कारवाँ के पत्रकार ने इस राष्ट्रव्यापी शोक के मौक़े पर बलिदान जवानों की जाति पर लम्बा लेख लिखकर बताया है कि वीरगति को प्राप्त जवान किस जाति के हैं, और राष्ट्रवाद का जज़्बा सिर्फ ‘शहरी उच्च जाति के हिन्दुओं’ में है। इस तरह की सोच बेकार मानसिकता का ही परिचायक है, और कुछ नहीं:
विडियो: कारवाँ के एजाज़ अशरफ़, मूर्खता विरासत में मिली है या कारवाँ वाले डिप्लोमा कराते हैं?
ये वैसी ही मूर्खता है जैसा कि मेरा ये कहना - 'मुसलमान' एजाज़ अशरफ़ से और किसी एंगल की आशा भी नहीं थी। लेकिन मैं एजाज़ या कारवाँ जैसा बेहूदा नहीं हूँ कि जब पूरा देश शोक मना रहा हो, तब मैं ये दावा करूँ कि मैंने चालीस लोगों के परिवार से पूछा कि वो किस जाति के थे।
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