Thursday, November 21, 2024
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भगवा कुर्ता, शिखा… पैसे लेकर बना देता है IPS: मिथिलेश मांझी की जिस कहानी को बिहार पुलिस ने पाया फर्जी, उस पर बनी फिल्म में विलेन ‘चोटीवाला’

शुरुआत में मिथलेश ने जो फर्जी कहानी सुनाई थी उसमें एक कैरेक्टर था जिसने उसे ठगा। पुलिस जाँच के बाद भले ही सामने आ गया कि ऐसा कोई व्यक्ति असल में था ही नहीं। मगर, फिल्म बनाने वावों ने इस फिल्म में वो किरदार जोड़ा है और इसे किसी ठग की वेशभूषा पहने नहीं दिखाया गया बल्कि इसे भगवा रंग के कुर्ते में और शिखा के साथ दिखाया गया है।

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक मिथलेश मांझी नाम के लड़के के फर्जी आईपीएस बनकर घूमने का मामला का खूब वायरल हुआ था। मिथलेश मांझी आईपीएस की वर्दी पहन जगह-जगह घूमता था। जब एक दिन उसे पुलिस ने पकड़ा तो उसने थाने में बताया कि किसी ने उससे 2.5 लाख रुपए लिए थे और उसे ये कह दिया था कि वो अब आईपीएस बन गया है। शुरू में लोगों को उस लड़के पर दया आई कि किस तरह कोई गाँव के एक लड़के ठग सकता है। हालाँकि बाद में जब पुलिस ने इस मामले की छानबीन की तो पता चला कि मिथलेश मांझी ने पूरी कहानी फर्जी गढ़ी थी और वो खुद ही पुलिस की यूनिफॉर्म सिलवाकर घूमता था।

फर्जी आईपीएस की फर्जी कहानी पर छपी थी रिपोर्टें

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर तमाम तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिलीं। पहले जहाँ लोग उसपर तरस खा रहे थे वहीं हकीकत सामने आने बाद में उसका मजाक उड़ने लगा। कायदे से मामला पूरी तरह फर्जीवाड़े का था जिसमें मिथलेश को पुलिस ने फटकार भी लगाई थी कि 420 करने के आरोप में अंदर डाल सकते हैं… उस समय शायद पुलिस से छूटने के लिए मिथलेश ने माफी भी माँगी हो या दोबारा ऐसा न करने की कसम भी खाई हो। लेकिन पुलिस से छूटने के बाद ही मिथलेश सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने वालों के लिए कंटेंट बन गया और उसके झूठ को मेकर्स ने खूब भुनाना शुरू कर दिया।

पुलिस की वर्दी पहन झूठी कहानी गढ़ने वाले मिथलेश को देखते ही देखते हीरो बना दिया गया। मिथलेश ने अपना यूट्यूब चैनल खोल लिया ‘Viral IPS Mithlesh’ के नाम से। इसके बाद पहले भोजपुरी इंडस्ट्री ने उसे ‘हीरो’ बनाते हुए उसपर गाना बनाया और फिर अब पता चला है कि उस लड़के की कहानी को यूट्यूब पर बाकायदा फिल्म बनाकर रिलीज किया जाने वाला है। फिल्म का टीजर भी आ गया है, जो इस समय खासी चर्चा में है। इसे विशाल म्यूजिक नाम के यूट्यूब चैनल रिलीज किया गया है।

अब आम दर्शकों को शायद लगे कि भोजपुरी गाने की तरह ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन और पैसे के लिहाज से बनाई गई है, लेकिन हकीकत तो ये है इस फिल्म में चुपके से हिंदू घृणा फैलाने का भी काम हुआ है। कहाँ? आइए बताएँ…

दरअसल, शुरुआत में मिथलेश ने जो फर्जी कहानी सुनाई थी उसमें एक कैरेक्टर था जिसने उसे ठगा। पुलिस जाँच के बाद भले ही सामने आ गया कि ऐसा कोई व्यक्ति असल में था ही नहीं। मगर, फिल्म बनाने वावों ने इस फिल्म में वो किरदार जोड़ा है और इसे किसी ठग की वेशभूषा पहने नहीं दिखाया गया बल्कि इसे भगवा रंग के कुर्ते में और शिखा के साथ दिखाया गया है।

नीचे तस्वीर में आप फिल्म का दृश्य का स्क्रीनशॉट देख सकते हैं।

भगवा रंग और शिखा को फोकस में रखकर दिखाया गया है। मेकर्स ने ऐसा किस मंशा से किया इसका जवाब छिपा नहीं है। हिंदू घृणा से सनी मानसिकता के अलावा यूट्यूब के छोटे-छोटे कलाकार उस बॉलीवुड की कॉपी करने की पूरी कोशिश करते हैं जो साधु-संतों से जुड़ी इस वेशभूषा का मजाक दशकों से बनाता आया है।

बॉलीवुड फिल्मों में सनातन को किया गया बदनाम

आपको याद है पुरानी फिल्मों में किस तरह से फिल्मों में जब विलेन बनाए जाते थे तो उनकी माथे पर तिलक लगा दिया जाता था। धीरे-धीरे हिंदू धर्म का, हिंदू देवी-देवताओं का, धर्म के प्रतीकों का बॉलीवुड में मजाक बनने लगा और सब चुप रहे। किसी को समझ तक नहीं आता था कि इसका प्रभाव समाज पर क्या हो रहा है।

आमिर खान की ‘पीके’ फिल्म में हमने साफ तौर पर हिंदू देवी-देवताओं का मखौल उड़ते देखा, फिर अक्षय कुमार की भूल भुलैया फिल्म में छोटे पंडित के किरदार में ब्राह्मणों की ‘शिखा’ का मजाक उड़ाया गया… जहाँ मजाक उड़ाना संभव नहीं हुआ, वहाँ घृणा फैलाई गई। हिंदू संतों को धोखेबाज, ठग, अत्याचारी, दुराचारी और बलात्कारी तक दिखाया गया।

हिंदू संतों को मीट माँस खाते दिखाकर ऐसा चित्र गढ़ा गया कि एक लोगों के मन में छवि बैठ जाए कि संत बाहरी दुनिया में कुछ और निजी जीवन में कुछ होते हैं। ‘काली’ जैसी सीरिज में देवी को सिगरेट पीते दिखाया गया, अन्नापूर्णा माता के नाम पर बनाई गई फिल्म में लड़की को बिरयानी बनाते और नमाज पढ़ते दिखाया गया। सोशल मीडिया पर स्वास्तिक के निशान को नाजी का निशान बताया जाने लगा।

यहाँ तक क्रिएटिविटी के नाम पर हिंदू घृणा से सने विज्ञापन तैयार हो गए। ‘कन्यादान’ जैसी रीति को बदलने का प्रयास हुआ। बेलगामी में हिंदू संतों को बिरयानी का शौकीन दिखाया गया। कुंभ के मेले को ऐसी जगह दिखाई गई जहाँ बच्चे अपने माता-पिता को छोड़ चले जाते हैं। चाय से लेकर सर्फ बेचने के नाम पर ऐसे एड बनाए गए जिसमें हिंदुओं को असहिष्णु और मुस्लिमों को सौहार्द बनाए रखने वाला दिखाया गया।

इतना ही नहीं जिन फिल्मों में हिंदुओं को पॉजिटिव रूप में दिखाया गया उसमें जरा सा इस्लामी सोच का छौंक जरूर लगा दिया गया ताकि अगर कोई हिंदुत्व को लेकर अपनी सोच निर्मित करे तो किसी और समुदाय को कम न समझे…बजरंगी भाईजान, तानाजी, चक दे इंडिया जैसी फिल्मों में दिखाए गए किरदार इसके उदाहरण हैं।

बॉलीवुड के असर आम लोगों पर

बॉलीवुड की ऐसी हरकतों का असर आम लोगों पर क्या हुआ इसे सोच भी नहीं सकता। आम जीवन से लेकर राजनीति तक में इसका घटिया प्रभाव है। 2021 में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को चोटीवाला राक्षस कहा था। आपको क्या लगता है कि ये ‘चोटीवाला राक्षस’ शब्द ने अचानक जन्म लिया होगा।

नहीं। बॉलीवुड के परोसे गंद का असर था कि ब्राह्मणों की शिखा का इस्तेमाल एक ठग को दिखाने के लिए किया गया।। अब इसी शिखा को लेकर मजाक सोशल मीडिया पर बनने लगा है। एक मनगढ़ंत विलेन को पर्दे पर दिखाने के लिए भगवा कुर्ते का प्रयोग किया जा रहा है। ऐसी रील बनाई जाती हैं जहाँ जनेऊधारी, तिलक धारी हँसी का पात्र बना दिए जाएँ या फिर समाज के लिए खतरा। वहीं दूसरे पक्ष को समाज के रक्षक के तौर पर पेश किया जाता है।

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