अहमदाबाद की एक अदालत ने शुक्रवार (16 सितंबर 2022) को विधायक और गुजरात कॉन्ग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी को 2016 के एक मामले में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है। गुजरात विश्वविद्यालय के कानून विभाग में एक इमारत का नाम डॉ. बी आर अंबेडकर के नाम पर रखने के लिए विरोध प्रदर्शन करते हुए रोड ब्लॉक और दंगा करने के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी मामले में अदालत ने जिग्नेश मेवाणी समेत कुल 19 लोगों को भी दोषी ठहराया।
जिग्नेश मेवाणी समेत अन्य आरोपितों को गैर कानूनी तरीके से इकट्ठा होने और दंगा करने के आरोप में दोषी ठहराया गया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पी एन गोस्वामी ने सभी आरोपियों को 6 महीने की जेल के साथ ही 700-700 रूपए जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले में, गुजरात पुलिस ने कुल 20 लोगों को गिरफ्तार किया था जिसमें से एक की मौत हो चुकी है।
बता दें, साल 2016 में, अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ कानून विभाग के निर्माणाधीन भवन का नाम अम्बेडकर के नाम पर रखने की माँग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के लिए एक शिकायत दर्ज की गई थी। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मेवाणी समेत अन्य लोगों ने सड़क जाम कर दिया था। इसके बाद, जब पुलिस ने रास्ते को खाली कराने का प्रयास किया तो उन्होंने इसका विरोध करने के लिए कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे।
2017 के केस में 3 महीने की हुई थी सजा
गौरतलब है, इससे पहले, इसी साल मई में साल 2017 के एक अन्य मामले भी जिग्नेश मेवाणी समेत नौ अन्य लोगों को को मेहसाणा कोर्ट ने 3 महीने की सजा सुनाई थी। इस मामले में, जिग्नेश व अन्य पर बिना अनुमति रैली आयोजित करने का आरोप था।
यही नहीं, इसी वर्ष अप्रैल में भी असम पुलिस ने आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में जिग्नेश मेवाणी को गिरफ्तार किया था। उन पर धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा 153 (ए) (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 (ए), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), और आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था