आज पूरी दुनिया कोरोना जैसी भीषण महामारी से जूझ रही है, लड़ रही है। दुनिया का शायद ही ऐसा कोई कोना बचा होगा, जहाँ ये महामारी ना पहुँची हो। सभी पीड़ित राष्ट्र अपने-अपने तरीकों से अपने लोगों को बचाने में लगे हुए हैं। भारत समेत कई सारे राष्ट्र इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन की खोज में भी लगे हुए है परंतु अभी तक कुछ ठोस नहीं हो पाया है।
सारे पीड़ित राष्ट्रों में पीपीई किट एवं मास्क की बढ़ती माँग को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस संदर्भ में भारत अग्रणिम राष्ट्रों में से एक है, जिसने चीन से लेकर कई सारे राष्ट्रों की मदद की है। भारत विश्वगुरु की तरह ये मदद अभी भी कर रहा है। अभी हाल ही में भारत ने अमेरिका, ब्राजील एवं कई पड़ोसी मुल्कों की हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा की माँग को पूरा किया है। किसी राष्ट्र ने भारत को जबरदस्त दोस्त, तो किसी ने PM मोदी को प्रभु हनुमान का नाम दे दिया। यहाँ हमारे प्रधानमंत्री का अलग रूप देखने को मिलता है, जिसे अगर मानवता का दैवीय रूप कहें तो अतिरेक ना होगा।
ये तो रही बात दवा एवं बीमारी की, जो फिलहाल बेहद महत्वपूर्ण बात है। लेकिन एक और सबसे महत्वपूर्ण बात है जिसकी तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा वो है कि जब भारत समेत पूरी दुनिया लॉकडाउन मोड में है तो क्या ये न सोचा जाए कि कोई भूख से ना मरे? जरूरतमंद लोगों की कतार बड़ी लंबी है, जो भूख से परेशान हैं।
लॉकडाउन की वजह से गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के पास रोजी-रोटी के साधन छिन गए हैं। ये वो लोग हैं, जो रोज कमाते और उसी कमाई से रोज खाते हैं। इन्हें आप चाहे तो दिहाड़ी का मजदूर भी कह सकते हैं। जिनके पास कोई बैंक बैलेंस नहीं होता है। ये तबका हमेशा चोट खाता है। आज फिर से इन्हें चोट खानी पड़ रही है परंतु इस बार दोष सरकार का नहीं बल्कि इस गंभीर बीमारी का है, जिसने लोगों में त्राहिमाम जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के अनुरूप हमेशा की भाँति इस विपरीत परिस्थिति में बहुत लोग सड़कों पर आकर गरीब एवं जरूरतमंद लोगों में खाना एवं जरूरत की चीजों को बाँट रहे हैं। हर कोई अपने-अपने तरीकों से गरीब एवं असहाय की मदद कर रहा है। इस पंक्ति में कई सारे व्यक्ति, नेता, समाज सेवक, समाजसेवी संस्था, व्यापारी शामिल हैं।
परंतु कुछ लोगों का तो प्रयास ही अनूठा है, जिसमें बीजेपी के नेशनल गुड गवर्नेंस सेल के प्रमुख, राज्यसभा सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे का नाम अग्रणी है। आप यूँ भी कह सकते हैं कि इनका प्रयास सबसे अलग है। इनका प्रयास दो स्तरों पर जारी है:
पहला प्रयास वो जो काफी लोगों से मेल खाता है और वह है लोगों हेतु भोजन एवं जरूरत की चीजों की व्यवस्था करना। डॉ विनय सहस्रबुद्धे के निर्देशन में दिल्ली के करीब 1700-2000 गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन मुफ्त भोजन वितरित किया जा रहा है। इस संदर्भ में गुड गवर्नेंस सेल के सदस्य वीरेंद्र सचदेवा की अहम भूमिका है, जिन्होंने दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 में एक स्पेशल किचन तैयार करवाया है। यहाँ दिन-रात काम जारी है।
मयूर विहार के किचन में प्रतिदिन जरूरत के हिसाब से खाने के पैकेट्स तैयार किए जाते हैं और इसे दिल्ली के विभिन्न इलाकों की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब और जरूरतमंद लोगों में वितरित किया जाता है। समय-समय पर डॉ विनय सहस्रबुद्धे इस किचन का दौरा भी करते रहते हैं और उसी के अनुरूप जरूरी दिशा-निर्देश भी देते रहते हैं।
यह पुनीत कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद से ही प्रारंभ कर दिया गया था। तब से ही भोजन वितरण काम शुरू कर दिया गया था। भोजन के अलावा जो जरूरत की चीजें जरूरतमंद लोगों के बीच बाँटी जाती है, उनमें दाल, चावल, तेल, मसाले व अन्य चीजें भी शामिल हैं।
बात इतने से ही नहीं रुकती। डॉ विनय के निर्देशन में इंडियन सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी नेटवर्क (आईएसआरएन) नाम की संस्था भी काम कर रही है। ये संस्था आनंद विहार और अन्य जगहों पर लोगों में जरूरत की चीजों का वितरण करवा रही है। साथ ही साथ, इस संस्था ने एक ‘वॉलिंटियर रिज़र्व फोर्स’ का गठन भी किया है। जो लोग इस संकट की घड़ी में समाज और देश के लोगों की मदद करना चाहते हैं, वे इस प्लेटफॉर्म से जुड़ कर मदद कर सकते हैं।
और सबसे अंत में डॉ विनय सहस्रबुद्धे के दूसरे अनूठे प्रयास की कहानी। इसका भी उद्देश्य वही है, यानी समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की मदद, जिसे महान विचारक स्वर्गीय दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय की संज्ञा दी है। इस नए तरह के प्रयास/व्यवस्था के माध्यम से लोग मदद प्राप्त भी कर भी सकते हैं और मदद कर भी सकते हैं।
इसमें एक अलग तरीके के प्लेटफॉर्म की स्थापना की गई है, जहाँ दो तरह के लोगों को आपस में कनेक्ट किया जा रहा है। एक वो जो सहायता पाना चाहते हैं और दूसरे वो जो सहायता करना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इसे “सीकर्स एंड गिवर्स” प्लेटफॉर्म के नाम से भी समझा जा सकता है। इस अनूठे प्लेटफॉर्म का नाम “आई-कैन: इंडिया को-विन ऐक्शन नेटवर्क (I-CAN: India Co-Win Action Network)” है, जिसे डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने दो संस्थाओं (अटल इन्क्यूबेशन सेंटर-रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी एवं कनेक्टिंग ड्रीम्स फाउंडेशन) के संयुक्त माध्यम से लॉन्च किया है।
अब तक 25 राज्यों से करीब 2,000 से ज्यादा कोविन वॉरियर्स (सहायता देने वाले) इस प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। साथ ही साथ करीब 25,000 जरूरतमंद लोगों को मदद भी मिल चुकी हैं। डॉ विनय का उद्देश्य बड़ा ही पुनीत है और वो यह है कि “कोई भी भूखा ना रहे। वो प्रधानमंत्री मोदी के उद्देश्य “सबका साथ, सबका विकास” को लेकर सदैव आगे बढ़े हैं। और आज एक बार फिर इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वो बहुतेरे कदम उठा रहे हैं, जो कि सराहनीय है।