Sunday, December 22, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देचलती से दौड़ती हिंदी, 1965 वाली बिंदी नहीं रही अब हिंदी: एक-दूसरे से जुड़े...

चलती से दौड़ती हिंदी, 1965 वाली बिंदी नहीं रही अब हिंदी: एक-दूसरे से जुड़े हिंदुस्तान, हिंदी भाषा और हिंदी का बाजार

हरिवंश राय बच्चन का लिखा है- तुमने हमें पूज-पूज कर पत्थर कर डाला; वे जो हमपर जुमले कसते हैं हमें ज़िंदा तो समझते हैं। हिंदी का सच भी कुछ ऐसा ही है। हिंदुस्तान, हिंदी भाषा और हिंदी का बाजार एक-दूसरे से जुड़े हैं और भविष्य में बढ़ते ही जाएँगे।

संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इसी स्मृति में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

आधुनिक हिंदी की बात की जाए तो इस पर महावीर प्रसाद द्विवेदी का बड़ा प्रभाव है। ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक के रूप में वह अपने समय (1903-1920) पूरे हिंदी साहित्य पर छाए रहे। उनकी वजह से ब्रज भाषा हिंदी कविता से हटती गई और खड़ी बोली ने उसका स्थान लिया। हिंदी भाषा को स्थिर, परिष्कृत एवं व्याकरण सम्मत बनाने के लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किया। संस्कृत के तत्सम शब्द उस समय से भाषा से हटते चले गए और उनकी जगह उर्दू, फ़ारसी का प्रयोग शुरू हुआ। आजकल भी लेख की शुरुआत परिचय कराते हुए की जाती है, इस परिचयात्मक शैली का प्रयोग उन्होंने ही शुरू किया था।

विश्व में कितनी लोकप्रिय है हिंदी

  • मॉरीशस में हिंदी खासी लोकप्रिय है, जापान में हिंदी की पढ़ाई वर्षों पहले शुरू कर दी गई थी।
  • पिछले साल भारत के शीर्ष राजनयिक अमित कुमार ने कहा था कि अमेरिका में नौ लाख से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं।
  • वर्ल्ड डाटा डॉट इंफो के अनुसार विश्वभर में 566.5 मिलियन लोग हिंदी भाषी हैं।
  • फिजी में 3,92,000 लोग हिंदी बोलते हैं तो न्यूज़ीलैंड में 81,000

समृद्ध होती हिंदी, लेकिन व्याकरण भी जरूरी

कोरोना काल में बहुत से नए शब्द हिंदी में शामिल हुए और आमजन के बीच लोकप्रिय भी होते गए। मीडिया के द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने की वजह से सोशल डिस्टेंस, वेबिनार, इम्युनिटी पॉवर, वायरस, वॉरियर्स, पॉजिटिव, क्वारंटीन, आइसोलेशन जैसे शब्द हिंदी में ही लिखे जाने लगे। जैसे भारत में विश्व की अलग-अलग संस्कृति से आने के बाद भी लोग भारतीय बन गए, वैसे ही हिंदी में भी दूसरी भाषाओं के शब्द शामिल होने के बाद हिंदी के ही हो गए।

संविधान में हिंदी की समृद्धि

अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो वहाँ उसके शब्द भण्डार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।

गहन है यह अन्धकारा के लेखक डॉ. अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि व्याकरण प्रधान भाषा में होनी चाहिए। स्कूल्स की जगह स्कूलों कहने का अंतर समझ, हिंदी का अधिक प्रसार किया जा सकता है। हिंदी पर लिखी उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ भी हिंदी के लिए कुछ ऐसा ही कहती हैं;
संगीत वाद्य हिंदी
सबकी आराध्य हिंदी
बस पूर्ण हो कि इतनी
साधन और साध्य हिंदी

1965 वाली बिंदी नहीं रही अब हिंदी

1965 में अंग्रेज़ी के पर कटने थे और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनना था पर दक्षिणी राज्यों के विरोध के कारण हिंदी को मात्र राजभाषा तक सीमित रहते हुए अंग्रेज़ी के साथ अपनी कुर्सी बाँटनी पड़ी थी। अब स्थिति वह नहीं है। हिंदी पूरे देशभर में अंग्रेज़ी की तरह ही रोज़गार देने वाली भाषा के रूप में सामने आई है। यह अंतर वर्ष 1990 के बाद से मीडिया में हिंदी बाज़ार के आधिपत्य की वज़ह से सम्भव हुआ है।

हिंदी की लोकप्रियता और इसमें रोज़गार के अवसरों का अंदाज़ा हम टेलीविजन, इंटरनेट और शिक्षा में हिंदी के आधिपत्य को देखकर लगा सकते हैं। 1959 में दूरदर्शन के रूप में हिंदी का पहला टेलीविजन चैनल आया तो 1999 में पहला हिंदी वेब पोर्टल ‘वेबदुनिया’। आज हिंदी मनोरंजन, चलचित्र, संगीत, समाचार, खेल स्वास्थ्य, धर्म से जुड़े चैनलों की संख्या 100 से अधिक है तो हजारों हिंदी वेब पोर्टल भी इंटरनेट की दुनिया में अपना अधिकार जमाए हुए हैं। स्टेटिस्ता डॉट कॉम के अनुसार भारत में फरवरी 2021 के दौरान ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले यूजरों की संख्या 17.5 मिलियन, इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 210 मिलियन, फेसबुक के 410 मिलियन और वाट्सएप यूजरों की संख्या 530 मिलियन है।

मोबाइल में आसानी से हिंदी टाइप करने की सुविधा ने हर उम्र के लोगों तक इसकी पहुँच बना दी है। कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग ज्यादा बढ़ गया और हिंदी के अधिक प्रचार-प्रसार में मदद मिली। हिंदी में पोस्ट लिखने पर आजकल लोग गर्व महसूस करते हैं। ओटीटी प्लेटफार्मों को भी सिनेमा हॉल बंद रहने की वजह से फायदा हुआ और हिंदी कंटेंट बनाने/देखने वालों की भरमार हो गई है। निर्विवाद रूप से हिंदी और उसके बाज़ार को इससे फायदा हुआ। शॉपिंग वेबसाइट अमेज़न ने वर्ष 2018 में अपनी वेबसाइट में हिंदी की सुविधा दी तो फ्लिपकार्ट ने वर्ष 2019 में यह कहते हुए हिंदी सेवा शुरू की कि इससे उनके साथ 20 करोड़ अतिरिक्त ग्राहक जुड़ेंगे।

रोज़गार के अवसर तो हर साल बढ़ रहे

वर्ष 2018 और 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र बनने वाली नेट परीक्षा में हिंदी विषय के अभ्यर्थियों की संख्या से हम हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का पता कर सकते हैं। दिसम्बर 2018 की नेट परीक्षा में सामान्य श्रेणी से कॉमर्स में उत्तीर्ण 2991 छात्रों के बाद सबसे ज्यादा 1513 छात्र हिंदी के ही थे। 2019 की परीक्षा में यह आँकड़ा बढ़ते हुए कॉमर्स में 3770 तो हिंदी में 1972 पहुँच गया था। जानने वाली बात यह भी है कि इसमें पत्रकारिता के हिन्दीभाषी अभ्यर्थियों के आँकड़े शामिल नहीं हैं।

अब पहले जैसा कुछ नहीं

‘मुझे चाँद चाहिए’ को लेकर पहचाने जाने वाले लेखक सुरेंद्र वर्मा ने एक शोधार्थी से खुद पर शोध किए जाने के बदले 25 हज़ार रुपए माँगे। शोधार्थी ने यह सोचकर कि पैसे माँगने पर लोग लेखक के खिलाफ खड़े हो जाएँगे, उनकी पैसे माँगते वीडियो वायरल कर दी। लेकिन हुआ इसके विपरीत। सारे लेखक सुरेंद्र वर्मा के पक्ष में आ गए और सबको यह बता दिया कि समय अब पहले सा नहीं रहा। हिंदी लिखने-पढ़ने वालों की अब माँग है और उसके लिए पैसे भी देने पड़ेंगे।

नई शिक्षा नीति, सेलेब्रिटी कर सकते हैं मदद

नई शिक्षा नीति से भी हिंदी को फायदा मिलेगा। स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा। पाँचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई का माध्यम बनेगी।

क्या उत्तर, क्या दक्षिण। भारत में जनता खिलाड़ियों और अभिनेताओं को आदर्श मानती है। बालों का स्टाइल हो या खेल, उनके आदर्श जो करते हैं वह ट्रेंड बन जाता है। यह आर्दश हिंदी को बढ़ावा देंगे तो निश्चित ही इसमें और अधिक अवसर बढ़ेंगे।

ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा के चर्चे आजकल देशभर में हैं। ख़ासकर युवाओं के बीच वह ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। उनका हिंदी के प्रति प्रेम युवाओं को हिंदी के प्रति आकर्षित करने में मदद करेगा। अपने एक पुराने साक्षात्कार में उन्होंने जतिन सप्रू से हिंदी में सवाल पूछने के लिए कहा था तो एक स्पोर्ट्स लिटरेरी फेस्टिवल में भी वह एक पत्रकार से हिंदी में सवाल पूछने के लिए कहते दिखे। अमिताभ बच्चन हो या वीरेंद्र सहवाग दोनों अपने ट्वीट अधिकतर हिंदी भाषा में ही करते दिखते हैं। अमिताभ बच्चन का तो ट्विटर बॉयो भी हिंदी में ही है।

हरिवंश राय बच्चन का लिखा है- तुमने हमें पूज-पूज कर पत्थर कर डाला; वे जो हमपर जुमले कसते हैं हमें ज़िंदा तो समझते हैं। हिंदी का सच भी कुछ ऐसा ही है। हिंदुस्तान, हिंदी भाषा और हिंदी का बाजार एक-दूसरे से जुड़े हैं और भविष्य में बढ़ते ही जाएँगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नाम अब्दुल मोहसेन, लेकिन इस्लाम से ऐसी ‘घृणा’ कि जर्मनी के क्रिसमस मार्केट में भाड़े की BMW से लोगों को रौंद डाला: 200+ घायलों...

भारत सरकार ने यह भी बताया कि जर्मनी में भारतीय मिशन घायलों और उनके परिवारों से लगातार संपर्क में है और हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।

भारत में न्यूक्लियर टेस्ट हो या UN में दिया हिंदी वाला भाषण… जानें अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन कैसे दूसरे नेताओं के लिए भी...

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक सशक्त राजनेता थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि, एक दूरदर्शी विचारक और एक फक्कड़ व्यक्तित्व के धनी थे।
- विज्ञापन -