पश्चिम बंगाल से एक नई बात सामने आ रही है। भाजपा ने आरोप लगाया गया है कि बंगाल में स्थानीय तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) ने कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं की सूची जारी की है और बंगाल के दुकानदारों को यह आदेश दिया है कि इन भाजपा कार्यकर्ताओं को कोई भी सामान न बेचा जाए, यहाँ तक कि चाय भी नहीं। पश्चिम बंगाल में भाजपा की महिला मोर्चा अध्यक्ष केया घोष ने शनिवार (05 जून) को ट्वीट करके यह जानकारी दी।
केया घोष ने ट्वीट करके यह जानकारी दी कि स्थानीय टीएमसी ने कुछ लोगों की लिस्ट जारी की है और दुकानदारों से कहा है कि इन 18 सूचीबद्ध लोगों को कोई भी सामान न बेचा जाए, यहाँ तक कि चाय भी नहीं। यदि सामान बेचना भी है तो टीएमसी से पूछकर। घोष ने कहा कि इन सभी लोगों के बीच यही समानता है कि ये सभी भाजपा कार्यकर्ता हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केया घोष के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह सुनिश्चित करें कि पश्चिम बंगाल में सभी लोगों के साथ समान व्यवहार हो अन्यथा यह शर्म की बात है।
This is shocking. Would urge CM @MamataOfficial to see that ALL citizens in West Bengal are protected and not ostracised or denied the basics. Otherwise, a true shame. https://t.co/RnHYo6J6xN
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) June 5, 2021
भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता ने भी टीएमसी के इस कथित निर्णय पर कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट किया जाना नया नहीं है। ऐसा करके कार्यकर्ताओं के मनोबल और उनके आर्थिक हितों को निशाना बनाया जा रहा है। स्वपन दासगुप्ता ने मीडिया की चुप्पी और पुलिस की मिलीभगत का भी आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि राशन आदि की दुकानों के अलावा भाजपा कार्यकर्ताओं को कोरोना वायरस का टीका लेने से भी रोका जा रहा है।
The instruction of the local Trinamool Congress is aimed at shopkeepers. They are warned to not sell anything to the people who have been listed. Similar (albeit verbal)instructions have gone out to ration shops & there are reports that BJP workers have been denied vaccinations
— Swapan Dasgupta (@swapan55) June 5, 2021
हालाँकि पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को पहली बार निशाना नहीं बनाया जा रहा है। 02 मई 2021 को राज्य में विधानसभा चुनावों के परिणाम आने और तृणमूल कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खिलाफ हिंसा शुरू हुई थी। इस हिंसा में कई कार्यकर्ताओं की हत्या तक कर दी गई थी। इसके अलावा राज्य में लूटपाट, तोड़फोड़ और महिलाओं के उत्पीड़न की खबर भी आई थी। तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं पर इन घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया। चुनाव बाद शुरू हुई हिंसा के बाद भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने असम की ओर पलायन शुरू कर दिया था।