मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भारी जीत के बाद शुक्रवार (25 मार्च) को भाजपा नेताओं ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इन सबके बीच जो सबसे बड़ा उलटफेर दिखा, वह है उप-मुख्यमंत्री के रूप में ब्रजेश पाठक का शपथ। पाठक योगी सरकार में विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में मंत्री रह चुके हैं। इस बार दिनेश शर्मा की जगह उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है।
साल 2014 के मोदी लहर में हारने के बाद राजनीतिक हवा का रूख भाँपते हुए ब्रजेश पाठक बहुजन समाज पार्टी (BSP) छोड़कर साल 2016 में भाजपा में शामिल हो गए। साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद बनी सरकार में तेजतर्रार नेता पाठक को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
ब्रजेश पाठक ब्राह्मणों के मुद्दे को उठाते रहे हैं। जब माफिया सरगना विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ तब दुबे के समर्थन में लामबंद लोगों ने सीएम योगी को ब्राह्मण विरोधी बताना शुरू कर दिया था। उस समय ब्रजेश पाठक मजबूती के साथ मुख्यमंत्री के साथ खड़े नजर आए थे और विकास दुबे को खूंखार अपराधी बताया था। माना जाता है तब से वह सीएम योगी के करीबी बन गए थे।
ब्रजेश पाठक का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां में 25 जून 1964 को हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (LL.B) की डिग्री हासिल की है और पेशे से वकील हैं। साल 1989 में उन्होंने छात्र राजनीति में प्रवेश किया था और 1990 में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे।
छात्र राजनीति के बाद पाठक ने मुख्यधारा की राजनीति की शुरुआत की। साल 1992 में वह कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए और 2002 के विधानसभा चुनाव में मल्लावां विधानसभा सीट से उतरे, लेकिन चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने 2004 में कॉन्ग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (BSP) का दामन थाम लिया।
बसपा ने साल 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें उन्नाव सीट से मैदान में उतारा और वह चुनाव जीत गए। साल 2009 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया और वे सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक बन गए। साल 2014 में वह उन्नाव लोकसभा सीट से बसपा टिकट पर लड़े, लेकिन हार गए।
लोकसभा सीट हारने के बाद पाठक 2016 में भाजपा में शामिल हो गए और 2017 के विधानसभा चुनावों में लखनऊ मध्य से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। उसके बाद वह सीएम योगी के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। इस बार वह लखनऊ कैंट से जीत हासिल की है। बता दें कि इसी सीट के लिए रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए टिकट माँग रही थीं, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने पाठक पर विश्वास जताया।
अगर उनकी पत्नी की बात करें तो नम्रता पाठक मायावती की सरकार में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। साल 2012 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने नम्रता को उन्नाव सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह चुनाव जीत नहीं पाईं।