स्कूल के जमाने में ऐसा होता था कि जो सबक याद न हो उसे बार बार दोहराने को कहा जाता था। पढ़ाई से छुट्टी तभी मिलती थी जब सबक याद हो जाए। इस मामले में कुछ शायर उल्टा सोचते हैं, वो कहते हैं कि –
मकतब ए इश्क का दस्तूर निराला देखा,
उसको छुट्टी न मिली जिसको सबक याद हुआ!
(*मकतब – स्कूल, पाठशाला)
जीवन शायरी के हिसाब से नहीं चलता, यहाँ जो आप नहीं सीखेंगे, वो बार-बार दोहराया जाएगा। नमूने के तौर पर पृथ्वीराज चौहान की कहानी को लीजिए। इस जानी-मानी कहानी में घोरी जब पृथ्वीराज से हारा तो राजा पृथ्वीराज उसे जिन्दा भाग जाने देते हैं।
बाद में जब घोरी जीत जाता है तो वो कोई दरियादिली दिखाने की बेवकूफी नहीं करता। चंदबरदाई की रचना के मुताबिक काफी यातनाओं से पीड़ित, अंधे कर दिए गए पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण से घोरी को मार गिराते हैं। इस कहानी से वैसे तो दुश्मन को अधमरा न छोड़ने की सीख दी जाती है। “घर का भेदी लंका ढाए” कहकर जयचंद की याद भी दिलाई जाती है, मगर इस कहानी में बीच का एक हिस्सा और भी है। पृथ्वीराज पर जीत पाते ही घोरी रुका नहीं था। उसने सबसे पहले जयचंद का ही सफाया किया था।
अब जब अपनों का साथ छोड़कर परायों से हाथ मिलाने का ये नतीजा याद आ गया हो तो कहानियों के दौर से वापस आज के युग में लौटते हैं। आक्रमणकारियों ने हाल ही में दक्षिण भारत के सबरीमाला मंदिर पर चढ़ाई की थी। हजारों श्रद्धालुओं ने डटकर इन हमलावरों का मुकाबला भी किया था। इन हमलावरों का साथ देने वाले घर के भेदियों में से प्रमुख थी बिन्दु थनकम कल्याणी नाम की एक महिला। अक्टूबर 2018 की बाईस तारीख को इस दस्यु ने जबरन सबरीमाला मंदिर में घुसने की असफल कोशिश की थी।
इसने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया नाम के एक मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन और अपने पति पर अब अपनी बेटी को अगवा करके उसका धर्म परिवर्तन कर डालने का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि उसके पति ने चंद नोटों के बदले अपनी बेटी का धर्म परिवर्तन करवाना स्वीकार कर लिया। पहले तो वो बेटी को छुट्टी के बहाने अपने साथ ले गया और फिर लौटाने से इनकार कर दिया। बिन्दु का कहना है कि इसी बीच बेटी का स्कूल भी बदलवा कर एक मुस्लिम स्कूल में भर्ती करवा दिया गया है।
अब उसकी बेटी बुर्के में स्कूल जाती है और उसे बेटी से मिलने से रोकने के लिए एसडीपीआई के गुंडे छोड़ दिए गए हैं। बारह साल की उनकी बेटी भूमि से उन्हें चार महीने से मिलने नहीं दिया गया। सबरीमाला में घुसने की कोशिश करने वाली बिन्दु थनकम कल्याणी का कहना है कि उनके पति ने भी उन्हें मारा पीटा है। वो राज्य के कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगा रही हैं। ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि कॉमरेड मुख्यमंत्री उनकी कितनी मदद करेंगे।
बाकी पृथ्वीराज – जयचंद – घोरी की कहानी में से जयचंद का क्या हुआ था, ये याद रखना भी जरूरी है। इतिहास खुद को दोहराता रहता है वाली जो कहावत है, वो यूँ ही तो नहीं बनी होगी न?