आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चौंका देने वाला निर्णय लेते हुए दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले जोड़ों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन और सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में उस नियम पर भी रोक लगा दी जिसमे दो से ज्यादा बच्चे वाले उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। ये कदम उठाकर नायडू पन्द्रहवें वित्तीय आयोग द्वारा जनसंख्या के आधार पर राज्यों को दिए जाने वाले अतिरिक्त लाभ का मौका नहीं गंवाना चाहते हैं। इतना ही नहीं, नायडू ने राज्य में जनसंख्या की बढ़ोतरी को प्रोत्साहित के लिए योजनाएं बनाने बनाने को भी तैयार दिखे।
मानव संसाधन विकास पर श्वेत पत्र जारी करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने कहा;
“राज्य ने पिछले दस वर्षों में जनसँख्या में 1.6% की गिरावट देखी है। जनसंख्या से जुड़े असंतुलन के रुझानो को ठीक करने का ये सही समय है। कहीं ऐसा न हो कि राज्य अगले दस सालों में ज्यादा खाने वाले मुंह और कम काम करने वाले हाँथ की वजह से पहचाना जाये।”
उन्होंने कहा कि अभी राज्य में करीब 50% लोग युवा हैं और साथ ही ज्यादा बच्चे पैदा कर राज्य को हमेशा जवान बनाये रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कम जन्म दर का कारण राज्य में जनसंख्या नियोजन के लिए किये जाने वाले उपायों का क्रियान्वयन था जिस से कि राज्य की जनसंख्या में कमी देखी गई है। साथ ही नायडू ने कहा कि राज्य सरकार शिशु मृत्यु दर की जांच कर रही है, और ये 2014 में 3.7 प्रतिशत से घटाकर 2018 में 1.051% पर आ गया है।
जब पूरा देश जनसंख्या के में बढ़ोतरी के संकट से जूझ रहा है, ऐसे समय में नायडू का ऐसा कहना हास्यास्पद ही नहीं बल्कि खतरनाक भी है। भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और विश्लेषकों का मानना है कि 2014 तक हमारा देश दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश हो जायेगा। ऐसे में किसी एक राज्य को देश से अलग कर के देखना एक खतरनाक ट्रेंड को जन्म दे सकता है। महज कुछ वित्तीय लाभ के लिए पहले से ही बेकाबू जनसंख्या वृद्धि की दर को और बढ़ाने की बात करना बिलकुल भी सही नही है। वो भी ऐसे राज्य में जहां की जनसंख्या पांच करोड़ से भी अधिक हो और जो जनसंख्या के आधार पर भारत के शीर्ष दस राज्यों में शामिल हो।
आन्ध्र प्रदेश की जनसंख्या 2011 के जनगणना के मुताबिक़ लगभग पांच करोड़ है। ये एक बहुत बड़ी आबादी है। क्योंकि अगर आन्ध्र को दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों की श्रेणी में रख कर देखें तो ये तालिका में शीर्ष-30 में आयेगा। यानी 200 से अधिक देश ऐसे हैं जहां की जनसंख्या आन्ध्र प्रदेश से कम है। और ऐसा आन्ध्र ही नहीं बल्कि पूरे भारत के साथ है। जहां पूरे भारत में जनसंख्या नियंत्रण की बात हो रही है, वहां उलटी गंगा बहाना कहाँ तक उचित है, ये चंद्रबाबू नायडू से पूछा जाना चाहिए। नायडू दलील देते हैं कि राज्य की जनसंख्या में 1.6% की गिरावट आई है। लेकिन ऐसा कहते हुए वो यह भूल जाते हैं कि 2001 के जनगणना के दौरान राज्य का जनसंख्या घनत्व 277 था जो 2011 में बढ़ कर 300 के पार हो गया।