जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे के सर्वे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “इनको मस्जिद में ही भगवान मिलते हैं। क्या ज्ञानवापी के बाद ये सब कुछ बंद हो जाएगा। असली मुद्दों से ध्यान हटाने और लोगों को बाँटने के लिए बीजेपी इस तरह की राजनीति कर रही है।” उन्होंने आगे कहा, “जवाहर लाल नेहरू से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह ने जो भी कुछ बनाया था, ये लोग उसे बेच रहे हैं। इन लोगों के पास अब बेचने को कुछ भी नहीं है। इसलिए ये लोग हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत पैदा कर रहे हैं।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) चीफ महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा, “आज ये मस्जिद, कल वो मस्जिद, मैं अपने मुस्लिम भाइयों से बोलती हूँ एक ही बार ये हमें मस्जिदों की लिस्ट बताएँ, जिस पर इनकी नजर है। मैं पहले भी कह चुकी हूँ कि हम जहाँ सजदा करेंगे, हमारा अल्लाह वहीं है। शर्त यह कि अगर किसी मस्जिद को कोर्ट के जरिए, या फिर किसी और तरह से यह साबित किया जाता है। हालाँकि, बाबरी मस्जिद में तो ऐसा कुछ भी साबित नहीं हुआ। तो क्या ये बीजेपी वाले हमें गारंटी देंगे कि जो उन्होंने एक साल में 2 करोड़ नौजवानों को नौकरियाँ देने का वादा किया है, उसे पूरा करेंगे। लेकिन ये तो ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे पड़े हैं, क्या इसके बाद सब बंद हो जाएगा?”
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— ABP News (@ABPNews) May 16, 2022
वहीं, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे से एक शिवलिंग मिला है, जो बेशकीमती पत्ना पत्थर का बना हुआ है। सर्वे में शामिल एक सूत्र के मुताबिक, “यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने बनारस के पंडित नारायण भट्ट के साथ मिलकर 1585 में स्थापित कराया था। इस शिवलिंग का रंग हरा है। इसके ऊपर का कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था।”
उन्होंने यह भी कहा, “इस शिवलिंग का साइज करीब 2 मीटर है। यह देखने में काफी आकर्षक है। शिवलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है। नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है। उसी में अंदर मस्जिद के बीचों-बीच आज भी शिवलिंग दबा है। पन्ना पत्थर से बने इस विशालकाय शिवलिंग का रंग हरा है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया, “विवादित ज्ञानवापी ढाँचे में जिसे लोग तहखाना कह रहे हैं, वह असलियत में मंदिर मंडपम हैं। इन्हें तहखाना की बजाय मंडपम कहें तो बेहतर होगा।” डॉ. तिवारी ने बताया कि उनके परिवार के पंडित नारायण भट्ट ने पन्ना का शिवलिंग स्थापित कराया था। 90 के दशक में वाराणसी के डीएम रहे सौरभ चंद्र श्रीवास्तव ने तब मंडपम में ताला बंद कराया था, तो उस समय भी अंदर फोटोग्राफी हुई थी, जिसमें वह शामिल थे। उस समय देखा गया था कि अंदर नंदी के ठीक सामने ही शिवलिंग है।
1868 में रेव एमए शेरिंग द्वारा लिखित ‘द सेक्रेड सिटी ऑफ हिंदू’ किताब के मुताबिक, ज्ञानवापी ढाँचे के नीचे चारों कोनों पर चार मंडपम यानी मंदिर हैं। इनका नाम ज्ञान मंडपम, श्रृंगार मंडपम, ऐश्वर्य मंडपम और मुक्ति मंडपम है। विदेशी लेखक अल्टेकर ने इन चारों मंडपम का साइज 16-16 फीट बताया था और गोलंबर की ऊँचाई 128 फीट है।