं राहुल गाँधी
राहुल गाँधी कब क्या बोल जाते हैं, ये उन्हें ही नहीं पता होता है। तभी तो हिंदू शास्त्रों और जैन दर्शन से उठाए गए अहिंसा के पाठ को इस्लाम, जूडाइजम, क्रिश्चैनिटी से जोड़ दिया। राहुल की मानें तो महत्मा गाँधी ने पाश्चात्य संस्कृति से अहिंसा का पाठ पढ़ा। कमाल की बात है कि जिन अंग्रेज या इस्लामी आक्रांताओं से भारत को लंबे समय तक जूझना पड़ा है, आज राहुल गाँधी ने राजनीति करते हुए उन्हें ही अहिंसा का क्रेडिट दे दिया।
Mahatma Gandhi picked up Non-violence from Ancient Indian philosophy…???Doesnt it have a name?We call it Sanatana Hindu Dharma,Sir!JaneuDhari @RahulGandhi ashamed of uttering the word Hindu but willing to spell out Islam,Christianity,Judaism?@rvaidya2000 pic.twitter.com/p1R7fof7I7
— MALAVIKA AVINASH (@MALAVIKAAVINASH) January 13, 2019
भारतीय दर्शन के ‘धर्म दर्शन’ में ‘धर्म’ और ‘रिलीजन’ की अलग ही थ्योरी है। उसमें कहा गया है कि ‘सनातन धर्म’ ही एक मात्र धर्म है, बाकी सभी ‘रिलीजन’ हैं। जिस पाश्चात्य दर्शन ने हमसे अहिंसा का पाठ पढ़ा और सीखा, राहुल गाँधी उनसे महात्मा गाँधी के अहिंसा के पाठ की तुलना कर रहे हैं! ये न सिर्फ भारतीय दर्शन का अपमान है बल्कि महात्मा गाँधी का अपमान भी है। अब सवाल उठता है कि देश में हिंदू धर्म की दुहाई देने वाले और जनेऊ पहनकर खुद को हिंदू कहने वाले राहुल गाँधी विदेश में जाकर वहाँ के ऑडियंस के हिसाब से क्यों बोलने लगते हैं?
जनेऊधारी राहुल को हिन्दू शब्द से इतना परहेज़ क्यों
देश में रहकर खुद को हिंदू धर्म का रक्षक और रहनुम़ा कहने वाले राहुल भी समय के साथ एक दम बदल जाते हैं। उन्हें पता है कि अवसर का फायदा कैसे लेना है। देश में रहने पर न मालूम उनके अंदर कहाँ से देशभक्ति जाग जाती है। शायद बहुसंख्यकों का वोट उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है। तभी तो सोमनाथ मंदिर में जाकर राहुल गाँधी मंदिर के रज़िस्टर में ग़ैर हिंदू के तौर पर एंट्री करते हैं और तिलक लगाते हुए जनेऊ धारण करके खुद को विशुद्ध हिंदू बताते हैं। लेकिन जैसे ही वो विदेश के दौरे पर होते हैं, वहां के बहुसंख्यकों से ताली बजवाने के लिए ऊल-जलूल कुछ भी बोलते हैं। भले ही वो अहिंसा का गलत पाठ पढ़ाना या हिंदू धर्म का अपमान करना क्यों न हो।