गरीबी दूर करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से जनसंख्या नियंत्रित करने की असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अपील पर सियासत तेज हो गई है। इसे सियासी रंग देने के अगुआ समुदाय के वही नेता हैं जिनसे सरमा ने इस संबंध में जागरूकता फैलाने में मदद की अपील की थी। पहले असम के राजनीतिक दल AIUDF के विधायक रफीकुल इस्लाम ने इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री पर राजनीतिक टिप्पणी की। अब हैदराबाद के सांसद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे हिंदुत्व से जोड़ दिया है।
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, “असम के मुख्यमंत्री ने फिर से ‘जनसंख्या नियंत्रण’ की बात शुरू की है। यह हिंदुत्व बोल रहा है जो गरीब और शोषित लोगों पर आरोप लगा रहा है।” ओवैसी ने दावा किया कि असम ने पहले ही टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 2.1 के स्तर को हासिल कर लिया है, जबकि राष्ट्रीय जन्मदर 2.2 है। साथ ही यह भी कहा कि किसी भी तरह का कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं है।
Central govt has itself opposed coercive family planning & called it unnecessary in the Supreme Court
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 10, 2021
Govt’s Economic Survey 2018-19: “Population is now growing growing below 1% in South, WB, Punjab, Odisha, ASSAM & Himachal” 2/nhttps://t.co/lVz8aDkkbh
द हिंदू की दिसंबर 2020 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार ने जबरदस्ती परिवार नियोजन करवाने का विरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में इसे गैर जरूरी बताया था। उन्होंने दावा किया कि सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में कहा गया था कि दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओडिशा, असम और हिमाचल में जनसंख्या 1 फीसदी से भी कम की दर से बढ़ रही है।
This population-talk is based on the lie that there are too many people & limited resources. Truth is that our resources are hoarded by a small part of population. 22% of UCs own 41% of wealth. Problem is not limited resources but unequal distribution n/n https://t.co/myZAPobUu2
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 10, 2021
CM ने क्या कहा था
बता दें कि बतौर मुख्यमंत्री 30 दिन पूरे होने पर गुरुवार (10 जून 2021) को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गरीबी कम करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से आबादी कंट्रोल करने को कहा था। सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय से अपील करते हुए कहा कि वे जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की नीति अपनाएँ। उन्होंने कहा कि गरीबी का मुख्य कारण लगातार आबादी बढ़ना है। लिहाजा समुदाय के सभी प्रतिनिधियों को आगे आकर इस दिशा में सरकार का समर्थन करना चाहिए।
उन्होंने कहा था, “सरकार गरीबों की सुरक्षा और उनके लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन सरकार को भी जनसंख्या वृद्धि से निपटने के लिए अल्पसंख्यकों का पूरा सहयोग चाहिए क्योंकि इसी के कारण गरीबी और अशिक्षा की समस्या उत्पन्न हुई है। इसके पीछे एक ही कारण है, फैमिली प्लानिंग की कमी।” सरमा ने यह भी कहा था कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों महिलाओं को शिक्षित करने का भी काम करेगी जिससे समस्याओं का हल प्रभावी तरीके से निकाला जा सके। अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों से कहा है कि वे जनसंख्या नियंत्रण के मामले में अपने लोगों को जागरूक करने का कार्य करें।