कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी गई 1000 बसों की सूची में बड़ा फर्जीवाड़ा निकल कर सामने आया है। प्रियंका द्वारा भेजी गई बसों की सूची में स्कूटर, आटो रिक्शा और तिपहिया वाहनों के साथ एंबुलेंस का नंबर भी शामिल है। इसकी पुष्टि एनआईसी द्वारा की गई।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इन वाहनों का सत्यापन आरटीओ लखनऊ से करवाया। जिसके बाद ये बात साफ हो गया कि प्रियंका गाँधी द्वारा भेजे गए बसों की सूची में से 31 ऑटो थे, 69 एंबुलेंस, ट्रक या फिर अन्य वाहन थे। इसके साथ ही 70 ऐसे वाहनों की लिस्ट दी गई थी, जिसका कोई डेटा ही उपलब्ध नहीं था।
उत्तर प्रदेश के अपर परिवहन आयुक्त (आईटी) विनय कुमार सिंह और लखनऊ के सम्भागीय परिवहन अधिकारी रामफेर द्वारा लिखे गए पत्र में इस बाबत जाननकारी दी गई है। उन्होंने इस संबंध में पत्र लिखते हुए बताया कि गृह विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा आज दिनांक 19.05.2020 को पूर्वाह्न में ई-मेल के माध्यम से उपलब्ध कराई गई बसों की सूची सम्भागीय परिवहन अधिकारी, लखनऊ कार्यालय में जाँच कराई गई।
उपलब्ध कराई गई सूची की प्रारंभिक जाँच में कुल 492 वाहनों के विवरण का परीक्षण किया गया। परीक्षण के अनुसार 59 वाहनों की फिटनेस की वैधता की अवधि समाप्त पाई गई एवं 29 वाहनों के इंश्योरेंस समाप्त अथवा अनुपलब्ध पाए गए।
इसके अलावा 3 वाहनों के प्रकरण ऐसे पाए गएस जिनमें वाहन की पंजीकरण संख्या बसों की न होकर अन्य श्रेणी के वाहनों की है।
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार के लघु उद्योग मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रियंका की भेजी लिस्ट सही नहीं होने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इसमें कई वाहनों के नंबर और डिटेल गलत है और बसों के बजाय दूसरे वाहनों के नंबर हैं।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने लखनऊ में इस बारे में जानकारी देते हुए प्राथमिक आधार पर उपलब्ध वाहनों की सूची के बारे में बताते हुए कहा था कि कॉन्ग्रेस इस मौके पर भी अपनी नीयत से बाज नहीं आई और दी गई लिस्ट में कार, ट्रैक्टर, एंबुलेंस और स्कूटर जैसे वाहनों के नंबर हैं। सूची में जिन वाहनों के नंबर दिए गए हैं, उसमें अधिकतर ब्लैकलिस्टेड हैं।
सोमवार (मई 18, 2020) को यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गाँधी को पत्र लिखकर बताया था कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों के संबंध में उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। साथ ही उन्होंने बिना किसी देरी के एक हजार बसों और ड्राइवरों का विवरण माँगा था।