Sunday, November 17, 2024
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गरीबों को गारंटी करके न्यूनतम आमदनी देंगे: राहुल गाँधी का ‘ऐतिहासिक निर्णय’

राहुल गाँधी को सिर्फ़ घोषणा करने की जगह पूरा प्लान बताना चाहिए कि ये संभव कैसे होगा। सिक्किम एक छोटा राज्य है, वहाँ की सामाजिक स्थिति अलग है, तो वहाँ की सरकार इस पर सोच सकती है। लेकिन, पूरे देश के गरीबों को ये सुविधा देना, अर्थ व्यवस्था पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल सकता है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में आम जनता को कर्ज़माफ़ी के वायदे करके जीतने वाले राहुल गाँधी ने नया चुनावी दाव फेंका है। इस बार उन्होंने एक ‘ऐतिहासिक निर्णय’ लिया है कि 2019 चुनाव जीतने के बाद वो गारंटी के साथ हर गरीब व्यक्ति को एक न्यूनतम आमदनी दिलवाएँगे।

राहुल गाँधी की इस घोषणा को कॉन्ग्रेस पार्टी के हैंडल से ट्वीट किया गया जहाँ उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है कि 2019 चुनाव जीतने के एकदम बाद कांग्रेस पार्टी गारंटी करके न्यूनतम आमदनी देने जा रही है।”

‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जहाँ सरकार अपने नागरिकों के लिए एक तय राशि उपलब्ध कराती है जिससे उनका जीवन चलता रहे और उन्हें बुनियादी परेशानियाँ न हों। इस सन्दर्भ में सिक्किम की सत्ताधारी पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में इसका ज़िक्र किया है।

राहुल गाँधी का यह कदम सतही तौर पर सुनने में अच्छा लगता है लेकिन उनके इस बयान से उनकी आर्थिक समझ पर भी सवाल खड़े होते हैं। जहाँ सरकारें लगातार फ़िस्कल डेफिसिट को तय दायरे में रखने में जूझती रही हैं, वहाँ इस तरह की बात करना लुभावनी खोखली घोषणा से ज़्यादा कुछ भी नहीं।

भारत में गरीबों के लिए सब्सिडी वाली तमाम योजनाएँ हैं जो उन्हें कम दाम पर अनाज से लेकर, घर, बिजली, पानी और गैस तक उपलब्ध करा रहे हैं। वैसे ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान योजना है जहाँ उनका मुफ़्त उपचार संभव है।

इसके ऊपर से इस तरह की बात करना, और कोई आँकड़ा न देना कि अगर ऐसा होता है तो वो इसे कैसे करेंगे, बताता है कि उनकी समझ में समस्या है। दूसरी बात यह भी है कि राहुल गाँधी के परिवार और पार्टी द्वारा शासित इस देश में आज भी ‘गरीबी हटाओ’ के वेरिएशन में नारे और घोषणाएँ क्यों हैं?

गरीब हैं इस देश में, और उन्हें मनरेगा के तहत रोज़गार देने से लेकर आवास, शौचालय, बिजली, अनाज, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कई योजनाएँ हैं जो उन्हें धीरे-धीरे स्वाबलंबी बनाने की ओर ले जाने वाले हैं। जबकि, हमारे समाज में चुनावों में हर चीज फ़्री में देने के बाद, अब हर महीने एक तय राशि की गारंटी की बात करना न तो आर्थिक रूप से संभव दिखता है, न ही गरीबों के भविष्य के लिए सही होगा।

हाँ, अगर उन्हें दी जाने वाली सब्सिडी से इसके लिए पैसा उपलब्ध कराया जाए तो एक बार ऐसा सोचा भी जा सकता है। राहुल गाँधी को सिर्फ़ घोषणा करने की जगह पूरा प्लान बताना चाहिए कि ये संभव कैसे होगा। सिक्किम एक छोटा राज्य है, वहाँ की सामाजिक स्थिति अलग है, तो वहाँ की सरकार इस पर सोच सकती है। लेकिन, पूरे देश के गरीबों को ये सुविधा देना, अर्थ व्यवस्था पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल सकता है।

शुरुआत के लिए उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करना चाहिए, और फिर लोगों को समझाना चाहिए कि ये करना भी है, तो कॉन्ग्रेस की तरह करो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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