प्रशांत भूषण ने एक बार फिर से कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों को गुमराह कर के उन्हें डराने की कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक खबर का सहारा लिया, जिसकी हैडिंग में लिखा है कि उत्तराखंड पुलिस के 2000 से भी अधिक जवान कोरोना से संक्रमित हुए, जिनमें से 93% ने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थी। प्रशांत किशोर ने लेख में से आँकड़ा निकाल कर ट्वीट में डालते हुए लिखा कि अप्रैल-मई में 2382 उत्तराखंड पुलिस के जवान कोरोना संक्रमित हुए।
इस दौरान ये भी ड्यूटी पर थे। साथ ही उन्होंने ये भी कॉपी पेस्ट किया कि इनमें से 2204 पूरी तरह रिकवर हो चुके हैं, लेकिन 5 की मौत हो गई। इसके बाद उन्होंने ‘Hmm’ भी लिखा। वो लोगों को ये बता कर डराने की कोशिश कर रहे हैं कि उत्तराखंड पुलिस के 2382 जवान अगर कोरोना से संक्रमित हो गए तो वैक्सीन कारगर नहीं है। लेकिन, उन्होंने इसी लेख के भीतर की कुछ चीजें बड़ी चालाकी से छिपा ली।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ के जिस लेख को सुप्रीम कोर्ट के वकील ने शेयर किया, उसी में ये भी लिखा है कि जिन 5 कोरोना संक्रमित जवानों की मौत हुई, उनमें से 3 ने वैक्सीन नहीं ली हुई थी और बाकी के दोनों Comorbidities से पीड़ित थे। असल में किसी के शरीर में एक ज्यादा बीमारियाँ मौजूद हों तो इसे ऐसी हर बीमारी को comorbidity कह कर सम्बोधित किया जाता है। जिन 2 की कोरोना के कारण मौत हुई, वो पहले से कई संवेदनशील बीमारियों से पीड़ित थे।
More than 2K Uttarakhand cops test positive, 90% of them got both doses.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 5, 2021
The data, shared on Tuesday,says 2,382 policemen tested positive while they were on duty between April&May. Among them, 2,204 have already recovered while 5 deaths were reported.
Hmmmhttps://t.co/ZM2b5f7cOO
इसी लेख में इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों में कोरोना संक्रमण के आँकड़े को लेकर उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता DIG नीलेश आनंद भरणे का बयान भी है, जिससे प्रशांत भूषण ज़रूर किनारा करना चाहेंगे। उन्होंने बताया कि संक्रमण की तीव्रता या फिर संक्रमण से मौतों का आँकड़ा बेहद ही कम था। अर्थात, वैक्सीन लेने वाले पुलिसकर्मियों में कोरोना के मामूली लक्षण ही थे। उन्होंने याद दिलाया कि ऐसा तो किसी वैक्सीन निर्माता ने भी गारंटी नहीं दी है कि टीका लेने से कोई कोरोना पॉजिटिव होगा ही नहीं।
साथ ही उन्होंने ये भी साफ़ किया कि पुलिसकर्मियों की मौत और कुंभ मेला के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर प्रशांत भूषण उत्तराखंड पुलिस के आँकड़े मानते हैं तो उन्हें ये भी मानना चाहिए और शेयर करना चाहिए। ये भी ध्यान देने वाली बात है कि पुलिसकर्मी प्रशांत भूषण की तरह वर्चुअल सुनवाई में हिस्सा नहीं लेते, उन्हें लगातार लोगों के बीच ड्यूटी पर रहना पड़ता है और इससे उनके कोरोना संक्रमित होने के चांस भी ज्यादा रहते हैं।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब प्रशांत भूषण ने कोरोना का इस्तेमाल करते हुए लोगों को गुमराह किया हो। इसी साल अप्रैल में PIL एक्टिविस्ट भूषण ने एक लिंक शेयर करके ये दावा किया था कि फेसमास्क का इस्तेमाल कोरोना समय में कारगर नहीं है। बाद में ट्विटर ने उनके एंटी मास्क ट्वीट कोअपने प्लैटफॉर्म से हटा दिया था। मेडिकल निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाते हुए उन्होंने दावा किया था कि फेसमास्क पहनने से काफी प्रतिकूल शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं।