Sunday, November 17, 2024
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‘इस 2 पैसे के प्रेस को यहाँ किसने बुलाया?’ TMC में बगावत सलटाने गईं सांसद महुआ मोइत्रा ने पत्रकार को कार्यक्रम से निकाला

"मैंने जो तुच्छ, दुःख पहुँचाने वाली और सटीक टिप्पणी की है, उसके लिए मैं माफ़ी माँगती हूँ।" - महुआ मोइत्रा ने मीम ट्वीट कर तंज कसते हुए माफी माँगने का ढोंग किया।

तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने मीडिया के लिए ‘दुइ पोइसा प्रेस (दो पैसे का प्रेस)’ शब्दावली का इस्तेमाल किया था, जिसके लिए उनका विरोध हो रहा है। इसके बाद उन्होंने अपने इस बयान पर माफ़ी माँगने से भी इनकार कर दिया और उलटा इसका जवाब दिया। कृष्णानगर की सांसद ने रविवार (दिसंबर 6, 2020) को एक पत्रकार को ‘दो पैसे का प्रेस’ कहा। नदिया जिले की इस घटा का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

महुआ मोइत्रा ने न सिर्फ पत्रकार के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग किया, बल्कि उसे कार्यक्रम से बाहर निकलने के लिए भी कहा। जब TMC सांसद को पता चला कि उक्त व्यक्ति पत्रकार है, तो उन्होंने पूछा – “इस दो पैसे के प्रेस को यहाँ किसने बुलाया है? ऐसे तत्वों को कार्यक्रम से निकाल बाहर करो। हमारी पार्टी के ही कुछ लोग इन्हें बंद कमरों में बैठक के लिए बुलाते हैं, ताकि वो खुद को टिका देख सकें। ऐसा नहीं चलेगा।”

‘कोलकाता प्रेस क्लब (KPC)’ ने TMC सांसद के इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि वो तुरंत इसे वापस लें। क्लब ने कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारिता का क्या महत्व है और इसे कैसा सम्मान प्राप्त है, ये किसी से छिपा नहीं है। KPC ने कहा कि पत्रकार आज विपरीत परिस्थितियों में अपने पेशे से सम्बन्धित कर्तव्य सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ निभा रहे हैं, पूरे विश्व में उनकी इज्जत की जाती है।

वहीं महुआ मोइत्रा ने कहा है कि जिला स्तर पर पार्टी संगठन में हुए बदलावों से नाराज TMC के एक धड़े ने उक्त पत्रकार को बंद कमरे की बैठक के लिए बुलाया था। उन्होंने अपने बयान का बचाव किया। KPC की आलोचना के विषय में उन्होंने कहा कि उसे पत्रकारों को प्रशिक्षित करना चाहिए, क्योंकि कोई भी मोबाइल फोन लेकर आ जाए, तो वो पत्रकार नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि वो जब ‘बंद कमरों में बैठक’ आयोजित करती हैं तो पार्टी कार्यकर्ताओं तक को मोबाइल फोन अंदर लाने की अनुमति नहीं देतीं।

बता दें कि गयेशपुर में बापी चटर्जी TMC के जिलाध्यक्ष थे। 2019 लोकसभा चुनाव के समय इस पद भी वो ही थे। हालाँकि, इसके बाद उन्हें हटा कर मिंटू डे को इस पद पर बिठाया गया। फिर पार्टी में प्रशांत किशोर की एंट्री हुई और उन्होंने चटर्जी को फिर से इस पर पर बिठा दिया। इस फेरबदल के बाद मिंटू धड़ा नाराज है। इस धड़े ने चटर्जी को बाहरी बताया है, क्योंकि वो पड़ोसी कल्याणी जिले से ताल्लुक रखते हैं।

रविवार को महुआ मोइत्रा को दोनों धड़ों में सुलह कराने के लिए भेजा गया था। वो जैसे ही वहाँ पहुँचीं, कार्यकर्ताओं ने ‘बाहरी अध्यक्ष मानबो ना’ के प्लाकार्ड्स लहराए। इस दौरान मिंटू और डे के समर्थकों में हाथापाई भी हुई। महुआ मोइत्रा का कहना है कि उक्त पत्रकार पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बातचीत रिकॉर्ड कर रहा था, इसीलिए उन्हें गुस्सा आया। राज्य के वन मंत्री राजीब बनर्जी ने कहा कि महुआ खुद को उच्च-शिक्षित मानती हैं, ऐसे में उनसे ये टिप्पणियाँ अस्वीकार्य हैं।

इस विवाद के बाद महुआ मोइत्रा ने एक मीम भी ट्वीट किया। इसमें एक तरफ 2 पैसे के सिक्के की तस्वीर है और नीचे लिखा है, “मैंने जो तुच्छ, दुःख पहुँचाने वाली और सटीक टिप्पणी की है, उसके लिए मैं माफ़ी माँगती हूँ।” महुआ मोइत्रा का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि जहाँ एक तरफ वो संसद में ‘फासिज्म के 7 संकेत’ पर भाषण देते हुए सुर्खियाँ बटोरती हैं, वहीं दूसरी तरफ मीडिया के लिए तानाशाही रवैया अपनाती हैं।

तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी बुरा-भला कह चुकी हैं । जून 2020 में महुआ ने राज्यपाल पर ‘सड़ा हुआ सेब’ वाला कमेंट किया था, जिसके बाद दोनों के बीच शब्दों का वाकयुद्ध शुरू हो गया था। इस दौरान महुआ ने सीमाएँ लाँघी थीं। राज्यपाल ने कहा था कि महुआ अपनी पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी की चहेती बनने के लिए ये सब कर रही हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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