उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण नीति को लाने के बाद से ही कई अन्य राज्यों में इसको लेकर जोरो शोरों से चर्चा शुरू हो गई है। इसी कड़ी में बिहार के पंचायती राज्य मंत्री सम्राट चौधरी ने भी सख्त जनसंख्या कानून की माँग की है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जिन लोगों के दो या दो से अधिक संतान हो तो उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित कर देना चाहिए। मंत्री ने माँग की है कि नगर निकायों की तर्ज पर ग्राम निकायों में भी यह सुविधा लागू होनी चाहिए।
मंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की माँग करते हुए कहा कि जहाँ भी पढ़े-लिखे लोग हैं वहाँ जन्म दर कम है। देश आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहा है ऐसे में उससे पहले ही यह कानून लागू हो जाना चाहिए।
हालाँकि, बिहार सरकार इस पर एक मत नहीं है। इस मामले में बिहार के सीएम और डिप्टी सीएम रेणु देवी आमने-सामने आ गए हैं। जनसंख्या नियंत्रण कानून का नीतीश कुमार ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि कानून बनाने से कुछ नहीं होगा अगर घर की महिलाएँ पढ़ी-लिखी होंगी तो जनसंख्या पर नियंत्रण खुद ही हो जाएगा। हालाँकि, उनके इस जवाब पर पलटवार करते हुए राज्य की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा था, “जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों को जागरुक करना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी डर देखा जाता है।” भाजपा नेता रेणु देवी ने यह भी कहा कि अक्सर देखा गया है कि बेटे की चाहत में पति और ससुरालवाले महिलाओं पर अधिक बच्चे पैदा करने का दबाव बनाते हैं, जिससे परिवार बड़ा होता जाता है।
किन-किन राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर हो रही चर्चा
असम:
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि वो मुस्लिम समुदाय से बातचीत करते रहेंगे, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण नीति और परिवार नियोजन को लेकर उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट है। रिपोर्ट के मुताबिक सीएम सरमा ने साफ कर दिया है कि उनकी सरकार ‘दो बच्चों की नीति’ को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी। इसे राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में इस्तेमाल किया जाएगा। इसी कानून के आधार पर लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य जनसंख्या नियंत्रण के ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है। राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 को लेकर लोगों से सुझाव भी माँगा है। इस ड्राफ्ट के मुताबिक दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र है। इसके अलावा इसमें नसबंदी कराने पर इंक्रीमेंट और प्रमोशन का जिक्र है।
मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी में है। राज्य के भाजपा विधायक डॉ रामेश्वर शर्मा ने जनसंख्या कानून लाए जाने की माँग को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा है कि कई पश्चिमी देश, जो हमसे साधन और संसाधनों में आगे हैं, उनकी जनसंख्या एमपी से काफी कम है। विधायक ने दावा किया है कि बीते 10 साल में राज्य की आबादी में 1.5 करोड़ का इजाफा हुआ है। शर्मा ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और उसमें आग्रह किया है कि राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए, क्योंकि ये सुरक्षा, विकास और सुशासन के लिए अति आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदेश में लगातार आबादी का अनुपात बढ़ता जा रहा है।”
मैंने म.प्र. के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और उसमें आग्रह किया है कि राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए क्योंकि ये सुरक्षा, विकास और सुशासन के लिए अति आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदेश में लगातार आबादी का अनुपात बढ़ता जा रहा है: भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा https://t.co/CPnUcgn79f pic.twitter.com/lUVyVF5eus
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 13, 2021
कर्नाटक:
जनसंख्या नियंत्रण कानून लाए जाने की तरफ कर्नाटक के गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने भी इशारा किया है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून और परिवार नियोजन को अलग-अलग बताते हुए कहा है कि हमें पहले इस पर चर्चा करके निर्णय लेना होगा। हम इस पर प्रोत्साहन के साथ आगे बढ़ेंगे।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने भी राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून की वकालत करते हुए कहा है कि भविष्य में सीमित जनसंख्या विस्फोट होने पर सीमित प्राकृतिक संसाधनों में आबादी का पेट भरना मुश्किल होगा। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अब वक्त आ गया है कि कर्नाटक अपनी बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए असम और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक नई जनसंख्या नीति लाए।