बड़े-बड़े घोटालों में सफलतापूर्वक अपना नाम दर्ज कराने के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी का इन दिनों एक नया चेहरा देखने को मिल रहा है। इस नए चेहरे में कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी कभी देश को जागरूक करते दिखते हैं तो कभी प्रेरणादायी भाषण देते हुए। राहुल कभी नागरिकों को मतदाता होने की ताकत याद दिलाते हैं, तो कभी समाज के सताए लोगों (विशेष रूप से पत्रकार) की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उनकी देश की प्रति बढ़ती निष्ठा को देखकर ऐसा लगता है जैसे वो मान चुके हैं कि इन सब चीज़ों को करने से अगस्ता वेस्टलैंड जैसे घोटालों का भार उन पर से उतर जाएगा।
जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं। राहुल की पीआर नीतियाँ और भी पारदर्शी होती जा रही है। हमेशा राफेल डील की रट्ट बाँधकर पीएम को दोषी दिखाने वाले राहुल गाँधी इन दिनों समाज के लिए खुद को मसीहा बताने में जुटे हुए हैं। क्योंकि, शायद वो अब समझ चुके हैं कि जनता को मोदी के ख़िलाफ़ भड़का कर लोकसभा में सीटें हासिल नहीं होने वाली हैं। वैसे तो 2014 के बाद से वो टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में भी खड़े दिखाई दिए थे लेकिन अब वो मानवता का प्रत्यक्ष चेहरा बनकर उभर रहे हैं। जैसे कल (अप्रैल 4, 2019) वो वायनाड पहुँचे यहाँ पर उन्होंने और उनकी बहन प्रियंका गाँधी ने एक्सीडेंट में घायल पत्रकार की मदद की और खूब सुर्खियाँ बटोरीं। राहुल घायल पत्रकार को स्ट्रेचर पर सहारा देते हुए नज़र आए तो प्रियंका उनके जूते संभालते नज़र आईं।
The media bus met with an accident at the end of @RahulGandhi‘s roadshow in Wayanad. Few journalists were hurt.
— Srivatsa (@srivatsayb) April 4, 2019
Both RG and @priyankagandhi rushed to help them. pic.twitter.com/ijEOu8px25
जाहिर है चारों तरफ मौजूद कैमरों ने राहुल गाँधी के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी की छवि को भी उठाया। जिसका असर कल सोशल मीडिया पर देखने को मिला। मोदी सरकार के आने के बाद जो लोग लोकतंत्र पर खतरा बता रहे थे वो कल इस घटना पर राहुल-प्रियंका के सहयोग को लोकतंत्र का और मीडिया का संरक्षक बताकर कई लोगों को संवेदनाओं के बारे में समझा रहे थे। खैर, ये पहली बार नहीं था कि राहुल ने पत्रकारों की मदद के लिए पहले से मौजूद रहे हों। इससे पहले भी एक पत्रकार की मदद करते हुए उनकी वीडियो वायरल हो चुकी है।
याद दिला दें इस वीडियो में राहुल गाँधी एक्सीडेंट में चोटिल पत्रकार को अपनी बुलेटप्रूफ गाड़ी में अपने साथ बैठाकर ले जाते नज़र आ रहे थे। इस वीडियो में राहुल पत्रकार के माथे को साफ़ करते भी दिखे। इस वीडियो को 5 सेकेंड तक देखने पर आपके भीतर खुद ही राहुल के लिए प्यार उमड़ पड़ेगा जैसे कल के बाद अभी भी उमड़ रहा होगा। लेकिन वीडियो को थोड़ा सा आगे देखने पर आपको इसकी गंभीरता का अंदाजा होगा।
“Sir, dobara kijiye, media ke liye isko kaam mein lunga…”
— ChowkidaRatty (@YearOfRat) March 27, 2019
By god, “Krantikari, bahut krantikari” wala scene yaad aa gaya. https://t.co/fU41SYuJVj
दरअसल, इस वीडियो में चोटिल राजेंद्र खुद राहुल गाँधी को दुबारा से रुमाल फेरने को कहते हैं। ताकि वो उसे अपने मीडिया चैनल पर भेजकर राहुल के लिए जनमत निर्माण कर सकें।
Journalist Rajender Vyas met with an accident. Congress President stop his cavalcade and took him to Aiims. pic.twitter.com/p7q1Vk1fFO
— Aadesh Rawal (@AadeshRawal) March 27, 2019
यह नौटंकी से भरे पत्रकार की नाकामी कहिए या राहुल की गलत पीआर नीति। न राहुल को इसका फायदा पहुँचा और न ही उस पत्रकार को। क्योंकि अब पाठक खुद तय करता है कि वीडियो में निहित भावों की गंभीरता और प्रामाणिकता क्या है।
चुनाव के मद्देनजर ये सच है कि अमेठी को छोड़कर वायनाड से नामांकन करना राहुल के लिए गले में फँसी हड्डी जैसा है। उन्हें भी मालूम है कि चुनावों में भले ही उनके भाषणों और नीतियों का जादू चले न चले, लेकिन कैमरे के सही इस्तेमाल से जनता जरूर आकर्षित होती है।
लेकिन राहुल को समझने की भी जरूरत है कि अब देश की जनता इतनी जागरूक हो चुकी है कि उन्हें मालूम है विश्व भर में पीआर के क्षेत्र में संभावनाएँ ऐसे ही नहीं विकसित हुईं है। अधिकतर लोग इन दोनों घटनाओं के बारे में जानते हैं कि घटना स्थल पर राहुल की मौजूदगी और उनकी संलिप्ता इन्हीं की जनमत निर्माण नीतियों का नतीजा है।