मृत शरीर के भी कुछ अधिकार होते हैं, सम्मानजनक अंतिम संस्कार के। दुर्भाग्य से, भारत देश में ये आतंकियों को तो सहज उपलब्ध है लेकिन बेचारे हिन्दुओं को नहीं।
मुर्शिदाबाद हिंसा में हिंदुओं के घरों के बाहर काली स्याही से निशान बनाए गए थे। मुस्लिम भीड़ जब हिंसा करने पहुँची तो काली स्याही वाले घरों पर ही धावा बोला, आग लगाई और बम फेंका
नाइयों ने श्राद्ध के काम के लिए सामान ना होने का बहाना बनाया तो वहीं पुरोहितों ने मामला पुलिस के पास होने के चलते आने से मना किया। चंदन दास के परिजनों ने कहा कि असल वह डर है।
इस्लामी कट्टरपंथियों ने मुर्शिदाबाद में वृद्ध हरिगोविन्द दास और उनके बेटे की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी। उनका परिवार एक एम्बुलेंस में छुप कर झारखंड पहुँचे हैं।