आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की वाईएस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) सरकार ने एक ड्रोन पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसको लेकर राज्य भाजपा महासचिव विष्णु वर्धन रेड्डी ने निशाना साधा है। उन्होंने ट्विटर के जरिए बताया कि कैसे वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने कथित तौर पर केवल दो अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के लिए ही ड्रोन पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।
भाजपा नेता द्वारा साझा किए गए पोस्टर के अनुसार, आंध्र प्रदेश में ड्रोन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (डीआईटी) द्वारा पाठ्यक्रम की पेशकश की जा रही है। ऑफ़लाइन पाठ्यक्रम के कैंडिडेट वाले विज्ञापन में केवल ईसाई और मुस्लिम उम्मीदवारों को ही फ्री ट्रेनिंग और प्लेसमेंट देने की बात कही गई है।
आंध्र के सीएम के हिन्दू विरोधी पूर्वाग्रह पर सवाल उठाते हुए भाजपा नेता ने ट्वीट किया, “संसाधनों पर सभी का समान अधिकार है फिर आंध्र प्रदेश सीएम ने विशेष रूप से केवल 2 समुदायों के छात्रों के लिए प्रशिक्षण क्यों रखा है? इससे सांप्रदायिक तनाव हो सकता है, आंध्र सरकार हमारे छात्रों के साथ बहुत गंदी राजनीति कर रही है। उन्हें यह फैसला वापस लेना चाहिए।”
Everyone has the equal rights on the resources then why @AndhraPradeshCM has specifically kept training only for students of 2 communities?
— Vishnu Vardhan Reddy (@SVishnuReddy) June 22, 2022
It could lead to communal tensions, Andhra gvt is doing very dirty politics with our students. They should take back this decision. pic.twitter.com/gguL3v2lmd
जिस पोस्टर को भाजपा नेता ने शेयर किया है उसमें देखा जा सकता है कि आंध्र प्रदेश के प्रतीक के साथ सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की तस्वीर है। इसमें मोटे अक्षरों में उल्लेख किया गया है कि पाठ्यक्रम को ड्रोन उड़ान में मुफ्त प्रशिक्षण और बाद में मुफ्त प्लेसमेंट की पेशकश केवल ईसाइयों और मुसलमानों के लिए की गई है। इसमें दो नंबर भी पूछताछ के लिए दिए गए हैं, जिस पर ऑपइंडिया ने कॉल किया तो वो पहुँच से बाहर थे।
उल्लेखनीय है कि लंबे वक्त से विपक्षी पार्टियाँ ईसाई समुदाय से आने वाले वाईएस जगन रेड्डी पर ईसाईयों पर जमकर खर्च करने का आरोप लगाती रही हैं। आरोप है कि जब से जगन मोहन रेड्डी राज्य के सीएम बने थे, तभी से वो धर्मान्तरण को प्रमोट करते रहे हैं। आंध्र के सीएम का हिन्दू विरोधी पूर्वाग्रह और धर्मान्तरण पर उनका नरम रुख अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को बढ़ाता है। विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जाहिर की है।
पिछले साल ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के जबरन धर्मान्तरण के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट माँगी थी। एनसीएससी ने ये संज्ञान हिन्दू कानूनी-कार्यकर्ता समूह ‘कानूनी अधिकार संरक्षण मंच’ और एससी-एसटी अधिकार मंच, व एक एनजीओ के जनवरी 2020 के पत्र के बाद लिया था।
इसी तरह से 2019 में जगन सरकार ने 3 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले लोगों के लिए यरुशलम जाने वाले ईसाई तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को 40,000 रुपए से बढ़ाकर 60,000 रुपए कर दिया था। वहीं सालाना 3 लाख रुपए से अधिक कमाने वालों को दी जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर 30,000 रुपए कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने अगस्त 2019 में ईसाई पादरियों को प्रति माह 5,000 रुपए का मानदेय देने का ऐलान किया था।
2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में ईसाइयों की संख्या कुल आबादी का लगभग 1.4% है, हालाँकि, धर्मान्तरण के कारण अब ये संख्या अधिक होने का अनुमान है।