राजस्थान के अलवर जिले में गहलोत सरकार का बुलडोजर लगातार चल रहा है। लेकिन, अतिक्रमण विरोधी मुहिम के नाम पर पहले मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और अब गौशाला को तोड़ दिया गया है। कठूमर स्थित जिस गौशाला को प्रशासन के बुलडोजर ने उजाड़ दिया, उसमें 400 गौवंश रहते थे। बताया जा रहा है कि गौशाला को ध्वस्त करने से पहले गायों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।
गौशाला को ध्वस्त किए जाने की लक्ष्मणगढ़ रेंजर्स जतिन सेन का कहना है कि मैथना के रूधं स्थित वन विभाग की करीब 1400 एकड़ जमीन हैं, जिसमें से 40 एकड़ पर गौशाला बीते एक दशक से चल रही थी। इसके लिए राजगढ़ स्थित वन संरक्षक कोर्ट ने 2020 में इसे खाली कराने का आदेश दिया था। इसके बाद दिसंबर 2021 में गौशाला के संचालक को इसे कहीं औऱ शिफ्ट करने के लिए नोटिस दिया गया, लेकिन जब नहीं किया गया तो इसे ध्वस्त कर दिया गया। वन विभाग का कहना था कि गौशाला के संचालक ने इसे हटाने के लिए 10 दिन का समय माँगा था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण उसे ये समय नहीं दिया गया।
गौरतलब है कि इस गौशाला का नाम हनुमान गौशाला है, जो कि मैथना में स्थित है। इसके अध्यक्ष हैं तेजीराम शर्मा। वो कहते हैं कि 2012 से गौशाला को चलाया जा रहा है, जहाँ मौजूदा वक्त में 425 गौवंश हैं। शर्मा के मुताबिक, उन्होंने 1 सितंबर 2014 को गो सेवा निदेशालय पशुपालन विभाग जयपुर में गौशाला का रजिस्ट्रेशन करवाया था। दिलचस्प बात ये है कि 2017-18 में इसे सर्वश्रेष्ठ गौशाला का पुरस्कार भी दिया गया था।
इससे पहले तोड़ दिया था मंदिर
गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान के अलवर जिले (Alwar in Rajasthan) के राजगढ़ में वर्षों पुराने हिंदू मंदिर को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया था। 300 साल पुराने मंदिर को जमींदोज करने के लिए जेसीबी मशीन लाई गई थी। इंडिया टीवी के मुताबिक, मंदिर के अंदर रखे शिवलिंग को भी ड्रिल मशीन का उपयोग करके उखाड़ दिया गया था। हिंदू मंदिर के अलावे राजगढ़ के अधिकारियों ने मास्टरप्लान का हवाला देते हुए ‘सड़क चौड़ीकरण’ अभियान में 85 से अधिक हिंदू परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया।