Friday, October 18, 2024
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मुस्लिम मुल्कों में चलता है ‘झटका’ मांस? मक्का-मदीना के रास्ते में हाजियों को थूक वाला पानी पिलाते हैं हिन्दू? देवी-देवताओं के नाम से इतना प्यार है तो कर लो घर-वापसी

मुजफ्फरनगर के हाईवे NH 58 पर स्थित 'ओम शिव वैष्णव ढाबा' चलता है जिसका मालिक मोहम्मद आदिल है। खुलासा होने के बाद आजकल इसने अपने ढाबे का नाम बदलकर 'वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा' कर दिया है। हर की पैड़ी पर बहुत सारे भोजनालय चलते हैं जबकि उनके मालिक भी मुस्लिम है।

हम कई बार इस बात को देख चुके हैं कि काँवड़ यात्रा के दौरान मजहबी भीड़ काँवड़ियों के ऊपर हमले भी करते हैं, उनके रास्ते में मांस भी फेंकते हैं और यही नहीं, भगवान शिव और उनके पूरे परिवार का मजाक भी बनाते हैं। इन्हीं सबके मद्देनज़र इस प्रकार के सांप्रदायिक दंगों और झगड़ों से निपटने के लिए मुजफ्फरनगर प्रशासन ने एक नियम बनाया कि रास्ते में जितने भी ठेले और ढाबे आदि होंगे वो सब अपने सही और असली नाम के साथ ही दुकान लगाएँगे ताकि किसी भी प्रकार से भक्तों को असुविधा ना हो।

और, यह नियम किसी एक मजहब के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक दुकानदार के लिए है। क्योंकि, कई बार इस बात को देखा गया है कि तीर्थयात्री काँवड़िए वहाँ पर जाकर भोजन तो कर लेते हैं लेकिन बाद में पता लगता है कि यह तो कोई ‘थूक नान’ स्पेशलिस्ट वालों का ढाबा था। मुजफ्फरनगर प्रशासन के इसी नियम पर बहुत सारे ऐसे सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब देना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मुस्लिम लोगों द्वारा अपने ढाबों पर बनाए जाने वाले खानों में थूकने के कई वीडियो सामने आए हैं।

हमने रोटियों पर थूकते हुए कई वीडियो देखे हैं। आम पर पेशाब करते हुए मुहम्मदिनों को कौन नहीं जानता है? खीरों को थूक में लपेटकर पॉलिथीन में भरने वाली वीडियो अभी हमारी आँखों के सामने आ जाती है तो मन में घृणा पैदा हो जाती है। बर्तनों को चाटने वाले वीडियो, सब्जियों को नाली में धोने वाले वीडियो, हिंदू बहुल क्षेत्र में गौमांस के समोसे खिलौने वाले दीनी व्यक्ति के वीडियो। दूध में थूकने वाले दीन के पक्के दूधिए का वीडियो। होटल में काम करने वाले मुस्लिम लड़कों द्वारा भोजन पर थूकने वाले वीडियो। दिल्ली का वह वीडियो जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति पानी की बोतलों में थूक रहा है।

एक बूढ़े बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति द्वारा सेबों पर थूकने वाला वीडियो या फिर इसी प्रकार कपड़ों पर इस्त्री करने वाले बुजुर्ग का वह वीडियो जिसमें वह मुँह में पानी भरकर कपड़ों पर थूक रहा है। या फिर ड्राई फ्रूट्स के ऊपर ऐसे ही मुँह में पानी भरकर छिड़काव करता अधेड़ नमाजी हो। या वह छोटे बच्चों का वीडियो जिसमें वह लोग उज्जैन महाकाल की यात्रा के ऊपर थूक रहे हैं। ऐसे तमाम वीडियो हमें बताते हैं कि किस प्रकार हिंदुओं को अपना जूठा खिलाने की सड़ी हुई घिनौनी मानसिकता इस रेगिस्तानी कैंसर रूपी कल्ट के दिमाग में पनपती रहती है।

इसके अलावा काँवड़ियों पर हमला करना, उनके ऊपर थूकना, भगवान शिव के पूरे परिवार पर आपत्तिजनक फब्तियाँ कसना, काँवड़ियों के रास्ते में मांस के लोथडे फेंकना – यह सब घटनाएँ बहुत आम है। हम अभी रियासी की घटना भूले नहीं जिसमें 6000 रुपए के लिए 9 देवी भक्तों की जान लेने वाला इसी कैंसर रूपी मजहब का व्यक्ति था। गद्दार पुलिस अधिकारी DSP शेख आदिल मुस्ताक जो भारत की सुरक्षा की शपथ लेकर आतंकवादियों को हमारी सेना की सभी जानकारियां देता रहता था और किस प्रकार कानून के हाथों से बचना चाहिए वह सब हथकंडे भी आतंकवादियों को बताता था।

आज उसी के कारण हमारे सेना के अधिकारी और जवान बलिदान हुए। और यह लोग सोचते हैं कि हम फिर भी इन्हें अपना भाई माने और उनके थूक नान खाएँ, गौंमांस मिश्रित समोसे खाएँ और जब यह हमारी बहन बेटियों को छेड़े, हमारे भाइयों पर हमला करें तो हम चुपचाप अपने घर के ऊपर यह लिखकर भाग जाएँ कि यह मकान बिकाऊ है। अब थोड़ी विवेचना उन ढाबों पर भी करते हैं जहाँ यह लोग हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट करने का पूरा षड्यंत्र चलाते होंगे अन्यथा अगर किसी को उनके ढाबे या होटल में खाना है तो वह वैसे भी चला जाएगा लेकिन नाम बदलकर ठीक उसी प्रकार से धोखा दिया जाता है जिस प्रकार ‘लव जिहाद’ करने वाला अब्दुल हिंदू बहन बेटियों को धोखे में रखकर उनका मजहब परिवर्तित करता है।

अभी कुछ दिन पहले ही लखनऊ के एक व्यापारी के साथ घटी दुर्घटना सामने आई थी जिसमें हिंदू व्यापारी ने एक मुस्लिम व्यक्ति को अपने यहाँ नौकर रखा था और इस नौकर ने व्यापारी की इकलौती बेटी के बाथरूम में कैमरा लगाकर उसके वीडियो बनाए और फिर उसे काफी लंबे समय तक ब्लैकमेल करता रहा था। अभी उसे घटना को बीते ज्यादा समय नहीं हुआ एक और घटना हमारे सामने है बिहार के VIP पार्टी के संस्थापक व पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी का केस नया ताजा ही है।

जीतन ने ताउम्र हिंदू-मुस्लिम एकता की बात की, उन्होंने हिंदुओं को भले ही पीछे धकेल दिया लेकिन मुस्लिमों को हमेशा प्रायोरिटी पर रखा, इसी के चलते जीतन ने एक नौकर रखा हुआ था जिसका नाम था काजिम अंसारी। पिछले दिनों काजिम ने जतन से डेढ़ लाख रूपए उधार लिए थे समय से न लौटने पर जीतन ने उसे बीच-बीच में कई बार पैसे वापस करने के लिए टोका जिससे काजिम को गुस्सा आ गया और वह अपने साथियों को लेकर एक रात जीतन के घर में घुस गया और उसके साथ वही हश्र किया जैसा काजिम हर बकरा ईद पर एक बकरे के साथ किया करता है।

अर्थात, तुम लोग उन्हें भाई मानकर गरीब मानकर मजलूम मानकर नौकरी पर तो रखते हो लेकिन उनकी नजर या तो तुम्हारी बेटियों पर होती है या फिर तुम्हारे धन ऐश्वर्य और पैसे पर होती है। फिर ऐसे में सामान्य लोग जो यह खबरें सुनते और पढ़ते हैं या अपने आस पड़ोस में ऐसी घटनाओं को होते हुए देखते हैं क्या वह उनके हाथ का पानी भी पीना मंजूर करेंगे ऐसे में इन लोगों ने कैसे सोच लिया कि शिव भक्त और भोजन में पवित्रता रखने वाले लोग उनके हाथ का थूका हुआ खाना खाएँगे या फिर मांस मिश्रित पकवान ग्रहण करेंगे?

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ‘जनता वैष्णो ढाबा’ चलता है। लोग सोचते हैं कि यह कोई शाकाहारी ढाबा है जिसका मालिक कोई हिंदू होगा। लेकिन 15 साल से चल रहे इस ढाबे का मालिक मोहम्मद अनस सिद्की है। आगरा मथुरा रोड पर ‘श्री खाटू श्याम ढाबा’ वर्षों से चल रहा है। लोग धोखे में यहां पर शुद्ध शाकाहारी भोजन खोजते हुए पहुँच जाते हैं जबकि इसके मालिक का नाम मोहम्मद इरशाद है। बरेली में ‘चौधरी स्वीट्स’ के मालिक का नाम अहमद मियाँ है।

अब तो ‘अग्रवाल स्वीट्स’ के मालिक भी मुस्लिम बने बैठे हैं जहाँ से हिंदू बड़े चाव से अपने मनपसंद व्यंजन खरीदना है जबकि उसे पता ही नहीं केस में कितने मोमिनो का थूक मिला हुआ है। बिहार में चलने वाली एक दुकान जिसका नाम ‘अर्जुन सिंह’ था यहाँ पर इसका मालिक मोहम्मद उजियार आलम निकला जो हिंदू बनकर अपनी दुकान पर हिंदू लड़कियों से छेड़छाड़ किया करता था। हरिद्वार रोड पर ‘न्यू गणपति टूरिस्ट ढाबा’ चलता है जिसका मालिक मोहम्मद वसीम है।

मुजफ्फरनगर के हाईवे NH 58 पर स्थित ‘ओम शिव वैष्णव ढाबा’ चलता है जिसका मालिक मोहम्मद आदिल है। खुलासा होने के बाद आजकल इसने अपने ढाबे का नाम बदलकर ‘वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा’ कर दिया है। हर की पैड़ी पर बहुत सारे भोजनालय चलते हैं जबकि उनके मालिक भी मुस्लिम है। इसी प्रकार एक आरोपी को जब पकड़ा गया तो उसने अपना नाम चुन्नू बताया लेकिन आधार कार्ड पर देखने के बाद पता लगता है कि इसके अब्बा का नाम मोहम्मद मुनीर था, जबकि नगर निगम के उप नियमों के अनुसार हर की पैड़ी क्षेत्र में गैर हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित है।

खतौली में ‘शिव पंजाबी ढाबा’ चलता है जिसका मालिक भी मुस्लिम ही निकला। दिल्ली के किशनगंज बाजार में एक मुस्लिम युवक द्वारा राम मीट शॉप खोली गई बाद में खुलासा होने पर यह भी विक्टिम कार्ड खेलने लगा। उत्तर प्रदेश में ही राज मेहंदी स्टोर के नाम से बहुत सी दुकान चलती हैं जो हिंदू बहुलक क्षेत्र में जानबूझकर खोली जाती हैं और हिंदू लड़कियों को मेहंदी लगाने के नाम पर खुल्लम-खुल्ला ‘लव जिहाद’ को प्रमोट करते हैं।

मथुरा में ताजमहल नाम से एक होटल चलता है जिसका मालिक जमील अहमद है जबकि मथुरा के मंदिर एरिया में नॉनवेज की बिक्री प्रतिबंधित है। लेकिन नाम बदलकर यह लोग नॉनवेज का धंधा भी चलाते हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ‘श्री लक्ष्मी शुद्ध फैमिली ढाबा’ दिखाई दे रहा था जबकि इसका मालिक मोहम्मद शमशेर था। धार मध्य प्रदेश में हिंदू देवता साँवड़िया के नाम से मोहम्मद इलियास दुकान चलता था।

अब एक बात सोचिए कि जब एक मुस्लिम झटके का मीट नहीं खा सकता, जब एक मौलाना अपनी भीड़ को यह कह रहा है कि तुम हिंदुओं की पूजा पाठ का प्रसाद मत खाओ यह हमारे दीन में हराम है पाप है। जब वह लोग टूथपेस्ट से लेकर चड्डी-बनियान, भोजन और साबुन-शैंपू व कपड़े, यहाँ तक की टूरिज्म भी हलाल सर्टिफाइड ही इस्तेमाल करते हैं ताकि इनकी अर्थव्यवस्था, इस्लामी अर्थव्यवस्था मजबूत हो और ये लोग यहाँ पर पूरी तरह कब्जा कर सके।

ये लोग जो भी हमसे कमाते हैं उससे ही तो इनकी आर्थिक व्यवस्था और स्थिति मजबूत होती है, उसी का इस्तेमाल ये हमारे खिलाफ करते हैं तो फिर हिंदू क्यों मजबूर हो कि वह उनके हाथ का खाए। ईद के दौरान मुस्लिम घूम-घूम कर अपनी कम्युनिटी में कहते हैं कि वो सिर्फ मुस्लिमों की दुकानों से ही सामान खरीदे, हिंदुओं की दुकान से सामान ना खरीदें। जब उस पर किसी को कोई एतराज नहीं है तो फिर इन चीजों पर क्यों ऐतराज़ है? जिनके कारण अब तक काँवड़ यात्रा के दौरान काफी सारे सांप्रदायिक झगड़े पनप चुके हैं क्योंकि काँवड़िया यह सोचकर किसी भोजनालय में प्रवेश करता है कि यह किसी हिंदू का होगा लेकिन जैसे कि मैंने वीडियो की शुरुआत में ही बताया कि हमारे पास कई ऐसे उदाहरण है कि यह लोग हमारे धर्म के खिलाफ काम करते हैं, हमारे लोगों को जूठा खिलाते हैं, हमारे लोगों को पूज्य गाय माता का मांस खिलाते हैं हमारी बहन-बेटियों को झूठा नाम बात कर ‘लव जिहाद’ करते हैं, और उनको इस्लाम में कन्वर्ट करते हैं।

यही लोग हिंदुओं के घरों में पहले नौकरी करते हैं और फिर उनकी बहन बेटियों के बाथरूम में कैमरा लगाकर वीडियो बनाते हैं उन्हें ब्लैकमेल करते हैं तो फिर जब एक शिव भक्त को पता लगेगा कि इसका असली मालिक एक मुस्लिम है तो क्या वह प्रतिक्रिया नहीं देगा। झूठ बोलकर व्यापार क्यों करना है हिंदुओं के साथ? इस बात पर कोई बात नहीं कर रहा है। इसी कारण फिर झगड़ा होते हैं और फिर यही अब्दुल जो वैष्णो देवी के नाम से ढाबा खोल कर बैठा है यही फिर विलाप करता है। किसी ने सोशल मीडिया पर मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश की मुखालफत करते हुए कहा कि हमारे मुस्लिम देशों में भी हिंदू जाते हैं वहाँ पर वह लोग व्यापार करते हैं लेकिन उनके साथ तो ऐसा नहीं होता लेकिन सवाल यह है कि क्या हिंदू लोग मक्का-मदीना या हिजरत के रास्ते में ढाबे खोलकर बैठे हुए हैं क्या उन्होंने हाजियों को कभी धोखा हुआ खिलाया क्या उन्होंने कभी हजरत करने वालों को थूक कर पानी पिलाया?

अरे यह सब तो छोड़िए, हिंदू जिनको कि मुस्लिम की किताबों में काफिर प्रजाति बताया गया है वह लोग तो उसे रास्ते पर भी कम नहीं रख सकते, मक्का मदीना की तो बात ही छोड़ दो और यही नहीं भारत के मुस्लिम भी इस बात का पक्ष लेते हैं कि जब हिंदू इस्लाम को मानते नहीं या फिर उनकी आस्था हमारे मजहब में नहीं है तो फिर वह उसे स्थान पर जाएँ ही क्यों? वही भारतीय मुस्लिम आज दोगलेपन की हद मचाकर रोना-पीटना मचा रहा है?

क्या यह लोग कभी खुद को आईने में नहीं देखते? क्या जो हिंदू मुस्लिम देशों में अपने होटल या ढाबे चला रहे हैं वो वहाँ के मुस्लिमों को झटके का मीट चोरी छिपे खिलाते हैं? क्या उनके भोजन में थूकते हैं? या फिर इस्लाम में अभक्ष्य जानवर के गोश्त के समोसे उनको खिलाते हैं? इन बातों का जवाब किसी के पास नहीं होता। ये लोग सिर्फ विरोध करने के लिए पैदा हुए हैं। ये लोग सिर्फ हिंदुओं के देवी-देवताओं को गाली देने के लिए पैदा हुए हैं।

और अगर कोई इनको इन्हीं की दवाई चखा दे तो फिर इनका रोना स्टार्ट हो जाता है। संविधान से पहले कुरान बताने वाले देश से पहले इस्लाम बताने वाले आज सही सुनता और भाईचारा पर बड़े-बड़े भाषण दे रहे हैं तो ऐसा लगता है जैसे इनकी फूफी मियाँ खलीफा ब्रह्मचर्य पर तकरीर कर रही हो। मेरा तो बस इसे इतना ही कहना है कि तुमको हिन्दू नामों से, भगवानों से इतना ही प्यार है तो क्यों नहीं तुम हिन्दू ही बन जाते हो घर-वापसी कर के? सारा झगड़ा ही खतम हो जाएगा।

हर साल ‘शिव ढाबे’ वाला सलमान भी काँवड़ लेकर जाए, ‘शिव शक्ति ढाबे’ वाला शाहरूख घर में जगराता करवाए और वैष्णो ढाबे वाला जफरूल अपनर घर हवन करवाए। जगह-जगह पर काँवड़ियों के लिए जल के प्याऊ लगवाए जैसे हिंदू उनके लिए निशुल्क भंडारे और छोटे-छोटे चिकित्सालय खुलवाते हैं। उससे भी अधिक पवित्रता के साथ भोजन परोसने का इंतजाम करवाए तो कितना अच्छा भाईचारे का माहौल बने और हिंदू चाह कर भी इनके ढाबों का विरोध ना कर पाए।

या फिर यह भाईचारा केवल तभी बनता है जब कोई पुजारी अपने मंदिर में इफ्तारी पार्टी करवाता है या फिर हिंदू जालीदार टोपी पहनकर ईद की मुबारकबाद देता घूमता है या फिर एंबुलेंस और स्कूल बसें एक साइड रोक कर इनकी नमाज के लिए सड़क पर जगह देता है। हिंदू समाज आज उसे दोगलेपन को जानना चाहता है जिसके तहत हमारी आस्था का मजाक बनाना और फिर हमसे ही पैसा कमाना… सिर्फ यही उन्हें अच्छा लगता है। और या फिर तब तुमको किताब की आयतें याद आ जाती हैं? “काफिरों को अपना दोस्त ना बनाओ..”- (5:51), तुम कीचड़ में डूब क्यों नहीं मरते?

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Ankur Arya
Ankur Arya
आचार्य, विशारद, विचारक, वक्ता, लेखक, सनातनी

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