जम्मू कश्मीर में राज्य (अब UT) के बाहर से लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिलने से पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भड़क गए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि नया डोमिसाइल नियम अवैध और असंवैधानिक है, इसीलिए जम्मू कश्मीर के लोगों को ये स्वीकार्य नहीं है। श्रीनगर के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने नए डोमिसाइल नियम को मानने से इनकार करने की बात कही। वो अनंतनाग में मीडिया से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब वो बार-बार कहते आ रहे हैं कि वो लोग ऐसा कुछ भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, जो अवैध और असंवैधानिक हो, ऐसे में वो ऐसे किसी भी नियम-क़ानून को कैसे स्वीकार कैसे कर सकते हैं, जिसके वो विरुद्ध हों। हाल ही में वहाँ 26 सालों से सेवा दे रहे नवीन चौधरी को डोमिसाइल सर्टिफिकेट इशू किया गया था, जिससे अब्दुल्ला पिता-पुत्र खासे नाराज चल रहे हैं।
बता दें कि सरकार ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है कि कोई भी व्यक्ति नागरिकता के लिए अप्लाई कर देगा और वो जम्मू-कश्मीर का नागरिक बन जाएगा। ऐसा इसीलिए, क्योंकि जिन्हें नागरिकता मिली है, वो पहले से ही राज्य में रह रहे हैं। नियमानुसार, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में 15 वर्ष गुजारे हैं अथवा जो 7 साल अध्ययनरत हैं, उन्हें ही नागरिकता देने का प्रावधान है। वहाँ रजिस्टर हो चुके प्रवासी या ऐसे सरकारी अधिकारियों के बच्चों, जिन्होंने कम से कम 10 साल तक वहाँ सेवा दे चुके हैं, वो ही नागरिकता के योग्य हैं।
साथ ही फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार को पाकिस्तान और चीन से बातचीत कर मुद्दों को सुलझाने की माँग की। श्रीनगर के सांसद अब्दुल्ला कुछ ही हफ़्तों पहले 8 महीने की हिरासत काट कर लौटे हैं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के साथ ही अब्दुल्ला पिता-पुत्र को हिरासत में रखा गया था। उन्होंने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में बनी हालिया स्थिति तो ट्रायल भर है और इस घड़ी में लोगों को एकता बनाए रखने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि ये इम्तिहान की घड़ी है, अल्लाह से कहिए कि वो हमारा इतना ज्यादा इम्तिहान न ले। साथ ही उन्होंने लोगों से ये भी कहा कि वो इम्तिहान से घबराएँ नहीं। बकौल फारूक अब्दुल्ला, अल्लाह ने ज़रूर कुछ न कुछ और अच्छा सोच रखा है, इसीलिए ये सब हो रहा है। अब्दुल्ला ने कहा कि ‘वो भी’ एक हैं और सिर्फ़ चुनाव के लिए ही नहीं बल्कि एक उद्देश्य को लेकर एक हैं।
बकौल अब्दुल्ला, पाकिस्तान हो या चीन, भारत के लिए युद्ध समाधान नहीं है और भारत को बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। बता दें कि उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी डोमिसाइल नियमों में बदलाव पर आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि केंद्र शासित प्रदेश की डेमोग्राफी को बदलने के लिए ये सब एक साजिश के तहत किया जा रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ विरोध दर्ज कराया।