महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों लिए गए निर्णयों को मुद्दा बना कर चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी में है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करना मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सबसे बड़े फ़ैसलों में से एक है और भाजपा जन-जन तक इसके बारे जानकारियाँ पहुँचाने में लगी है। इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी बात रखी।
शाह ने महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का श्रेय पीएम मोदी की इच्छाशक्ति को दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से ही देश में एक विधान और एक निशान का सपना साकार हो सका। शाह ने कहा कि अब भारत की संसद से पारित कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे। वहाँ अब परिसीमन होगा, महिलाओं को प्रोपर्टी के अधिकार होंगे और सफाई कर्मचारियों को उनका हक़ मिलेगा।
370 के कारण देश में आतंकवाद आया, इसने पाकिस्तान को अलगाववाद भड़काने का साधन दिया।
— BJP (@BJP4India) September 22, 2019
इसके बाद कश्मीर से कश्मीरी पंडितों, सूफी-संतों को निकाल दिया गया।
1989 से अब तक करीब 40,000 लोग मारे गए और कांग्रेस पूछती है कि 370 को क्यों हटाया: श्री अमित शाह #BJPForUnitedIndia pic.twitter.com/qRlxQZj9Rv
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के लिए समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 370 और 35ए का जनसंघ और भाजपा शुरू से विरोध करती रही है। शाह के अनुसार, 370 देश के साथ कश्मीर के जुड़ाव में बाधा रही है और साथ ही देश की एकता में भी बाधा रही है। जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पीएम मोदी के साहस और हौसले के कारण अनुच्छेद 370 को उखाड़ फेंका जा सका। शाह ने कहा:
“एक विधान-एक निशान के नारे के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर गए, उस समय वहाँ जाने के लिए परमिट की ज़रूरत पड़ती थी, लेकिन वो बिना परमिट के गए थे। उन्हें शेख अब्दुल्ला द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और वहीं संदिग्ध परिस्थितयों में उनकी मृत्यु हो गई। राहुल बाबा तो आजकल आए हैं राजनीति में। हमारी 3-3 पीढ़ियाँ कश्मीर के लिए अपना बलिदान देने से कभी पीछे नहीं हटी। अनुच्छेद 370 हटाना भाजपा के लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, भारत माँ को एक और अखंड बनाने का संकल्प है जो मोदी जी ने पूरा किया है। कॉन्ग्रेस को इसमें राजनीति दिखाई देती है और हमें इसमें देशभक्ति दिखती है।
अमित शाह ने कहा कि बँटवारे के बाद पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को जम्मू-कश्मीर में नागरिकता नहीं दी गई। जबकि मनमोहन सिंह, आइके गुजराल और एलके आडवाणी जैसे लोग जो देश के दूसरे हिस्सों में बसे वे प्रधानमंत्री और उप-प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचे। शाह ने बताया कि कश्मीर में हिन्दू शरणार्थियों को वोट देने तक का अधिकार नहीं था। अमित शाह ने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण 40,000 लोग मारे गए। उन्होंने इसे आतंकवाद की जननी करार दिया।
पाकिस्तान से जो हिन्दू भाई आए वो वहां रह गए मगर 370 के कारण उन्हें नागरिकता नहीं मिली, बाकी देश में जो शरणार्थी आए उनमें से 2 इंद्र कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनें और लालकृष्ण आडवाणी जी उप प्रधानमंत्री बनें: श्री @AmitShah #BJPForUnitedIndia pic.twitter.com/8IurdnsmUf
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जम्मू कश्मीर में सबकुछ ठीक-ठाक न होने की ख़बरों को नकारते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि सिर्फ़ 10 थाना क्षेत्रों में ही प्रतिबंधित धाराएँ लगी हैं और 99% लैंडलाइन्स खोल दिया गया है। उन्होंने बताया कि कश्मीर के विकास के लिए भेजे गए 2 लाख 27 हजार करोड़ रुपए वहाँ की जनता तक नहीं पहुँचे और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए, क्योंकि वहां ‘एंटी करप्शन ब्यूरो’ नहीं था।
राजनाथ सिंह ने बताया कैंसर
वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अनुच्छेद 370 एक ऐसा कैंसर था, जिसमें जम्मू-कश्मीर में कइयों का ख़ून बहाया है। उन्होंने कहा कि राज्य की 75% जनता अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के पक्ष में थी।
जम्मू कश्मीर की तीन चौथाई जनता अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के पक्ष में थी: राजनाथ सिंहhttps://t.co/Zn4lWf5MEY#Article370 #rajnathsingh
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उन्होंने पाकिस्तान को चुनौती देते हुए कहा कि वह देखना चाहते हैं कि पाकिस्तान कितने आतंकी भेज सकता है, क्योंकि उनमें से एक भी लौट कर वापस नहीं जा सकेगा।
अम्बेडकर नहीं थे पक्ष में: नड्डा
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कॉन्ग्रेस ने अनुच्छेद 370 के माध्यम से आदिवासियों का हक़ मारने का काम किया है। उन्होंने इस समस्या के लिए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने दावा किया कि संविधान सभा में कोई भी इसके पक्ष में नहीं था। उन्होंने कहा कि देश के पहले क़ानून मंत्री भीमराव अम्बेडकर भी इसको लेकर राज़ी नहीं थे।
नरेन्द्र मोदी जी की इच्छा शक्ति के कारण ही भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू हो सका।
— Dr Bizay Sonkar Shastri (@BizayShastriBJP) September 21, 2019
अनुच्छेद 370 अलगाववाद के पनपने का माध्यम था, आज अलगाववाद समाप्त होने की कगार पर है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि अब कश्मीर को बनाना है, संवारना है और फिर से स्वर्ग बनाना है: श्री जेपी नड्डा pic.twitter.com/eqZATgn4rQ
नड्डा के अनुसार, अम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला से पूछा था कि क्या आप जम्मू कश्मीर में भारतीयों को नागरिकता अधिकार नहीं देना चाहते हैं? अम्बेडकर ने इसे अस्वीकार्य बताया था।