इस समय पूरे देश में लोकसभा चुनावों की तैयारी से ज्यादा बीजेपी को सत्ता से हटाने के प्रयास चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बाद इस बात का उदाहरण झारखंड में भी देख को मिला, जहाँ पर विपक्षी दलों ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को साथ मिलकर लड़ने का निर्णय किया है। खबरें हैं कि औपचारिक रूप से इस बात की घोषणा इस महीने के आखिर तक हो सकती है।
जनसत्ता में छपी रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनाव की अगुवाई कॉन्ग्रेस द्वारा की जाएगी लेकिन विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन पार्टी का नेतृत्व करेंगे। झारखंड में कॉन्ग्रेस, आरजेडी, सीपीआई, सीपीएम, जेएमएम, सीपीआई-एमएल, मार्क्सवादी समन्वय समिति और झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (जेवीएमपी) आदि पार्टियों के बीच गठजोड़ की बातें चल रही हैं।
इन सभी पार्टियों के गठजोड़ को लेकर हाल ही में राज्य में एक बैठक हुई थी, जिसमें जेएमएम के अध्यक्ष हेमंत सोरेन, जेवीएम अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, आरजेडी अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी, बीएसपी विधायक शिवपूजन मेहता, कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार और कान्ग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के अलावा बहुत सारे वामपंथी दलों के सभी मुख्य नेता भी शामिल हुए थे।
राजनैतिक उठा-पटक के चलते एक तरफ जहाँ पर यूपी में बसपा-सपा का गठबंधन देखने को मिला है, वहीं अब झारखंड में सभी गैर-बीजेपी दल एक साथ आने जा रहे हैं। इसके अलावा ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने भी बीजेपी का दामन छोड़ते हुए अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। ये विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव होने के लगभग 4-5 महीने बाद होने हैं।
पिछले लोकसभा चुनावों का परिणाम याद दिलाते हुए बता दें कि 2014 में लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बाक़ी 2 सीटें जेएमएम की झोली में गई थीं। कॉन्ग्रेस समेत अन्य दलों का 2014 में खाता भी नहीं खुल पाया था।
अभी हाल ही में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने इस बात को कहा था कि अकेले रहकर बीजेपी को हराना मुमकिन नहीं हैं, इसके लिए कॉन्ग्रेस को हर राज्य में उन पार्टियों के साथ गठबंधन पर विचार करना चाहिए जो बीजेपी को हराने के लिए कॉन्ग्रेस के साथ जुड़ना चाहते हैं।