शिवहर बिहार का सबसे छोटा जिला है। पिछड़ा भी। बाढ़ से प्रभावित भी। पूर्वी चंपारण के ढाका से शिवहर की ओर जाने वाली सड़क बागमती के किनारे-किनारे बेहद उबड़-खाबड़ है। या यूँ कहें कि बाढ़ से हुई तबाही के बाद चलने लायक जुगाड़ कर दिया गया है। इस सड़क पर हमारी कार ने जितने हिचकोले खाए, उससे कहीं ज्यादा शिवहर की चुनावी राजनीति हमें हिचकोले खाते दिखी। इकलौते विधानसभा वाले इस जिला में मुकाबला मुकाबला चतुष्कोणीय है। शिवहर विधानसभा के लिए दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान होना है।
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— Ajit Jha (@JhaAjitk) October 24, 2020
हालाँकि चतुष्कोणीय मुकाबले में श्रीनारायण सिंह नहीं थे, जिनकी शनिवार (अक्टूबर 24, 2020) को हत्या कर दी गई। उन्हें जनसंपर्क के दौरान गोलियों से भून दिया गया था। श्रीनारायण सिंह जिस नयागाँव के रहने वाले थे, हम कल वहाँ से गुजरे भी थे।
श्रीनारायण सिंह राजद के ही नेता थे। टिकट के दावेदार भी। लेकिन टिकट आखिर समय में पार्टी में शामिल हुए चेतन आनंद को मिला। इसकी वजह से पार्टी में बगावत हो गई। रंजन यादव की पार्टी जनता दल राष्ट्रवादी से श्रीनारायण सिंह मैदान में उतर गए।
इसी तरह बसपा के टिकट पर लड़ रहे संजीव गुप्ता भी राजद से टिकट चाहते थे। इस सीट से उनके पिता सत्यनारायण प्रसाद और भाई संजय गुप्ता विधायक भी रह चुके हैं। संजय गुप्ता को राजद ने बेलसंड से उम्मीदवार बनाया है। लेकिन संजीव को चुनाव नहीं लड़ने से वह नहीं मना पाई। चतुष्कोणीय मुकाबले का एक कोण संजीव भी हैं। संजीव जिस वैश्य समाज से आते हैं, उनके मतदाता इस सीट पर प्रभावी हैं।
राजद में बगावत के कई कोण होने के बावजूद चेतन आनंद की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। इसका कारण जदयू के निवर्तमान विधायक शरफुद्दीन और नीतीश कुमार से लोगों की नाराजगी है। शरफुद्दीन के गाँव से हमने एक रिपोर्ट भी की है, जिसे आप जल्द ऑपइंडिया पर पढ़ पाएँगे।
इस बार मोदी के नाम पर नितीश को वोट नहीं देंगे! #BiharElections2020 pic.twitter.com/TrmhocyYLO
— Ajeet Bharti (@ajeetbharti) October 24, 2020
शरफुद्दीन के गाँव के मोहम्मद वामिक भी चुनाव लड़ रहे हैं। मोहम्मद वामिक का भी क्षेत्र में खासा प्रभाव है। विधायक पर हमले के आरोप में हाल तक जेल में बंद रहे वामिक, पप्पू यादव की पार्टी से मैदान में हैं। दोनों का घर अगल-बगल ही है और इस गाँव में तनाव पसरा हुआ है। लोग बात करने को तैयार नहीं होते। हम दोनों उम्मीदवारों के दरवाजे तक भी गए थे। पर लोगों ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि आप गाँव की दूसरी तरफ चले जाइए। इधर माहौल ठीक नहीं है।
इन चार के अलावा श्रीनारायण सिंह जैसे कुछ और भी हैं, जिनको मिलने वाले वोट नतीजे तय करने में निर्णायक होंगे। असल में इस सीट पर राजद की स्पष्ट दिख रही जीत में राजद के बागी हो रोड़े हैं। राजद के एक स्थानीय नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “चेतन जी के पक्ष में माहौल ठीक है। पर धीरे-धीरे कार्यकर्ता टूट रहा है। अभी चुनाव में काफी टाइम है। इसको ठीक नहीं किए तो मामला गड़बड़ा सकता है।”
हमने चेतन आनंद से संपर्क करने की कई बार कोशिश की पर बात नहीं हो सकी। बता दूँ कि चेतन आनंद, पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे हैं। वैसे जिला पार्षद, मुखिया और राजद जिला उपाध्यक्ष रहे नारायण सिंह का भी जरायम की दुनिया से संबंध रहा है।