जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एक बार फिर से ज़हर उगला है। उन्होंने कहा कि हम ‘गोडसे के हिंदुस्तान’ में नहीं रह सकते।PDP की मुखिया महबूबा मुफ़्ती ने बुधवार (24 नवंबर, 2021) को केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने धमकी भरे अंदाज़ में कहा कि अगर जम्मू कश्मीर को रखना चाहते हैं तो पहले अनुच्छेद-370 को पुनः बहाल किया जाए और कश्मीर मुद्दे का समाधान निकाला जाए। उन्होंने कहा कि लोग अपना ‘पंचन एवं सम्मान’ वापस चाहते हैं, वो भी सूद के साथ।
उन्होंने कहा कि हम महात्मा गाँधी का भारत चाहते हैं, इसीलिए, जम्मू कश्मीर के लोग ‘गोडसे के हिंदुस्तान’ में नहीं रह सकते। महबूबा मुफ़्ती ने लोगों को एकजुट रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संविधान ने दिया था, जिसके समर्थन में संघर्ष है। उन्होंने ये भी कहा कि लोग अपनी ‘पहचान एवं सम्मान’ की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ मुखर करें। बनिहाल के नील गाँव में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
महबूबा मुफ़्ती ने इस दौरान कहा, “हमारी किस्मत का फैसला महात्मा गाँधी के भारत के साथ किया था, जिसने हमें अनुच्छेद 370 दिया, हमारा अपना संविधान और झंडा दिया। हमलोग गोडसे के साथ नहीं रह सकते। अगर वो हमारी हर चीज छीन लेंगे तो हम भी अपना फैसला वापस ले लेंगे। उन्हें सोचना होगा कि अगर वो अपने साथ जम्मू कश्मीर को रखना चाहते हैं तो उन्हें अनुच्छेद-370 को वापस बहाल करना होगा और कश्मीर मुद्दे का समाधान करना होगा।”
उन्होंने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी को लाठी या बंदूक के बल पर ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है। बकौल महबूब मुफ्ती, अमेरिका को महाशक्ति होने के बावजूद अफगानिस्तान से निकल कर जाना पड़ा और वहाँ ताकत के बल पर शासन करने की उसकी कोशिश नाकाम हो गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से वार्ता की बात करने पर उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है, जबकि वही लोग तालिबान से बात कर रहे यहीं अरुणाचल प्रदेश में ‘गाँव बसाने वाले’ चीन से बात कर रहे।
If you want to 'keep' Kashmir, restore Article 370 and address Kashmir issue: Mehbooba Mufti tells Centre https://t.co/B6aAYvo7NM pic.twitter.com/0jcS3yjt3H
— The Times Of India (@timesofindia) November 24, 2021
इससे पहले महबूबा मुफ़्ती ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय और माफी एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से उपजा हो। विडंबना यह है कि जहाँ भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित और अपमानित करना उसके प्रमुख वोट बैंक को संतुष्ट करता है।