पश्चिम बंगाल में पिछले साल मई 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा हुआ। टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी और उसके समर्थकों पर हमले किए और उनकी हत्याएँ कीं। इसके डर से कई लोग अपनी जान बचाने के लिए प्रदेश छोड़कर चले गए, लेकिन अब सालभर बीतने के बाद भी लोग अपने घरों को नहीं लौटे।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, टीएमसी के गुंडों के डर से पश्चिम बंगाल में अपना घर छोड़कर जाने वाले लोगों को लेकर प्रियंका टिबरेबाल ने पिछले साल कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि हिंसा के कारण बीजेपी के कई कार्यकर्ता और उसके समर्थक डर के कारण अभी तक अपने घर नहीं लौट पाए हैं। टिबरेवाल के द्वारा पेश किए गए एफिडेविट के मुताबिक 303 लोग अभी तक अपने घर नहीं लौट पाए हैं। इसी तरह से इनमें से एक शांतनु सरकार हैं, जो कि सेना में पूर्व क्लर्क थे और उत्तर 24 परगना जिले में कांकिनारा के भाजपा के नेता थे। 2 मई को जैसे ही राज्य में चुनाव के परिणाम घोषित हुए तो टीएमसी के गुंडों ने उनके घर में लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया। ऐसे में वो अपनी और अपने परिवार को बचाने के लिए अपना घर छोड़कर चले गए।
सरकार ने टीएमसी के गुंडों के डर के कारण अपने गृह नगर से दूर किराए के दो फ्लैट लेकर वहाँ अपनी पत्नी रीना के साथ रह रहे हैं। उन्होंने एक वीडियो दिखाया था, जिसमें सीसीटीवी कैमरे को 2 मई 2021 को बदमाशों में तोड़ दिया था। सरकार कहते हैं, “मैं हमेशा से उनका टार्गेट था, क्योंकि मैं उत्तर 24 परगना के पानपुरा में एक शक्तिशाली भाजपा नेता था। 2 मई को जिस क्षण मेरे घर के सीसीटीवी में तोड़फोड़ की गई, मुझे एहसास हुआ कि मेरे लिए अपने घर में रहना असुरक्षित है। मैं चला गया। इसकी कीमत चुकानी पड़ी। मुझे उस घर को बनाने के लिए करीब 30 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे, जिसके लिए स्थानीय पुलिस और एसडीपीओ के पास पारिश्रमिक के लिए दायर किया है। हालाँकि, मुझे अभी तक कुछ भी नहीं मिला है।”
एक बार तो सरकार की पत्नी रीना अपने घर आ रही थी तो उसे स्थानीय गुंडों ने घेर लिया, जिसके बाद स्थानीय पुलिस की मदद से उसे बचाया जा सका। भाजपा नेता ने कहा, “हाई कोर्ट के आदेश के बाद मैं 16 अक्टूबर, 2021 को स्थानीय पुलिस के साथ अपने घर गया था। घर में बुरी तरह से तोड़फोड़ की गई थी। कोर्ट ने घर के बाहर पुलिस की तैनाती के लिए कहा था, लेकिन जब हम बाहर जाते हैं तो क्या होता है? हमें पुलिस की सुरक्षा नहीं मिलती। किसे पता बाजार में कब मुझपे या मेरी पत्नी पर हमला कर दिया जाए। अदालत और प्रशासन को हमें सुरक्षा का आश्वासन देने की जरूरत है।”
303 से अधिक लोग हुए विस्थापित
हाई कोर्ट ने लोगों के विस्थापन के मामले की जाँच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। राज्य में चुनाव बाद हिंसा में 303 से अधिक पीड़ितों ने घर छोड़ दिया है। प्रियंका टिबरेवाल इन्हीं लोगों की वकील हैं। प्रियंका के मुताबिक, उन्होंने जो एफिडेविट फाइल किया है, उसमें 303 लोगों के हस्ताक्षर हैं जो डर के कारण अपने घरों को वापस नहीं जा पा रहे हैं। उन्होंने ये भी दावा किया कि वो ऐसे 150 और लोगों को भी जानती हैं, जो रिजल्ट के बाद अपने घर नहीं जा पाए। टिबरेवाल कहती हैं, “जहाँ तक मेरी जानकारी है, पश्चिम बंगाल में लगभग 1500-2000 लोग ऐसे होंगे जो चुनाव परिणाम के बाद से अपने घरों को वापस नहीं जा पाए हैं।”
यही हाल सरकार के दोस्त सुबोल राजेंद्रपुर का है। वो फिलहाल नाहिहाटी के एक गाँव में रहते हैं। सुबोल पानपुरा में बीजेपी के कार्यकर्ता हैं। 22 अप्रैल 2021 को जगदल विधानसभा सीट के चुनाव की रात अपनी पत्नी और बेटे के साथ घर छोड़कर भागना पड़ा था। वोटिंग वाले दिन वहाँ बम धमाके भी किए गए। सुबोल ने कहा, “कुल मिलाकर कांकिनारा में मेरे घर से छह लोग कभी हमारे घर नहीं लौटे। मैं, मेरी पत्नी, बेटा, मेरा भाई और उसकी पत्नी और मेरी बहन। हमने डर के कारण घर छोड़ दिया। मेरी माँ और भाई का परिवार अभी भी वहाँ है। स्थानीय टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया गया, क्योंकि मैं अभी भी भाजपा में हूँ। मेरे भाई को धमकी भरे फोन आए। जब वे अपने घरों से बाहर निकले, तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। मेरे घर पर बीयर की बोतलें फेंकी गईं। मैं वहाँ कैसे रहूँ? “
सुबोल की पत्नी टुंगा के मुताबिक, हमले के डर के कारण उन्हें अपने लड़के का स्कूल भी बदलना पड़ा। सुबोल ने कहा कि वो दो महीने पहले अपने घर गए थे, लेकिन हेलमेट लगाकर गए थे, ताकि कोई पहचान न सके। बीजेपी नेता ने दावा किया है कि चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं में उसकी पार्टी के कई कार्यकर्ता मारे गए हैं और 4,000 से अधिक घरों में तोड़फोड़ की गई है।