एनसीपी अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार से भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में पूछताछ होगी। हिंसा की जाँच कर रहे कमीशन ने उन्हें इस संबंध में नोटिस भेजा है। कमीशन की ओर से भेजे गए नोटिस में पवार को 4 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा गया है। पैनल के वकील आशीष सातपुते ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
सातपुते ने बताया कि आयोग ने तत्कालीन एसपी (पुणे ग्रामीण) सुवेज हक, तत्कालीन अतिरिक्त एसपी संदीप पाखले, तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त, पुणे रवींद्र सेंगांवकर और तत्कालीन जिलाधीश सौरभ राव को भी सम्मन किया है।
Bhima Koregaon Commission has summoned Nationalist Congress Party Chief Sharad Pawar to appear before the Commission on 4th April.
— ANI (@ANI) March 18, 2020
The Commission is inquiring into the reasons which led to the 2018 Bhima Koregaon violence in Maharashtra. (File pic) pic.twitter.com/tLJqmHjUBs
इससे पूर्व महाराष्ट्र के एक सामाजिक संगठन ने जाँच आयोग के सदस्यों से शरद पवार से पूछताछ करने की माँग की थी। समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने आयोग के समक्ष अर्जी दायर कर 2018 की हिंसा के बारे में मीडिया में पवार द्वारा दिए गए कुछ बयानों को लेकर उन्हें सम्मन भेजे जाने का अनुरोध किया था।
सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्यों ने जाँच आयोग को ये अनुरोध पत्र देते हुए कहा था कि 18 फरवरी को अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने भीमा-कोरेगाँव की हिंसा को लेकर तमाम बातें कही थीं। इस दौरान उन्होंने पुणे के पुलिस कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया था। ऐसे में इन तमाम विषयों पर पवार से पूछताछ की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता संगठन ने यह भी कहा था कि भीमा-कोरेगाँव के केस में पवार से व्यक्तिगत रूप में गवाही देने और उनके पास मौजूद जानकारियों को उपलब्ध कराने के लिए निजी रूप से पूछताछ की जानी चाहिए। इस याचिका के कुछ वक्त बाद ही अब जाँच आयोग ने पवार को नोटिस जारी किया है।
गौरतलब है कि भीमा-कोरेगाँव युद्ध की 200वीं वर्षगाँठ के मौके पर 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क उठी थी। पुणे पुलिस ने आरोप लगाया कि 31 दिसंबर 2017 को ‘एल्गार परिषद सम्मेलन’ में दिए ‘‘उकसावे” वाले भाषणों से हिंसा भड़की। पुलिस के अनुसार, एल्गार परिषद सम्मेलन के आयोजकों के माओवादियों से संपर्क थे।
उद्धव ठाकरे ने बीते दिनों एल्गार परिषद की जाँच NIA को सौंपने को मँजूरी दी थी। इसका विरोध उनकी सरकार में शामिल एनसीपी ने किया था। खुद पवार ने उद्धव के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने एनआईए एक्ट की धारा 10 का हवाला देते हुए यह माँग की थी कि एनआईए जाँच के अलावा राज्य सरकार एल्गार परिषद केस की समानांतर जाँच कराए। ऐसे में पवार को समन से फिर से महाविकास अघाड़ी सरकार के बीच मतभेद गहराने के आसार दिख रहे हैं। गौरतलब है कि शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी। सरकार गठन के बाद से ही साझेदार दलों के मतभेद हर मसले पर सामने आते रहते हैं।