राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन चुके नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने बड़ा बयान दिया है। एनआरसी की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए जस्टिस गोगोई ने मीडिया घरानों की गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मीडिया के कुछ हिस्सों की गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के चलते इस मुद्दे को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसके चलते स्थिति खराब हो गई।
CJI Ranjan Gogoi: Irresponsible reporting by a few media outlets only worsened the situation. There was an urgent need to ascertain with some degree of certainty the number of illegal migrants, which is what the current exercise of NRC had attempted, nothing more nothing less. https://t.co/FlMUdOyEu9 pic.twitter.com/eFuc3Swvb9
— ANI (@ANI) November 3, 2019
‘पोस्ट कोलोनियल असम’ नामक पुस्तक के विमोचन के दौरान एक कार्यक्रम में दिए अपने संबोधन में रंजन गोगोई ने एनआरसी पर कहा, “यह मुद्दा सिर्फ 19 लाख या 40 लाख के आँकड़े की बात नहीं है, आने वाले समय में लोग इसको भविष्य का आधार बना सकते हैं। यह भविष्य के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।” जस्टिस गोगोई ने कहा कि यह चीज़ों को बेहतर ढंग से करने का एक मौका है।
गैरकानूनी रूप से रह रहे प्रवासियों के ऊपर कार्रवाई करने वाले इस प्रस्ताव के समर्थन में बोलते हुए जस्टिस गोगोई ने इस कदम को ज़रूरी बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों की संख्या पता लगाने की तत्काल आवश्यकता है। यही एनआरसी का एक ज़रूरी हिस्सा भी है। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि एनआरसी के ज़रिए अब तक कितना काम हो पाया है, इस पर भी ध्यान दिया जाए।
बता दें कि एनआरसी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लम्बे समय से देश में एक व्यापक बहस छिड़ी हुई है। सितम्बर में गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान के ज़रिए कहा था कि देश भर में एनआरसी लागू करने के साथ ही अवैध तरीके से रह रहे लोगों को बाहर निकला जाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा था कि असम में जिन लोगों के नाम NRC में नहीं आए, उन्हें विदेशी न्यायाधिकरणों के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। साथ ही असम की सरकार ने ऐसे लोगों के लिए वकील मुहैया कराने की भी व्यवस्था की, जिससे उन पर वकील के खर्चे का बोझ न पड़े।