पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में पिछले हफ्ते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के संबंध में केंद्र ने दोबारा बंगाल के दो अधिकारियों को समन भेजा, लेकिन ममता सरकार ने फिर उन्हें भेजने से मना कर दिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कल बंगाल सरकार से राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को आज 5:30 बजे एक मीटिंग के लिए कहा था। मगर जवाब में राज्य सरकार ने महामारी का हवाला देकर बैठक की बजाय वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग करने को कहा। अब केंद्र सरकार का दोबारा जवाब आना बाकी है।
बता दें कि इससे पूर्व भी इस मामले में पिछले हफ्ते 3 अधिकारियों (भोलानाथ पांडे, राजीव मिश्रा और प्रवीण कुमार त्रिपाठी) को समन भेजा गया था। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें भेजने से मना कर दिया। इसके बाद मंत्रालय ने उन्हें सेंट्रल डेप्युटेशन पर बुलाया।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इस संबंध में बताया था, ”बीजेपी प्रमुख जे पी नड्डा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सेंट्रल डेप्युटेशन पर सर्विस के लिए बुला लिया है।” MHA ने IPS कैडर रूल 6(1) के तहत यह कारवाई की थी।
केंद्र पर बौखलाई ममता बनर्जी
सीएम ममता बनर्जी ने गृह मंत्रालय के आदेश के बाद अपने ट्विटर पर लगातार ट्वीट करके अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा, “राज्य की आपत्ति के बावजूद पश्चिम बंगाल में सेवारत आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्र सरकार का आदेश आईपीएस कैडर नियम 1954 के आपातकालीन प्रावधान का जबरदस्त दुरुपयोग है।”
सीएम बनर्जी ने आगे लिखा, “यह कुछ और नहीं बल्कि राज्य के अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ और पश्चिम बंगाल में कार्यरत अधिकारियों के मनोबल को ठेस पहुँचाने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। विशेषकर चुनाव से पहले उठाया गया यह कदम संघीय ढाँचे के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। यह असंवैधानिक और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “हम राज्य की मशीनरी को नियंत्रित करने के लिए केंद्र के प्रयास को बिल्कुल कामयाब नहीं होने देंगे। पश्चिम बंगाल विस्तारवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों से डरने वाला नहीं है।”
इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सीएम ममता का साथ दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बंगाल की प्रशासनिक व्यवस्था में जबरन हस्तक्षेप करने की निंदा करता हूँ। राज्य के अधिकारों में दखल देते हुए चुनाव के पहले पुलिस अधिकारियों का तबादला करने का केंद्र का कदम संघीय ढाँचे पर आघात है और अस्थिरता पैदा करने का प्रयास है।”
I condemn the Centre’s blatant interference in the Bengal administration. Encroaching on the rights of states by attempting to transfer police officers to Centre just before elections, is an assault on federalism and an attempt to destabilize. https://t.co/sbxpZl0Nn2
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 18, 2020
जेपी नड्डा के काफिले पर 10 दिसंबर को हुआ था हमला
गुरुवार (दिसंबर 10, 2020) को दक्षिण 24 परगना में एक कार्यक्रम के लिए डायमंड हार्बर की ओर जाते वक़्त बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था। इस हमले में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय की गाड़ी पर ईंट फेंकी गई थी। उन्होंने वीडियो साझा करते हुए पूरी घटना की सूचना दी थी।
इस घटना पर कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा था, “बंगाल पुलिस को पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी। लेकिन एक बार फिर बंगाल पुलिस नाकाम रही। सिराकोल बस स्टैंड के पास पुलिस के सामने ही TMC के गुंडों ने हमारे कार्यकर्ताओं को मारा और मेरी गाड़ी पर पथराव किया।”
इसके बाद प्रदेश के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा था कि उन्होंने घटना के ठीक बाद मुख्य सचिव और राज्य के डीजीपी को पूरी जानकारी के लिए तलब किया था। काफिले पर हुए हमले को लेकर बंगाल पुलिस ने कहा था कि किसी को कुछ नहीं हुआ है और सभी लोग सुरक्षित हैं। इस मामले पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अधिकारी और पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय है।