हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस पार्टी SC, ST और OBC समाज का आरक्षण छीन कर मुस्लिमों को देना चाहती है। कर्नाटक के आँकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं। वहाँ सभी शैक्षिणक संस्थानों एवं सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों की सभी जातियों को OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) के अंतर्गत आरक्षण की सुविधा दी गई है। ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग’ (NCBC) की प्रेस विज्ञप्ति से भी इस पर मुहर लगती है। यानी, पीएम मोदी के आरोपों में दम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जो हक़ बाबासाहेब ने दलितों, पिछड़ों एवं जनजातीय समाज को दिया, कॉन्ग्रेस और I.N.D.I. गठबंधन वाले उसे मजहब के आधार पर मुस्लिमों को देना चाहते हैं। एक चुनावी जनसभा के दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस को वो चुनौती देना चाहते हैं कि वो वादा करे कि संविधान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC को जो आरक्षण मिला है, उसे वो कम कर के मुस्लिमों में नहीं बाँटेगी। इस बयान के बाद कॉन्ग्रेसियों ने पीएम मोदी की आलोचना शुरू कर दी थी।
कर्नाटक में 2011 की जनगणना के हिसाब से मुस्लिम कुल जनसंख्या का 12% हैं। आरक्षण के नियमों की कैटेगरी 2B में मुस्लिमों की सभी जातियों को शामिल किया गया है। वहीं कैटेगरी 2A में भी मुस्लिमों की 19 जातियाँ हैं। वहीं कैटेगरी 1 में 17 जातियाँ इस्लामी हैं। NCBC के दौरे में भी इसकी पुष्टि हुई थी। यहाँ तक कि स्थानीय निकाय के चुनावों में भी जो सीटें OBC समाज के लिए आरक्षित हैं वहाँ मुस्लिमों को चुनाव लड़ने की इजाजत है।
NCBC ने बताया था कि मुस्लिम भी सामुदायिक विभाजन से अछूते नहीं हैं और वहाँ भी विभाजन है। शेख, सैयद और पठान की अर्थित स्थिति अच्छी है, वहीं समाजिक भेदभाव के खिलाफ पिछड़े मुस्लिम अगड़ों का विरोध भी करते हैं। कॉन्ग्रेस सरकार ने 30 मार्च, 2002 को अध्यादेश जारी कर ये फैसला लिया गया था। शिक्षा एवं रोजगार में मुस्लिमों को आरक्षण दिया गया। सरपंच से लेकर नगपालिका और जिला परिषद अध्यक्ष तक के पदों पर OBC के 32% रिजर्वेशन के अंतर्गत मुस्लिम भी आते हैं।
As per the data from Karnataka government, all castes and communities of Muslims of Karnataka have been included in the list of OBCs for reservation in employment and educational institutions under the state govt. Under Category II-B, all Muslims of Karnataka state have been… pic.twitter.com/eh1IYF3FX0
— ANI (@ANI) April 24, 2024
NCBC ने कर्नाटक की इस नीति को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। पिछले साल NCBC ने ग्राउंड पर जाकर आरक्षण की स्थति का पता लगाया था। आयोग का कहना है कि ऐसे में मुस्लिमों में जो जातियाँ शिक्षिक-सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं उनकी भी हकमारी हो रही है। सभी मुस्लिमों को पिछड़े समाज में डालना इस समाज की विविधता और जटिलता को नज़रअंदाज़ करने के जैसा है। इस तरह पीएम मोदी का ये आरोप ठीक है और ये आशंका है कि कॉन्ग्रेस सत्ता में आने पर पूरे देश में ये फॉर्मूला बड़े स्तर पर लागू कर सकती है।
पिछड़े और कमजोर वर्ग की मुस्लिम जातियों कुंजरे (रायन), जुलाहे (अंसारी), दुनिया (मंसूरी), कसाई (कुरैशी), फकीर (अल्वी), हज्जाम (सलमानी), मेहतर (हलालखोर), धोबी (हवारी), लोहार-बढ़ई (सैफी), मनिहार (सिद्दीकी), दर्जी (इदरीसी) शामिल हैं जो दलित में आते हैं और खुद को पसमांदा कहते हैं। अनुच्छेद 15(4) एवं 16(4) के तहत मुस्लिमों की अगड़ी जातियों शेख, सैयद और पठान को भी नौकरी-एडमिशन में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।