लोकसभा चुनाव की गहमागहमी जारी है। इसी बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘भगवा आतंकवाद एक भ्रमजाल’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया जा रहा था। यह डॉक्यूमेंट्री भारत से पाकिस्तान जाने वाली समझौता एक्सप्रेस और मालेगाँव ब्लास्ट को लेकर बनाई गई है। हालाँकि, भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के प्रदर्शन को चुनाव आयोग के हस्तक्षेप केे बाद रोक दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग का निर्देश आयोजकों तक पहुँचने तक फिल्म के बड़े हिस्से को दिखाया जा चुका था। इस डॉक्यूमेंट्री के समझौता एक्सप्रेस वाले भाग का प्रदर्शन हो चुका था और मालेगाँव ब्लास्ट पर भी लगभग 70% फिल्म दिखाई जा चुकी थी। फिल्म का प्रदर्शन भारत विचार मंच की ओर से किया जा रहा था।
बता दें कि इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में विभिन्न अदालतों के निर्णयों और नेताओं के बयानों के आधार पर यह कहा गया है कि यूपीए कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कैसे हिंदू आतंकवाद का फर्जी सिद्धांत गढ़ा। RVS मणि ने अपनी किताब ‘हिन्दू टेरर’ में भी भगवा आतंकवाद और उसमे कॉन्ग्रेस की संलिप्तता की पोल खोल दी है।
इस डॉक्यूमेंट्री में यह बताया गया है कि उक्त नेताओं ने स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा सिंह को फ़र्ज़ी तरीके से फँसाने के लिए मनगढंत कहानी गढ़ी थी, लेकिन वे अपनी फर्जी कहानी का कोई भी सबूत न्यायालय में पेश नहीं कर सके। जिससे कॉन्ग्रेस की पूरी साजिश विफल हो गई। RVS मणि ने हेमंत करकरे और दिग्विजय सिंह के संबंधों के माध्यम से अपनी किताब में पहले ही कई खुलासे किए हैं।
इस फिल्म वो सभी तथ्य दिखाए गए हैं जिनका जिक्र साध्वी प्रज्ञा अक्सर अपने चुनावी रैलियों में करती है। इस फिल्म में यह भी दिखाया गया कि साध्वी प्रज्ञा को प्रताड़ित करने के आरोपों की जाँच तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने की। लेकिन जाँच कमेटी में वही लोग शामिल थे, जिन्होंने प्रज्ञा पर हत्याचार किए। यही नहीं इस फिल्म में समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद धमाकों के बाद हुई जाँच को किस तरह से जाँच एजेंसियों ने हिंदू संगठनों की तरफ मोड़ा उसे भी विस्तार से दिखाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भोपाल के शिवाजी नगर स्थित एक मोटेल में करीब शाम चार बजे शुरू हुआ था। फिल्म के 40 मिनट प्रदर्शन के बाद इसे बंद करने की घोषणा की गई।