Tuesday, November 5, 2024
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जौहर यूनिवर्सिटी की 173 एकड़ जमीन हुई UP सरकार के नाम दर्ज, आजम खान को झटका

अदालत ने इससे पहले सीतापुर जेल में बंद ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान को नोटिस और समन जारी किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद अदालत के आदेश का पालन करते हुए SDM ने...

उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान को एक बड़ा झटका मिला है। खबर है कि उनकी जौहर ट्रस्ट की 173 एकड़ (70 हेक्टेयर) जमीन यूपी सरकार के नाम दर्ज हो गई है। राजस्व अभिलेखों में जमीन से जौहर ट्रस्ट का नाम काट कर यूपी सरकार के नाम पर चढ़ा दिया गया है।

सपा सांसद आजम खान के ख़िलाफ़ 16 जनवरी 2021 को एडीएम प्रशासन जेपी गुप्ता के कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। मौजूदा जानकारी के अनुसार अखिलेश सरकार में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन पर जौहर यूनिवर्सिटी बनी हुई है।

आरोप है कि इसकी खरीद के दौरान उचित शर्तों का पालन नहीं किया गया। बाद में इसी को आधार बनाकर भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयोजक आकाश सक्सेना द्वारा शिकायत की गई।। जाँच हुई तो आरोप सही पाए गए।

पूरे मामले पर एसडीएम कोर्ट में मुकदमा चला और 16 जनवरी को कोर्ट ने जमीन को सरकार को वापस देने का आदेश दिया। अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी-सिविल) अजय तिवारी ने कहा, “ट्रस्ट ने सरकारी आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें उन्हें सिर्फ इस शर्त के आधार पर 12 एकड़ से अधिक जमीन की खरीद की अनुमति दी थी गई कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।”

एडीजीसी ने कहा, “अदालत ने इससे पहले सीतापुर जेल में बंद ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान को नोटिस और समन जारी किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार करने से इनकार कर दिया।”

बता दें कि अदालत के हालिया आदेश का पालन करते हुए एसडीएम सदर प्रवीण कुमार के इस फैसले के बाद साढ़े बारह एकड़ जमीन तो यूनिवर्सिटी के पास रहेगी, लेकिन करीब 173 एकड़ जमीन (70 हेक्टेयर) राज्य सरकार के नाम दर्ज की जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आकाश सक्सेना का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में 1 साल पहले शिकायत की थी। इसमें उनका कहना था कि आजम खान की यूनिवर्सिटी में 173 एकड़ जमीन जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिन शर्तों पर दी गई थी, उनमें से किसी को भी पूरा नहीं किया गया। आजम खान द्वारा किसी भी शर्त का पालन नहीं किया गया। 

वह जाँच रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जौहर ट्रस्‍ट की इस जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय का काम चल रहा है, लेकिन पिछले दस सालों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई है।  उन्होंने माँग की थी कि, चूँकि एक बहुत बड़ा हिस्सा यूनिवर्सिटी का सरकार द्वारा निहित किया जा रहा है। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी को टेकओवर कर लेना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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