Sunday, November 17, 2024
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मस्जिद शहीद हुई कॉन्ग्रेस की मौजूदगी में, इसकी जड़ कॉन्ग्रेस पार्टी: बाबरी मस्जिद पर कोर्ट के फैसले से ओवैसी नाखुश

"इस मसले में इंसाफ नहीं हुआ है। कॉन्ग्रेस की मौजूदगी में ये हुआ और इनकी जड़ कॉन्ग्रेस पार्टी है। इन्हीं की हुकूमत में राजीव गाँधी ने ताले खुलवाए। मूर्ति रखी गई, शिलान्यास हुआ और इन्हीं की हुकूमत में मस्जिद शहीद हुई।"

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। बुधवार (सितंबर 30, 2020) को लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कुल 32 आरोपितों को बरी कर दिया गया। कोर्ट का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है। औवैसी ने एक शायरी ट्वीट करके अपनी बात कही है।

असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, ”वही कातिल वही मुनसिफ अदालत उसकी वो शाहिद, बहुत से फैसलों में अब तरफदारी भी होती है।”

इसके साथ ही सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रेस कॉन्फ्रेस करते हुए कहा, ”सीबीआई कोर्ट का आज का फैसला भारत की अदालत की तारीख का काला दिन है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो 9 नवंबर को जो फैसला दिया था, आज का फैसला उसके खिलाफ है। क्या जादू से मस्जिद को गायब कर दिया था, क्या जादू से मूर्तियाँ रखी गईं थीं, क्या जादू से ताले खोले गए। आप अंदाजा लगाइए आडवाणी की रथयात्रा जहाँ भी गई वहाँ हिंसा हुई, लूटपाट हुई, मासूम लोगों के कत्ल हुए और लोगों के घर जला दिए गए। ये बताना चाहिए कि जब इतने महीने से तैयारी हो रही थी, तो फिर सब अचानक कैसे हो गया।” 

उन्होंने आगे कहा, ”क्या यह सच नहीं है कि उमा भारती ने कहा था कि एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो। क्या जब बाबरी मस्जिद शहीद हुई तब उमा भारती, आडवाणी मिठाई नहीं खा रहे थे। वो लोग खुशियाँ मना रहे थे। 1959 से अब तक इस पूरे मामलों में समुदाय के लोगों को इंसाफ नहीं मिला।”

ओवैसी ने आरोप लगाया कि सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि कल्याण सिंह ने कहा था कि रोक बनाने पर है, गिराने पर नहीं। 5 दिसंबर की रात को विनय कटियार के घर पर बैठक हुई थी, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “तब मुझे शर्म महसूस हुई थी कि मैं मस्जिद बचा नहीं सका हूँ और अब ऐसा फैसला दे रहे हैं। बीजेपी सरकार की ओर से लालकृष्ण आडवाणी को सम्मान दिया गया, तभी साफ हो गया था क्या फैसला आएगा।” ओवैसी ने आरोप लगाया कि एक आरोपी अदालत के बाहर खड़ा होकर विध्वंस की बात स्वीकार रहा है और उसे अदालत ने बरी कर दिया।

ओवैसी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को नाइंसाफी करार देते हुए कहा, “मैं बतौर भारतीय मुस्लिम आज अपमान, शर्म और असहाय महसूस कर रहा हूँ। बिल्कुल वैसा ही जैसा 6 दिसंबर 1992 में युवावस्था में किया था।” उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से इस फैसले को चैंलेज करने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि यह न्याय का मामला है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराया जाना चाहिए और आज बीजेपी इस मसले की वजह से ही सत्ता में है। ओवैसी ने कहा, “इस मसले में इंसाफ नहीं हुआ है। सारी दुनिया जानती है कि भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना और कॉन्ग्रेस की मौजूदगी में ये हुआ और इनकी जड़ कॉन्ग्रेस पार्टी है। इन्हीं की हुकूमत में राजीव गाँधी ने ताले खुलवाए। मूर्ति रखी गई, शिलान्यास हुआ और इन्हीं की हुकूमत में मस्जिद शहीद हुई।”

बता दें कि बाबरी विध्वंस केस में सभी 32 आरोपितों को लखनऊ की सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और यह अचानक हुई थी। कोर्ट ने सीबीआई के कई साक्ष्यों को भी नहीं माना और 28 साल से चले आ रहे इस विवाद पर अपना फैसला सुना दिया। बरी होने के बाद आरोपितों और उनके समर्थकों में खुशी की लहर छा गई। कोर्ट रूम में ही जय श्री राम के नारे गूँज उठे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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