दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने पहले कार्यकाल में राज्यपाल और केंद्र सरकार से लड़ाई में पूरे 5 साल गुजार दिए। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने कोरोना वायरस पर केंद्र सरकार का क्रेडिट खाने और मिसमैनेजमेंट में बीता दिया। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर हुसैन का नाम दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में आया और पार्टी के एक अन्य नेता अमानतुल्लाह खान उनका खुलेआम बचाव करते रहे।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का कई बार बचाव किया। ताहिर के कुकृत्यों पर मजहब का पर्दा डालने की उसने कोशिश की थी। अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट कर कहा था, “दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड बनाया है, जबकि पूरा देश जनता है कि दंगे किसने कराए। असल दंगाइयों से अभी तक पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की। मुझे लगता है कि ताहिर हुसैन को सिर्फ उसके मजहब के कारण सज़ा मिली है।”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था, “अमानतुल्लाह खान, दिल्ली पुलिस ने अभी ताहिर हुसैन को पकड़ा है तो इतनी बौखलाहट। तब क्या हाल होगा तुम्हारा जब पर्दे के पीछे के असली किरदार पकड़े जाएँगे। चिंता मत करो, दिल्ली पुलिस ईमानदारी से कार्य कर रही है। दिल्ली जलाने वाले 1 भी व्यक्ति को छोड़ेंगे नहीं।” 2 जून को दिल्ली पुलिस ने दंगों के मामले में 2 चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में ताहिर को मुख्य आरोपित बनाया गया है।
अब सवाल उठता है कि केजरीवाल ने अमानतुल्लाह खान द्वारा बार-बार दंगा आरोपित का बचाव किए जाने पर केजरीवाल चुप क्यों हैं? उन्होंने अमानतुल्लाह पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसका मतलब हो सकता है कि सब कुछ उनकी इच्छा से हो रहा हो क्योंकि कपिल मिश्रा पहले से ही आप नेता संजय सिंह पर ताहिर हुसैन का क़रीबी होने का आरोप लगाते रहे हैं। केजरीवाल का इस सम्बन्ध में कोई बयान नहीं आया।
केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के भी सबूत माँगे थे लेकिन जन आक्रोश को देखते हुए उन्होंने अपने हाथ वापस खींच लिए थे। आपको याद होगा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली से प्रवासियों के भारी पलायन को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने इस पलायन पर नाराजगी जताई थी। वहीं इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी लॉकडाउन के बीच हुए पलायन पर केजरीवाल से गहरी चिंता व्यक्त कर चुके थे।
निल बैजल ने कड़े शब्दों में पत्र लिखते हुए केजरीवाल से कहा था कि लॉकडाउन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए दिल्ली सरकार के पास सभी शक्तियाँ थीं, फिर भी ऐसा नहीं हो सका। केंद्र इस बात से नाराज था कि दिल्ली सरकार ने प्रवासियों को बसों के जरिए सीमा पर छोड़ दिया। जिसके मद्देनजर गृह सचिव अजय भल्ला ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस मामले में लापरवाही के लिए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया था।
अभी की ही एक हालिया घटना को उदाहरण के रूप में लेते हैं। जब केजरीवाल की AAP सरकार की नाकामी के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मैदान में उतरे और उन्होंने कोरोना से निपटने की तैयारियों का जिम्मा सम्भाला, तब आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र द्वारा किए जा रहे कार्यों का क्रेडिट खाने के मूड में भी है। भाजपा सरकार के काम की क्रेडिट लेना तो दूर की बात थी, आप नेता संजय सिंह ने तो एक क़दम और आगे बढ़ कर केंद्र सरकार द्वारा किए गए काम को लेकर केंद्र को ही कोसना शुरू कर दिया।
उन्होंने दावा किया कि जहाँ लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति में भाजपा ने सबसे ऊँची प्रतिमा बनवाई, वहीं आप सरकार ने सबसे बड़ा अस्पताल बनवाया। जबकि सच्चाई ये है कि दोनों काम केंद्र सरकार ने ही कराए हैं। उससे पहले अमित शाह ने केजरीवाल को ट्वीट कर पहले ही कहा था कि ये पहले ही बैठक में निर्णय लिया जा चुका है कि 10,000 बेड्स का अस्पताल बनवाया जाएगा। जब सीएम केजरीवाल ने उन्हें अस्पताल के इंस्पेक्शन के लिए आमंत्रित किया था, तब शाह ने उन्हें जवाब देते हुए ये बात लिखी थी।
कुल मिला कर देखा जाए तो अरविन्द केजरीवाल अब तक दिल्ली में सारी समस्याओं के मामले में टालमटोल ही करते आए हैं या फिर जब केंद्र ने किया तो उन्होंने उसका क्रेडिट खाया है। अब तो दिल्ली में टिड्डियों की समस्या भी आ गई है। हाँ, दिन-रात टीवी पर दिखने और बयान देने में उनका कोई सानी नहीं है। वो चाहते हैं कि दिल्ली के लोग सोते-जागते उनका ही चेहरा देखें। खैर, असली मूल्यांकन तो कोरोना समस्या ख़त्म होने के बाद ही होगा।