साल 1970 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से भारत आए हिंदू शर्णार्थियों को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जमीन और घर की सौगात दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज (अप्रैल 19, 2022) लखनऊ में 63 हिंदू बांग्लादेशी परिवारों के लिए पुनर्वास परियोजना को लागू किया। इसके तहत इन लोगों को 2 एकड़ जमीन और आवास योजना के तहत 1 लाख 20 हजार रुपए दिए जाएँगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 63 हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों को आवासीय और कृषि भूमि के कागजों वितरित करते हुए कहा, “63 हिंदू बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारों के पुनर्वास परियोजना को लागू कर दिया गया है। 2 एकड़ भूमि और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 1 लाख 20 हजार रूपए मिलेगा। एक शौचालय का भी निर्माण करवाया जाएगा।”
वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवारों के पुनर्वासन हेतु आयोजित कार्यक्रम में… https://t.co/ajeCt147bW
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 19, 2022
सीएम योगी ने इस परियोजना को लागू करते हुए कहा कि इतने सालों में किसी ने विस्थापित हिंदुओं के दर्द को नहीं समझा। मगर अब इस फैसले के बाद सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। आगे यूपी मुख्यमंत्री ने बताया कि साल 1970 में बांग्लादेश से करीब 407 परिवार भारत के उत्तर प्रदेश में आए थे। उस समय उन सबको मेरठ के हस्तिनापुर में एक सूत मिल में नौकरी दी गई थी। लेकिन 1984 में जब वो सूत मिल बंद हुई तो वो बेसहारा हो गए। कुछ परिवारों का पुनर्वास अलग-अलग जगहों पर हुआ लेकिन इनमें से 65 परिवार के लोग 1984 से अब तक अपने पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। इंतजार करते-करते दो परिवार तो पूरी तरह समाप्त हो गए। बचे बस 63।
वर्ष 1970 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवारों की दशकों की प्रतीक्षा आज समाप्त हो गई।
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उनके पुनर्वासन हेतु आज उन्हें कृषि भूमि व आवासीय पट्टा तथा मुख्यमंत्री आवास योजना के स्वीकृति-पत्र वितरित किए गए हैं।
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सीएम ने कहा कि इन 38 वर्षों में न जाने कितने लोग चले गए। जब पीएम ने इन शर्णार्थियों को नागरिकता देने का एक्ट पास किया तो प्रदेश ने पुराने कागज ढूँढने शुरू किए। इसी दौरान मालूम चला कि 63 परिवारों की हालात बहुत खराब है। ये लोग खानाबदोशों की तरह जीवन जी रहे थे। मगर अब खुशी इस बात की है कि प्रदेश सरकार ने 63 परिवारों के व्यवस्थित पुनर्वास की कार्ययोजना लागू कर दी है।
उन्होंने कहा कि ये लोग जहाँ के मूल निवासी थे वहाँ इन्हें शरण नहीं मिली। आजादी के बाद भी इन्हें दर्द झेलना पड़ा। मगर भारत ने इन्हें स्वीकार कर न केवल शरण दी बल्कि इनके पुनर्वास की योजना को भी आगे बढ़ा रहा है। ये भारत की मानवता के प्रति सेवा का एक अभूतपूर्व उदाहरण है।