कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी और इंडियन ओवरसीज कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों अमेरिका का हवाला देते हुए विरासत टैक्स लागू करने की बात की थी। इसके बाद देश भर में जो उनकी फजीहत हुई उससे सब वाकिफ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इस टैक्स के खिलाफ लोगों को आगाह किया। अब इस संबंध में अमेरिकी अर्थशास्त्री गौतम सेन का बयान आया है। उन्होंने बताया है कि जिस अमेरिका का उदाहरण देकर कॉन्ग्रेस इस टैक्स की जरूरतें समझा रही है वो असल में कितना नुकसानदायक है।
गौतम सेन का कहना है कि राहुल गाँधी का संपत्ति का बँटवारा का फॉर्मूला भारत में काम नहीं करेगा। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “यह भारत में काम नहीं करेगा। यहाँ बड़ी दौलत वाले बहुत कम लोग हैं। इसके बाद जो हैं भी, उन लोगों ने अपनी पूंजी को कारोबार में लगा रखा है। यदि उस पूंजी को सरकार अधिग्रहित करें या फिर 55 फीसदी तक का विरासत टैक्स वसूला जाए तो धंधा ही रुक जाएगा।”
गौतम सेन ने आगे कहा, “मेरा पॉइंट है कि देश कि 0.5 फीसदी आबादी से टैक्स वसूलने के लिए आप बड़े पैमाने पर कारोबारों को नुकसान पहुँचाएँगे एवं और इससे उन गरीब लोगों को ही नुकसान होगा, जो उस पर निर्भर हैं।”
गौतम सेन बताते हैं, “अमेरिका में कोई विरासत टैक्स नहीं है। वहाँ एस्टेट ड्यूटी लगती है और गिफ्ट टैक्स है। अमेरिका में 2022 तक मरने वाले लोगों में से महज 0.22 फीसदी के परिजनों ने यह अदा किया था। पूरे अमेरिका में सिर्फ 4000 लोगों पर एस्टेट ड्यूटी लगती है। इसकी वजह यह है कि छूट की लिमिट इतनी ज्यादा है कि कम ही लोग इसके दायरे में आते हैं।”
#WATCH | On Indian Overseas Congress Sam Pitroda's remark regarding 'Inheritance Tax', economist Gautam Sen says, "First of all, there is no Inheritance Tax in the US. They don't have Inheritance Tax, it is called Estate Duty and Gift Tax. In the US, it is paid by 0.14% of the… pic.twitter.com/s9kibe0a5j
— ANI (@ANI) May 8, 2024
गौतम सेन कहते हैं कि अमेरिका में भी अमीर लोगों ने अपनी ज्यादातर पूंजी ट्रस्ट्स में लगा रखी है। ऐसे में वहाँ का उदाहरण भारत में देना गलत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत के सभी कारोबारों और लोगों का सर्वे कराना भी अव्यवहारिक है। भारत में 2.4 फीसदी से भी कम लोग इनकम टैक्स देते हैं। इस समूह में भी महज 12 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके पास अथाह दौलत है। इन लोगों के पास भी पूंजी घर में नहीं रखी है। ऐसे में उन्हें सरेंडर करने के लिए कहना बिजनेस को ठप कराना होगा। इससे देश में एक अराजकता पैदा हो जाएगी।
उन्होंने विरासत टैक्स को लेकर बोला, “जिसने भी इस विचार के बारे में सोचा था, वह बहुत वास्तविक रूप से नहीं सोच रहा था। अब हमारे पास जो कुछ भी है उसमें पहले की तुलना में एक-एक बहुत बड़ा सुधार हुआ है। हमारे पास एक अविश्वसनीय संयोजन है जो लगभग कभी हासिल नहीं किया गया था। यह निवेश के माध्यम से धन जुटाने और बँटवाने के साथ बुनियादी ढांचे का संयोजन है।”
सेन कहते हैं, ” अगर इससे अगर कुछ हासिल भी करते हैं तो यह एक बहुत समझदारी वाली सोच नहीं है। यह आपको अपने बच्चों और पोते-पोतियों से दूर ले जाएगा। ऐसे में जो कोई ऐसा करना चाहता है, वह भारत का मित्र नहीं है। भारत की राजनीतिक और आर्थिक अराजकता तुरंत चीन-पाकिस्तान जैसे देशों को आक्रमण करने के लिए उकसाएगी, क्योंकि वे भारत के साथ हिसाब बराबर करने और भारतीय क्षेत्र को जब्त करने के अवसरों का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए जो भी ऐसा करना चाहता है, वह भारत का दोस्त नहीं है।”
राहुल गाँधी के संपत्ति बँटवारे के विचार पर, अर्थशास्त्री गौतम सेन जोर देकर कहते हैं, “यह भारत में काम नहीं करेगा … मेरा तर्क यह है कि जिस व्यक्ति के पास संपत्ति है उनकी आबादी कुल आबादी के डेढ़ प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में उनका सब कुछ छीनने से आपको जो कुल कर की राशि मिलेगी वह शेष 98-99% लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। वे बस पीड़ित होंगे। ध्यान रहे, आपको यह सर्वे हर दो साल में करना होगा। हमारे यहाँ पिछले 10 वर्षों में विकास से, वास्तविक वस्तुओं से बेहतर पुनर्वितरण है।”