उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के बड़े नेता जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसे बड़े फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है। दोपहर में भाजपा मुख्यालय में जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने का कार्यक्रम हुआ। शाहजहाँपुर में अच्छी पैठ रखने वाले जितिन प्रसाद फ़िलहाल दिल्ली में ही थे।
इस अवसर पर जितिन प्रसाद ने कहा कि उनकी तीन पुश्तें कॉन्ग्रेस से जुड़ी रही हैं, इसीलिए उन्होंने काफी सोच-विचार के बाद ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले 8-10 वर्षों में उन्हें महसूस हुआ है कि एक ही पार्टी ऐसी है जो पूरी तरह राष्ट्रीय है और वो है भारतीय जनता पार्टी। जितिन प्रसाद ने कहा कि अन्य राजनीतिक दल क्षेत्रीय हैं, लेकिन भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। उन्होंने कहा कि यही एक पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कठिन परिस्थिति में देशहित के लिए खड़े हैं।
गौर करने वाली बात है कि 47 वर्षीय जितिन प्रसाद कॉन्ग्रेस के उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने आलाकमान को पत्र लिख कर संगठन में चुनाव कराने और बदलाव की माँग की थी, जिसके बाद यूपी के ही कुछ कॉन्ग्रेस नेता उनके पीछे पड़ गए थे। जितिन प्रसाद को ब्राह्मणों के अधिकार के लिए आवाज़ उठाने के लिए भी जाना जाता है। हाल ही में उन्होंने जब ‘ब्रह्म चेतना संवाद’ कार्यक्रम की घोषणा की थी तो उनकी ही पार्टी ने खुद को इससे अलग कर लिया था।
कॉन्ग्रेस ने कहा था कि इससे पार्टी का कोई लेनादेना नहीं है और ये जितिन प्रसाद का निजी मसला है। जितिन प्रसाद 2004 में शाहजहाँपुर और 2009 में धौरहरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। ये क्षेत्र उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खेरी और सीतापुर में स्थित है। पहले देहरादून के दून स्कूल और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज शाहजहाँपुर ऑफ कॉमर्स से शिक्षा प्राप्त करने वाले जितिन यूपी के बड़े कॉन्ग्रेस नेता रहे जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र हैं।
कॉन्ग्रेस पार्टी में बतौर उपाध्यक्ष काम करने वाले जितेन्द्र प्रसाद की बात करें तो भारत के दो प्रधानमंत्रियों के राजनीतिक सलाहकार रह चुके थे – राजीव गाँधी और पीवी नरसिंहा राव। 2001 में 62 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था। 2000 में उन्होंने सोनिया गाँधी के खिलाफ कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार मिली थी। शाहजहाँपुर से 4 बार सांसद रहे जितेंद्र प्रसाद राज्यसभा और यूपी विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे।
कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अगस्त 2020 में ही ट्वीट कर के आरोप लगाया था कि यूपी कॉन्ग्रेस में जितिन प्रसाद को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है, वो भी आधिकारिक रूप से। उन्होंने तभी आगाह किया था कि कॉन्ग्रेस को अब भाजपा को निशाना बनाते हुए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करनी चाहिए, लेकिन वो अपनों को ही निशाना बनाने में व्यस्त है। आज उनकी चेतावनी का असर दिखा और एक बड़े नेता ने कॉन्ग्रेस का दामन छोड़ दिया।
Unfortunate that Jitin Prasada is being officially targeted in UP
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 27, 2020
Congress needs to target the BJP with surgical strikes instead wasting its energy by targeting its own
जितिन प्रसाद को केंद्रीय केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भाजपा की सदस्यता दिलाई। यूपीए-2 में जितिन प्रसाद को पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन जैसे अहम मंत्रालय की बतौर राज्य मंत्री जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन, 2014 लोकसभा चुनाव में मिली हार ने उनको राजनीतिक गलियारे से किनारे के दिया था। प्रभारी प्रियंका गाँधी और प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू द्वारा गठित समितियों में उन्हें जगह नहीं दी गई थी।
कई बार सार्वजनिक रूप से भी उन्होंने पार्टी के रवैये के प्रति नाराजगी जताई थी। पार्टी की लखीमपुर खीरी यूनिट ने उन्हें निष्काषित करने का प्रस्ताव भी भेजा था। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रभारी बना कर यूपी से दूर कर दिया गया था, जिससे वो नाराज थे। हालाँकि, तब उन्होंने भाजपा में शामिल होने वाले सवाल को ‘काल्पनिक’ करार दिया था। कभी उनके पिता ने कॉन्ग्रेस में वंशवाद को लेकर आवाज़ उठाई थी। ब्रेन हेमरेज के कारण उनकी मृत्यु हुई थी।