भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका (Dwarka) में स्थित है बेट द्वारका (Bet Dwarka)। इसी को लेकर पिछले दिनों खबर आई थी कि बेट द्वारका के दो द्वीपों पर वक्फ बोर्ड ने दावा करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। लेकिन, अब इस मामले में गुजरात के जामनगर से बीजेपी पूनमबेन मदान (Poonamben madan) ने स्पष्ट किया है कि वक्फ बोर्ड ने शियाल बेट पर दावा किया है न कि बेट (बेयत) द्वारका के दो द्वीपों पर। उन्होंने बताया कि शियाल बेट गुजरात में अमरेली तट से दूर एक द्वीप है, जहाँ केवल नाव से ही पहुँचा सकते हैं। यहाँ की आबादी 5,000 से कुछ ज्यादा है। आजादी के 70 साल बीतने के बाद 2016 में यहाँ बिजली मिली थी।
शियाल बेट पर पूर्वी छोर पर सवाई बेट एक चट्टानी द्वीप है, जो कि हाई टाईड आने पर अलग हो जाता है। इस आईलैंड पर सवाई पीर नामक एक पीर (मुस्लिम संत) का मकबरा है। मुस्लिम पक्ष ने इसी के लिए याचिका लगाई थी। स्थानीय समाचार रिपोर्ट के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि हाई कोर्ट में एप्लीकेशन वक्फ बोर्ड ने नहीं, बल्कि एक निजी सुन्नी ट्रस्ट ने दायर की थी।
बता दें कि शियाल बेट अमरेली जिले के अंतर्गत आती है, जबकि बेट द्वारका देवभूमि द्वारका जिले का हिस्सा है।
बीजेपी सांसद मदान ने गुजराती समाचार चैनल GSTV को बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कानून मंत्री से बात की है। मदान के मुताबिक, शुरुआती तौर पर ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई करते हुए कृष्णनगरी शब्द का जिक्र किया था, जिसके कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई। कृष्णनगरी संदर्भ के कारण लोगों ने इसे बेट द्वारका मान लिया। इस पर अभी भी भ्रम बरकरार है। बीजेपी सांसद ने कहा, “हम इस बात को लेकर चिंतित हैं। हम स्थिति पर नजर बनाएँ हुए हैं। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि हम श्री कृष्ण और उनके भक्तों के बेट द्वारका द्वीप पर किसी को दावा नहीं करेंगे।”
गौरतलब है कि हाल ही में दिव्य भास्कर ने रिपोर्ट किया था कि कोर्ट में दिए अपने आवेदन में दावा किया गया है कि बेट द्वारका द्वीप पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड के पास है। वक्फ बोर्ड के इस बेतुके दावे को सुनते ही गुजरात हाईकोर्ट ने इस पर अपनी असहमति व्यक्त की। कोर्ट ने कहा, “क्या आप जानते हैं कि आप क्या कह रहे हैं? वक्फ बोर्ड कृष्णानगरी में भूमि के स्वामित्व का दावा कैसे कर सकता है?” इसी के साथ कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के आवेदन को सिरे से खारिज कर दिया था।
इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा देखने को मिला था। इसके बाद जामनगर की सांसद पूनमबेन मदान ने अब स्पष्टीकरण जारी किया है कि आवेदन अमरेली में शियाल बेट के लिए था न कि देवभूमि द्वारका में बेट द्वारका के लिए।