Sunday, November 17, 2024
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हाथरस में न्याय की लड़ाई का ढोंग करने वाली कॉन्ग्रेस ने पापरी बोस रेप कांड आरोपित प्रवीण कुशवाहा को दिया टिकट

यही कॉन्ग्रेस हाथरस केस में कथित रूप से गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने की झूठी लड़ाई लड़ रही थी लेकिन यहाँ रेप आरोपित को टिकट देकर उसने एक बार फिर साबित किया कि उसे पापरी बोस रेप कांड से कोई मतलब नहीं है बल्कि उसके आरोपित को टिकट देकर वह ऐसे घृणित अपराध का इनाम दे रही है।

राजनीति के अपराधीकरण को रोकने की चर्चा खूब होती है, लेकिन जब टिकट बाँटने की बारी आती है तो राजनीतिक दल अपराधियों को टिकट देने से पीछे नहीं हटते। इसका उदाहरण एक बार फिर से बिहार चुनाव में देखने को मिल रहा है। बिहार में होने वाले मतदान के लिए पार्टियों ने जिन उम्मीदवारों को खड़ा किया है, उनमें अपराधी नेताओं की संख्या काफी ज्यादा है। कॉन्ग्रेस ने जिन्ना समर्थक को टिकट देने के बाद अब रेप आरोपित उम्मीदवार प्रवीण सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है।

प्रवीण सिंह कुशवाहा 1988 के पापरी बोस रेप कांड में आरोपित हैं। प्रवीण सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने एक डॉक्टर की बेटी पापरी बोस को अगवा कर लिया। अगले दिन जबरन शादी कर ली। पापरी बोस को गोड्डा के जिस ओंकारनाथ राम इंजीनियर के घर में छिपाकर रखा गया था, वह तत्कालीन सीएम भगवत झा आजाद के करीबी थे।

रेप कांड में आजाद के एक करीबी रिश्तेदार के साथ ही उनके बेटे कीर्ति झा आजाद का भी नाम जुड़ा था। बहुत विवाद हुआ। प्रवीण उस समय भागलपुर जिला एनएसयूआई के अध्यक्ष थे। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमचंद्र मिश्रा ने उन्हें पद से हटा दिया। महीनेभर तक उस कांड की चर्चा रही। 

पापरी से न सिर्फ बंदूक की नोंक पर शादी की गई, बल्कि विश्वसनीयता के लिए घटना की एक तस्वीर भी ली गई थी। इतना ही नहीं, लड़की को अपने माता-पिता को यह कहते हुए एक नोट लिखने के लिए मजबूर किया गया था कि उसने अपनी मर्जी के लड़के से शादी की। पुलिस ने लड़की के ठीक होने तक इंतजार किया, और राम को अंडरग्राउंड होने की अनुमति दे दी।

अपहरण, जिला एनएसयूआई प्रमुख और आजाद के करीबी लोगों की संलिप्तता और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के कारण लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। तीन दिनों तक मुख्यमंत्री के गृह नगर भागलपुर में सड़क बंद रखा गया। भागलपुर की घटना के ठीक चार दिन बाद, NSUI ने पटना में एक रैली का आयोजन किया। इसमें नेताओं की भरमार थी, लेकिन पार्टी की छवि को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। इसे राज्य में कॉन्ग्रेस शासन के पतनकाल का कांड भी कहा जाता है। कॉन्ग्रेस ने 2005 में भी कुशवाहा को टिकट दिया था, तब भी कॉन्ग्रेस को पीड़ित परिवार और जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा था।

यही कॉन्ग्रेस हाथरस केस में कथित रूप से गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने की झूठी लड़ाई लड़ रही थी लेकिन यहाँ रेप आरोपित को टिकट देकर उसने एक बार फिर साबित किया कि उसे पापरी बोस रेप कांड से कोई मतलब नहीं है बल्कि उसके आरोपित को टिकट देकर वह ऐसे घृणित अपराध का इनाम दे रही है।

इसके अलावा पार्टी की तरफ से जेल में बंद बाहुबलियों आनंद मोहन और पप्पू यादव की पत्नियों लवली आनंद और रंजीता रंजन को भी टिकट दिए जाने की संभावना है। 

इससे पहले जिन्ना के समर्थक मश्कूर उस्मानी को कॉन्ग्रेस प्रत्याशी बनाने पर विवाद हुआ था। गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस ने जाले विधानसभा सीट पर मशकूर अहमद उस्मानी को टिकट दिया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ का अध्‍यक्ष रहते हुए साल 2018 में मशकूर अहमद उस्‍मानी ने विश्‍वविद्यालय में लगी मोहम्‍मद अली जिन्‍ना की तस्‍वीर हटाने का विरोध किया था। इसपर अब बिहार की सियासत गरमा गई है।

बताया जा रहा है कि उस्मानी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ में रहते हुए जिन्ना की तस्वीर लगाई थी। इस यूनिवर्सिटी से जिन्ना की तस्वीर हटाए जाने पर उन्होंने काफी बवाल मचाया था। मुकदमे के बाद जब पुलिस ने छापेमारी की थी तो कार्यालय से जिन्ना की तस्वीर बरामद हुई थी।

लोगों का कहना है कि जिन्ना को आदर्श मानने वाले व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर कॉन्ग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उनके मन में गाँधी नहीं बल्कि जिन्ना वास करता है। इस तरह के व्यक्ति को टिकट देना न सिर्फ कार्यकर्ताओं बल्कि जनता का भी अपमान है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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