दिल्ली शराब कांड (Delhi Liquor Scam) में पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Ex DCM Manish Sisodia) की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) सहित 9 विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी दिखाती है कि भारत लोकतांत्रिक देश से तानाशाही शासन में तब्दील हो गया है।
जिन नेताओं ने चिट्ठी लिखी है, उनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, पंजाब के CM भगवंत मान, बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, एनसीपी चीफ शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हैं।
Nine Opposition leaders including Arvind Kejriwal have written to PM Modi on the arrest of former Delhi deputy CM Manish Sisodia in the excise policy case. They have stated that the action appears to suggest that “we have transitioned from being a democracy to an autocracy”. pic.twitter.com/ohXn3rNuxI
— ANI (@ANI) March 5, 2023
पीएम मोदी के शासनकाल में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए चिट्ठी में लिखा गया है, “सिसोदिया जी के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। यह राजनीतिक षडयंत्र के तहत की गई कार्रवाई है। इस गिरफ्तारी ने पूरे देश की आवाम को गुस्से से भर दिया है। दुनिया भर में मनीष सिसोदिया दिल्ली स्कूल एजुकेशन में बदलाव के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी गिरफ्तारी को दुनिया भर में बदले की भावना से की गई राजनीतिक कार्रवाई के उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है।”
चिट्ठी में आगे लिखा गया है, “राजद के लालू यादव हों, शिवसेना के संजय राउत हों, समाजवादी पार्टी के आजम खान हों, NCP के नवाब मलिक, अनिल देशमुख हों या तृणमूल के अभिषेक बनर्जी, इन सभी नेताओं के खिलाफ जाँच एजेंसियों ने जिस तरह की कार्रवाई की है, उससे संदेश पैदा होता है कि ये केंद्र सरकार के अंतर्गत काम कर रही हैं। ऐसे कई मामलों में केस या गिरफ्तारी तब हुई जब चुनाव होने वाले थे। इससे ये साफ पता चलता है कि जाँच एजेसियों के ये ऐक्शन पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे।”
मनीष सिसोदिया मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हीं नेताओं ने पत्र लिखे हैं, जो खुद या उनकी पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के मामले में जाँच एजेंसियों के घेरे में हैं। इनमें से एक बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव तो चारा घोटाले में सजा भी काट रहे हैं। इसके अलावा रेलवे में नौकरी के बदले रिश्वत के रूप में जमीन लेने के मामले में जाँच के घेरे में है। इतना ही नहीं, तेजस्वी यादव खुद इसमें आरोपित हैं।
अरविंद केजरीवाल ने जब अन्ना आंदोलन के सहारे भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक अभियान शुरू करने के नाम पर आम आदमी पार्टी बनाई थी, तब कहा था कि वे भ्रष्टाचार को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। हालाँकि, समय ने उनके इस दावे की पोल खोल दी। आज उनके दो पूर्व मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं। इसके पहले कई मंत्री-विधायक जेल की हवा खा चुके हैं। इसके बावजूद वे आज भी खुद और अपनी पार्टी के नेताओं को ‘कट्टर ईमानदार’ बताते हैं।
अरविंद केजरीवाल आज तेजस्वी को लेकर भले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हों, लेकिन साल 2013 में उन्होंने खुद लालू यादव के चारा घोटाले का मामला उठाया था। उस दौरान केजरीवाल ने लालू पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने को लेकर तंज कसा था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “लालू ने चारा घोटाले में करोड़ों कमाए, लेकिन उस पैसे की वसूली का कोई आदेश नहीं है। सिर्फ 25 लाख जुर्माना और कुछ साल की जेल। स्वीट डील।”
इतना ही नहीं, मनीष सिसोदिया खुद लालू यादव और भ्रष्टाचार को लेकर कभी मुखर थे। वे लगातार सरकार पर हमलावर थे और भ्रष्टाचार के प्रति नरम रूख अपनाते हुए लालू यादव के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगा रहे थे। मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए देश में लोकपाल कानून की लगातार माँग कर रहे थे।
मनीष सिसोदिया ने कहा था कि देश में लोकपाल कानून आ गया होता तो भ्रष्टाचार से कमाई लालू यादव की संपत्ति जब्त हो जाती। उन्होंने कहा था कि लालू के भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने में ही देश ने 17 साल लगा दिए। उन्होंने देश के न्याय प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लालू को सजा दिलाने में ना जाने कितना समय लगेगा।
मनीष सिसोदिया ने कहा था कि लालू यादव का जेल जाना भ्रष्ट राजनीति का अवसान नहीं है। शायद उन्होंने सही कहा था। ये किसी को नहीं पता था कि जो पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की भावनाओं का दोहन करके अपने गठन के 10 सालों के भीतर ने राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन जाएगी, वो खुद भ्रष्टाचार में इतनी गहराई तक लिप्त हो जाएगी।
मनीष सिसोदिया को जब लगा कि वे केंद्रीय एजेंसियों के गिरफ्त में आ सकते हैं, तब उन्होंने खुद को ‘क्षत्रिय (राजपूत)’ बताकर जातिवादी कार्ड खेलने शुरू कर दिया। हालाँकि, मनीष सिसोदिया ने कभी कोई ऐसा काम नहीं किया, जिसके लिए क्षत्रिय समाज उन्हें याद करे। इतना ही नहीं, क्षत्रिय समाज के लिए उन्होंने कभी भी अपना मुँह नहीं खोला। ये उनकी कट्टर राजनीति है।
AAP के चीफ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कभी भ्रष्टाचार के नाम पर कॉन्ग्रेस, टीएमसी, राजद आदि पार्टियों और उसके नेताओं को कोसते रहते थे। आज उन्हीं पार्टी के नेताओं का सहारा लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी की कार्रवाई को देश में तानाशाही बता रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल को इस बात के लिए थोड़ा उम्मीद रखनी चाहिए कि मनीष सिसोदिया सहित उनके नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की अभी जाँच चल रही है। अभी उन पर आरोप हैं, जो साबित नहीं हुए हैं। कट्टर ईमानदार पार्टी के मुखिया को ईश्वर से प्रार्थना करना चाहिए कि जो आरोप उनके नेता पर लगे हैं, वो गलत साबित हों वरना उनकी ‘ईमानदारी’ की राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।