देश भले ही मंदी के दौर से गुज़र रहा हो लेकिन देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों को चन्दा मिलने में कोई कमी नहीं आई है। कमी तो बहुत दूर दोनों ही पार्टियों को छप्पर फाड़कर चंदा मिला है। इतना ही नहीं कॉन्ग्रेस जैसी विपक्षी पार्टी भी इसमें पीछे नहीं रही। 2017-18 की तुलना में कॉन्ग्रेस ने अपनी आय में करीब चार गुना इजाफा किया है। पार्टी के चुनावी बॉन्ड की बात करें तो यह 5 करोड़ रुपए से बढ़कर 383 करोड़ रुपए पर पहुँच गई। सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी ऑडिट रिपोर्ट को चुनाव आयोग को सौंप दिया है, वहीं से यह डेटा लिया गया है।
दरअसल कॉन्ग्रेस की पिछले वर्ष 2017-18 में आय कुल 199 करोड़ रूपए थी जो कि इस वर्ष 2018-19 में बढ़कर 918 करोड़ रुपए हो गई है। इसी के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी की आय में करीब 361 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है। इस आय में 383 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड से आए हैं, जो कि पिछले वर्ष यह राशि मात्र 5 करोड़ रुपए थी। हालाँकि कॉन्ग्रेस की आय भाजपा की आय के आधे से भी कम है।
वहीं देश सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी(BJP) की बात करें तो 2410 करोड़ रुपए के साथ बीजेपी की आय दो गुनी हुई है। अग़र वर्ष 2017-18 की बात करें तो बीजेपी की आय 1027 करोड़ रुपए थी। इस साल पार्टी की आय में करीब 134 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं इस आय में 1450 करोड़ यानी कि करीब 60 प्रतिशत हिस्सा चुनावी बॉन्ड के ज़रिए मिला है। वहीं पार्टी को पिछले वर्ष मात्र 210 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले थे। बता दें कि बीजेपी को देश के सभी राजनीतिक दलों में सबसे अधिक चंदा मिला है।
दरअसल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड ज़ारी करता है और इन पर नोटों की तरह कीमत छपी होती है। चुनावी बॉन्ड्स एक हजार, दस हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपए के मल्टीपल्स में खरीदे जा सकते हैं और ये ब्याज मुक्त होते हैं। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी ख़रीद सकती है और उसे 15 दिन के अंदर इसे अपनी मनपसंद राजनीतिक पार्टी को देना होता है। हालाँकि इस ऑडिट रिपोर्ट के आने के बाद चुनावी बॉन्ड्स को लेकर राजनीतिक दलों में विवाद छिड़ गया है।
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