भारत में कई दूसरी चीज़ों के अलावा दवा-दारू के विज्ञापनों पर भी प्रतिबन्ध है। इसका नतीजा क्या होता है? दोनों ही चीज़ें बनाने वाली कंपनियाँ दूसरे तिकड़म लगाती हैं। जहाँ दवाओं वाले डॉक्टर से साठ-गाँठ, उपहार जैसी चीज़ों के सहारे चल जाते हैं, वहीं दारू वाली कंपनियाँ दूसरी धूर्तता करती हैं। सीधे-सीधे शराब का विज्ञापन देने के बदले वो पानी-सोडा और म्यूजिक सीडी बेचने लगती हैं!
हमारी रूचि विज्ञापनों में रहती है तो हम एक “मेन विल बी मेन” वाला प्रचार देखते हैं। इस मजेदार प्रचार में होता क्या है कि पुरुष बेचारा हमेशा वैसी मूर्खताएँ करता दिखता है, जैसा आम तौर पर पुरुष करते रहते हैं। प्रचार ख़त्म होने पर पता चलता है कि मुर्खता क्या थी, और साथ ही कहा जाता है “मेन विल बी मेन”! इस सीरीज जैसे विज्ञापन में सारे प्रचार ऐसे ही होते हैं।
अब जैसे इसके एक प्रचार में दिखाते हैं कि कोई लिफ्ट है, जिसमें एक सुन्दर सी युवती घुस रही होती है। दो पुरुष उस लिफ्ट में पहले से दोनों किनारों की ओर खड़े अपने अपने मोबाइल में लगे होते हैं। अपने दफ्तर का फ्लोर आते ही जैसे ही वो लड़की उतरती है, वैसे ही दोनों साँस छोड़ते हैं और तब पता चलता है कि दोनों के दोनों इतनी देर से अपनी तोंद अन्दर किए साँस रोके खड़े थे! नेपथ्य से आवाज आती है – मेन विल बी मेन!
खैर आज जो इसी श्रृंखला का प्रचार याद आया, उसमें एक व्यक्ति हीरे की अंगूठी खरीद रहा होता है। सेल्समेन उसे एक बढ़िया अंगूठी दिखा कर पूछता है, किस मौके पर देनी है सर? वो बताता है कि पत्नी के जन्मदिन पर, और ये सुनते ही सेल्समेन कहता है, फिर तो बढ़िया पीस चुना है सर, पाँच कैरट का हीरा! वो बिलकुल बेचने वालों की मुस्कान के साथ पूछता है कब है जन्मदिन? जवाब मिलता है, कल था! सुनते ही सेल्समेन की शक्ल उतर जाती है। वो दूसरी अंगूठी उठाता है, कहता है, दस कैरट है, और ऐसे सर हिलाता है जैसे कह रहा हो, इतना तो लगेगा ही! नेपथ्य से आवाज आती है – मेन विल बी मेन!
तो मामला ये है कि तनिष्क जैसी दुकानों से जेवर कौन खरीदता है? ये या तो वो पुरुष होंगे जिन्हें उपहार में देना है, डबल इनकम नो किड (डीआईएनके) या एकल परिवार वाले भी हो सकते हैं। जो संयुक्त परिवारों में रहे स्त्री-पुरुष हैं, उन्हें अपने इलाके के स्थानीय सुनार की पैरोकारी करते आप कभी भी देख सकते हैं। वो #VocalForLocal वाले अलग-अलग जगहों के स्थानीय डिजाईन पर जोर देती स्त्रियाँ होंगी। हमने अपनी बहनों से आभूषणों का पूछा तो फ़ौरन बंगलौर के मल्लपुरम गोल्ड एंड डायमंड और कोलकाता के पीसी ज्वेलर का नाम पता चल गया।
अब सवाल है कि ऐसे में बायकॉट का तनिष्क पर क्या असर होगा? तो जिन भक्तों की औकात सोना खरीदने की नहीं थी, जिनके शोर मचाने से कुछ नहीं होता, उनके #BoycottTanishq ट्रेंड करवा देने भर से 1256 से गिरकर शेयर की कीमत 1224 पर पहुँच गई, जिसका मतलब मोटे तौर पर 2.58 प्रतिशत की गिरावट हुई है। जो कहने आ रहे होंगे कि मार्केट कई चीज़ों पर निर्भर करता है, उन्हें बताते चलें कि निफ्टी में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई है। हाँ लेकिन इतने पर अगर कंपनी सोच रही है कि मामला निपट चुका तो वो ग़लतफ़हमी में है। अभी #VocalForLocal बाकी है।
बायकॉट की आवाज लगाने वालों को भी सोचना होगा कि क्या उनकी आवाज सुनी भी जा रही है? जैसे एक बार के विरोध से कइयों की नौकरियाँ जा चुकी हैं, वैसा कुछ हमारे विरोध से होता भी है या चार दिन में मामला ठंडा पड़ जाने दिया जाता है? क्या विरोध दर्ज करवाने से ज़ोमेटो ने अपनी हरकतें सुधारीं या आप फिर से ज़ोमेटो से खाना मँगवाने लगे हैं?
सर्फ एक्सेल के विरोध का क्या हुआ? लगातार अलग-अलग मंचों से इस सांस्कृतिक उपनिवेशवाद का विरोध हुआ भी है या हम किसी और शबाना बनी शालिनी की मौत का इन्तजार करते रहने वाले हैं? अपने विरोध को किले की घेराबंदी जैसा स्थाई रूप देने पर भी हमें विचार करना ही होगा।
बाकी के लिए इस बार अपने स्थानीय सुनार को भी मौका दीजिए! इस धनतेरस में उसे भी तो दीपावली मनाने का मौका मिलना चाहिए ना? हॉलमार्क जैसे मानकों से लैस कई सुनार आपके आस-पास होंगे। इनके बदले, कम से कम इस बार तो उनके पास जाइए!