Monday, November 18, 2024
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आँगनवाड़ी की महिलाओं पर बिहार पुलिस ने दिखाया दम, कई बेहोश: वादे से मुकरे नीतीश कुमार तो सड़क पर उतरी हैं सेविका-सहायिका, 1 महीने से बंद हैं 1.15 लाख सेंटर

वाटर कैनन का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वहाँ से हटाया गया। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के 6 से 10 नवंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहाँ 70 मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार अपने ही वादे से फिरने के बाद सत्ता की हनक मजलूम आँगनवाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं पर उतार रही है। राजधानी पटना में मंगलवार (7 नवंबर, 2023) को अपनी पाँच सूत्रीय माँगों को लेकर बिहार विधानसभा का घेराव करने पहुँची इन महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस प्रशासन ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इस दौरान कई महिलाएँ बेहोश हो गई। बिहार में 1.15 लाख आँगनवाड़ी केंद्र पिछले एक महीने से भी अधिक समय से बंद हैं।

गौरतलब है कि अपनी माँगों को लेकर आँगनवाड़ी सेविका-सहायिका संघ एक महीने से आंदोलनरत है। इन आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से नीतीश बाबू ने उनका मानदेय दोगुना करने का वायदा किया था, लेकिन वादा पूरा करने की जगह बिहार सरकार इन आंदोलनकारी महिलाओं पर सख्ती कर रही है।

सरकार इनके आँगनवाड़ी केंद्रों पर नोटिस चिपका रही हैं कि अगर उन्होंने ये नहीं खोले तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इससे नाराज आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी अपना आंदोलन तेज कर दिया।

गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन ये आँगनवाड़ी कार्यकर्ता विधानसभा का घेराव करने पहुँची थी। विधानसभा के गेट के बाहर सुबह ही सैंकड़ों की संख्या में ये महिलाएँ वहाँ पहुँची थी। प्रदर्शन को रोकने के लिए वहाँ पुलिस प्रशासन का अमला भी पहुँचा था। वाटर कैनन का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वहाँ से हटाया गया। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के 6 से 10 नवंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहाँ 70 मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी तैनात है।

ऐसे में एंट्री पास के बगैर किसी को भी विधानमंडल परिसर में के जाने की इजाजत नहीं है। इस वजह से यहाँ प्रदर्शन की भी मंजूरी नहीं है। इस बीच आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी 5 सूत्रीय माँगें नहीं मानी गई तो वो चुनाव में ऐसे लोगों को वोट नहीं देंगी। उनका कहना है कि जो हमारी बात सुनेगा, वहीं कुर्सी पर राज करेगा।

आँगनवाड़ी सेविका और सहायिकाओं की माँग है कि राज्य सरकार की दी जा रही अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपए की जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में गुजरात की तरह ही बिहार में भी ग्रेच्युटी भुगतान करना पक्का किया जाए।

इसके साथ ही उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए ग्रेड सी और ग्रेड डी में समायोजित किया जाए। उनकी माँग है कि जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा उन्हें नहीं मिल जाता है, तब-तक सेविकाओं को 25 हजार रुपए और सहायिकाओं को 18 हजार मानदेय हर महीने दिया जाए। योग्य सहायिका को सेविका में बहाली के लिए अतिरिक्त 10 बोनस अंक देने का प्रावधान लागू हो। इसके अलावा, सेविका से सुपरवाइजर में प्रमोशन और सेविका और सहायिका के सभी खाली पदों पर बगैर देरी के बहाली पक्की की जाए।

इस दौरान सदन में बिहार विधान सभा में बीजेपी नेता विजय सिन्हा बोले, “गाँव-समाज में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली आँगनवाड़ी सेविका बहनों पर महागठबंधन सरकार का लाठी चार्ज करवाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। महागठबंधन की सरकार इनकी आवाज को दबाना चाहती है। सरकार विधानसभा में भी आँगनवाड़ी सेविकाओं के विषय पर जवाब देने से पीछे हट रही है।”

गौरतलब है कि बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सेविका और सहायिकाओं ने शनिवार (4 नवंबर,2023) को सांसद सुशील कुमार सिंह को अपनी माँगों का ज्ञापन सौंपा था। सेविका और सहायिकाएँ इस दौरान, ‘लाल साड़ी करे पुकार, हम नहीं सहेंगे अत्याचार’ का नारा लगाती रहीं।

सांसद सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहानुभूति आपके साथ है। लोकसभा का एक सत्र चलने वाला है। वो 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे। अगर मौका मिलता है, तो मजबूती से उनकी माँग उठाएँगे। इस बारे में सरकार को पत्र लिखेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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