नए कृषि कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की माँग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सिंघु बॉर्डर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान यूनियन ने कहा कि वो बुराड़ी में प्रदर्शन करने को तैयार नहीं हैं, उन्हें प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर ही जाना है। इसी के साथ किसानों ने बुराड़ी में प्रदर्शन की जगह को ‘ओपन जेल’ करार दिया। ये भी कहा कि वो चार महीने तक रोड पर ही प्रदर्शन कर सकते हैं, उन्होंने इसके लिए पूरी व्यवस्था कर रखी है। उनके पास पर्याप्त राशन हैं। वे दिल्ली के 5 मेन एंट्री प्वाइंट को अवरुद्ध कर राजधानी का घेराव करेंगे।
Instead of going to open jail in Burari, we’ve decided that we will gherao Delhi by blocking 5 main entry points to Delhi. We’ve got 4 months ration with us, so nothing to worry. Our Operations Committee will decide everything: Surjeet S Phul, President, BKU Krantikari (Punjab) https://t.co/aH5xm26WAi pic.twitter.com/2L0yL7vVmf
— ANI (@ANI) November 29, 2020
इससे पहले 30 किसान संघों ने रविवार (नवंबर 29, 2020) दोपहर की मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान संगठन बिना शर्त सरकार से बातचीत चाहता है। किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि बातचीत के लिए रखी गई शर्त किसानों का अपमान है। हम बुराड़ी कभी नहीं जाएँगे। बुराड़ी ओपन पार्क नहीं है एक ओपन जेल है।
We’ve decided that we’ll never go to Burari Park as we got proof that it’s an open jail. Delhi Police told Uttarakhand Farmer Association President that they’ll take them to Jantar Mantar but instead locked them at Burari Park: Surjeet S Phul, President, BKU Krantikari (Punjab) https://t.co/6pJOqIahh5 pic.twitter.com/97ePCMknnI
— ANI (@ANI) November 29, 2020
उन्होंने कहा कि हमें इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि बुराड़ी ओपन जेल है। उत्तराखंड किसान संघ के अध्यक्ष से दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उन्हें जंतर-मंतर ले जाया जाएगा, लेकिन उन्हें बुराड़ी मैदान में ले जाकर बंद कर दिया गया।
सुरजीत सिंह फूल ने कहा, “बुराड़ी जाने की बजाए हम दिल्ली में एंट्री के पाँच रास्तों का घेराव करेंगे। हमारे पास चार महीने का राशन है तो हमारे लिए चिंता की बात नहीं है। हमारी ऑपरेशन कमेटी आगे का फैसला लेगी।” उन्होंने कहा, “हमने तय किया है कि हम किसी भी राजनीतिक दल के नेता को अपने मंच पर बोलने की अनुमति नहीं देंगे, हम लोग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं, चाहे वह कॉन्ग्रेस, भाजपा, आप या अन्य दल से हों। हमारी समिति उन संगठनों को बोलने की अनुमति देगी जो हमारा समर्थन करते हैं। उन्हें हमारे नियम का पालन करना होगा।”
We want to apologise to media for misbehaviour with them by a few protesters unknowingly. To avoid such situations in future, we’ve decided that after every meeting, an official press note will be released by us for media: Surjeet Singh Phul, President, BKU Krantikari (Punjab) https://t.co/7EJ3zMiTOT pic.twitter.com/J754KOrAJ9
— ANI (@ANI) November 29, 2020
उन्होंने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा अनजाने में दुर्व्यवहार के लिए मीडिया से माफी माँगते हैं। भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, हमने तय किया है कि हर बैठक के बाद हमारे द्वारा मीडिया के लिए एक आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया जाएगा।
30 किसान संगठनों के ज्वाइंट फोरम ने अमित शाह के प्रस्ताव को रद्द किया है। यह किसान संगठन अब उन किसानों को भी वापस बुलाएँगे, जो निरंकारी मैदान पहुँच चुके हैं। पंजाब-हरियाणा से आए हजारों किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली प्रदर्शन करने पहुँचे हैं।
किसानों के कॉन्फ्रेंस करने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी प्रतिक्रिया दी है। तोमर ने कहा है कि भारत सरकार किसानों से तीन दौर की वार्ता कर चुकी है, चौथी बार तीन दिसंबर को मिलने का प्रस्ताव दिया था। सरकार हर स्तर पर खुले मन से बातचीत करने को तैयार है पर किसान यूनियन को बातचीत का माहौल बनाना चाहिए। उन्हें आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए।
गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से 3 दिसबंर से पहले बातचीत का प्रस्ताव रखा था, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया। इसके अलावा कृषि मंत्री ने किसानों को बातचीत करने के लिए कहा है लेकिन किसानों ने बिना शर्त बातचीत की बात कही है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है, लेकिन किसानों ने सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर ही डेरा डाल रखा है।